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18 सितंबर 2012

बारिश में सुधार से देश में बढ़ेगा सरप्लस चीनी का भंडार

मॉनसून की बारिश में सुधार के चलते उत्पादन में बढ़ोतरी की संभावना जताते हुए राबोबैंक इंटरनैशनल ने आगामी कटाई सीजन के लिए सरप्लस चीनी के भंडार के अनुमान में 13 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है। राबोबैंक का यह अनुमान चीनी मिलों को प्रभावित करेगा। अपनी ताजा रिपोर्ट में राबोबैंक ने कहा है कि भारत में साल 2012-13 (अक्टूबर-सितंबर) में 52 लाख टन सरप्लस चीनी उपलब्ध होगी जबकि पहले यह भंडार 46 लाख टन रहने का अनुमान जताया गया था। यह अनुमान हालांकि भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के अनुमान से कम है। इस्मा ने पिछले हफ्ते कहा था कि अगले सीजन यानी 2012-13 में सरप्सस चीनी या ओपनिंग स्टॉक करीब 60 लाख टन रहेगा। सरप्लस चीनी के भंडार का मामला महत्त्वपूर्ण है क्योंकि देश भर की चीनी मिलें इस्मा व राबोबैंक समेत विभिन्न एजेंसियों की तरफ से मांग-आपूर्ति के बारे में की गई भविष्यवाणी के आधार पर कारोबार की रणनीति तैयार करती हैं। मॉनसून की प्रगति में हुए हालिया सुधार के बावजूद अभी यह स्पष्ट नहीं है कि पिछले महीनों में अपर्याप्त बारिश का फसल पर कितना असर पड़ा था। चीनी मिलों और दूसरे काम में गन्ने के इस्तेमाल बारे में अनिश्चितता के चलते भारत बाजार को आश्चर्यचकित कर सकता है। यह बताना मुश्किल है कि गन्ने की कितनी मात्रा की पेराई मिलों में होगी और कितनी मात्रा का इस्तेमाल दूसरी जगहों पर या दूसरे कामों में होगा। राबोबैंक का अनुमान है कि 2012-13 में देश का चीनी उत्पादन 240-250 लाख टन के बीच रहेगा जबकि 2011-12 में 260 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ। साल 2012-13 में 220-230 लाख टन चीनी की खपत का अनुमान है। अगस्त के आखिर तक बारिश सामान्य के मुकाबले 12 फीसदी कम रही है, हालांकि गन्ने के उत्पादन से जुड़े ज्यादातर इलाके सिंचित क्षेत्र हैं, लेकिन सूखे मौसम का असर गन्ने की फसल पर पडऩे की संभावना है। गन्ने की पैदावार प्रभावित हो सकती है क्योंकि मौजूदा जलाशय बारिश मेंं कमी की भरपाई नहीं कर सकते। इसके साथ ही गन्ना किसानों के बीच कम अवधि में परिपक्व होने वाली फसलों की बुआई का चलन बढ़ा है। साथ ही गन्ने की आपूर्ति चारे के लिए करने का भी, ताकि आकर्षक कीमतों का फायदा उठाया जा सके। बारिश में कमी के चलते सबसे बड़े उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में 2012-13 में उत्पादन 15 फीसदी घटकर 76 लाख टन रह जाने का अनुमान है जबकि 2011-12 में यहां 89 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ। कर्नाटक में साल 2012-13 के दौरान सूखे मौसम व रकबे में 11 फीसदी की कमी के चलते उत्पादन 21 फीसदी घटकर 30 लाख टन रहने का अनुमान है। हालांकि उत्तर प्रदेश की स्थिति ठीक है और यहां 2012-13 के दौरान उत्पादन 12 फीसदी बढ़कर 78 लाख टन पर पहुंचने की संभावना है। तमिलनाडु में भी पिछले सीजन के मुकाबले उत्पादन 11 फीसदी बढ़ सकता है और यहां पिछले सीजन में कुल 23 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ। (BS Hindi)

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