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21 सितंबर 2012

बनेगा दूध पाउडर का सुरक्षित भंडार

दूध के दाम में आ रही अस्थिरता पर काबू पाने के लिए सरकार स्क्म्डि मिल्क पाउडर (एसएमपी) का बफर स्टॉक बनाने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। अधिकारियों ने कहा कि दुग्ध प्रसंस्करण कंपनियों के पास बनाए गए बफर स्टॉक के लिए सरकार पर्याप्त सब्सिडी देगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'मुद्रास्फीति पर हाल में हुई अंतर-मंत्रालय समूह की बैठक में बफर स्टॉक विकसित करने के प्रस्ताव पर चर्चा की गई है।Ó खाद्य विभाग, उपभोक्ता मामलों के विभाग, कृषि विभाग और वित्त विभाग के वरिष्ठï अधिकारी इस बैठक में शामिल हुए। बैठक में सरकार के सामाजिक सुधार कार्यक्रमों में एसएमपी के इस्तेमाल को प्रोत्साहन देकर देश में इसकी पर्याप्त मांग विकसित करने पर जोर दिया गया। उद्योग के अधिकारियों के अनुसार देश में विभिन्न सहकारी और निजी दुग्ध डेयरियों के पास करीब 1,11,000 टन का एसएमपी पड़ा हुआ है जबकि देसी बाजार में इसकी सालाना खपत करीब 88,000 टन है। हत्सुन एग्रो प्रोडक्ट्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक आर जी चंद्रमोहन ने बताया, 'सरकार एसएमपी की खपत की नई संभावनाएं नहीं विकसित करती है तो दूध खरीद में कमी आ सकती है।' उन्होंने बताया कि दो साल पहले देसी बाजार में एसएमपी की कमी को पूरा करने के लिए सरकार ने करीब 50,000 टन एसएमपी का आयात किया था, जिससे अतिरिक्त भंडार बन गया है। निजी क्षेत्र के एक और दुग्ध आपूर्तिकर्ता का कहना है, 'वैश्विक स्तर पर दाम में गिरावट आने के बाद निर्यात भी आकर्षक नहीं रह गया है।' हालांकि कारोबारियों का कहना है कि एसएमपी का बफर स्टॉक बनाने या फिर देसी बाजार में इसकी खपत बढ़ाने से कीमतों में आई अस्थिरता की समस्या का समाधान नहीं होगा। नोवा ब्रांड के तहत दुग्ध और दुग्ध के उत्पाद बनाने वाली कंपनी स्टर्लिंग एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक कुलदीप सलूजा ने कहा कि फिलहाल देश में 1 लाख टन एसएमपी का भंडार है, जो पिछले कुछ साल में हुए शुल्क मुक्त आयात का नतीजा है। सलूजा ने कहा, 'अब जब दूध के दाम स्थिर हो गए हैं, तो इस स्टॉक को बेचने का कोई तरीका नहीं है। सरकार को एक बार 30 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से सब्सिडी देनी चाहिए, जिससे निजी और सहकारी दुग्ध कंपनियां इसका निर्यात कर सकें।'(BS Hindi)

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