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17 सितंबर 2012

विदेशी निवेश का जवाब भारत बंद

खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश का फैसला मनमोहन सरकार के लिए आंख की किरकिरी साबित हो रहा है. विपक्षी पार्टी बीजेपी, वामपंथी दल और मजदूरों के संघ बंद के लिए साथ हो गए हैं. लामबंद विपक्ष कांग्रेस सरकार को समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी ने भी खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश के खिलाफ सड़क पर उतरने का फैसला किया है. उधर, बंगाल में सत्ता संभाल रही तृणमूल कांग्रेस ने भी सरकार का विरोध करने का एलान किया है. मुख्यमंत्री, ममता बनर्जी तो इस मसले पर कोलकाता की सड़कों पर भी उतर चुकी हैं. उन्होंने सरकार को 72 घंटे का अल्टीमेटम दिया था. स्थानीय मीडिया में कहा गया है कि इस मसले पर तृणमूल के मंत्री प्रधानमंत्री को इस्तीफा भी सौंप सकते हैं.हालांकि तृणमूल की नेता ममता बनर्जी ने साफ किया है कि वो सरकार को बाहर से समर्थन देती रहेंगी. वाम दलों समेत सभी विपक्षी दलों ने लोगों से आह्वान किया है कि लोग गुरुवार को बंद का समर्थन करें. भारत की कम्युनिस्ट पार्टी के नेता, गुरुदास दासगुप्ता का कहना है, "20 सितंबर को जोरदार विरोध प्रदर्शन होगा. हम लोग हड़ताल करेंगे, धरना और गिरफ्तारियां देंगे." विरोध में मजदूर संगठन सिर्फ राजनीतिक दल ही नहीं, देश के मजदूर संगठन और खुदरा व्यापारी भी सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं. मजदूर संगठनों के राष्ट्रीय महासंघ के सचिव प्रवीण खंडेलवाल का कहना है, "इस फैसले से छोटे व्यापारी समाप्त हो जाएंगे.अंतरराष्ट्रीय कंपनियां बड़े आक्रामक तरीके से कीमतों का निर्धारण करती हैं. उनकी कोशिश होती है कि प्रतिस्पर्धियों को किसी भी तरह से बाजार से खदेड़ दिया जाए. इसके विरोध में सभी दुकानें बंद रहेंगीं और व्यापारी इस बारे में मिल बैठ कर रणनीति तय करेंगे." मजदूर संगठनों के राष्ट्रीय महासंघ में इस समय करीब 10 हजार संगठन शामिल हैं. खुश हैं निवेशक विपक्षी पार्टियां और मजदूर संगठन भले ही विदेशी निवेश का विरोध कर रहे हैं लेकिन उद्योग जगत सरकार के फैसले से खुश है. निवेशकों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है. इस फैसले का असर रुपये की स्थिति पर भी पड़ा है. पिछले चार महीनों के बाद डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिति मजबूत हुई है. मनमोहन सरकार ने पिछले शुक्रवार को ही खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश की मंजूरी दी है. सरकार के फैसले के मुताबिक वॉलमार्ट और टेस्को जैसी बड़ी कंपनियां51 प्रतिशत तक निवेश कर सकती हैं बशर्ते वो कम से कम 10 करोड़ डॉलर का निवेश करें. सिर्फ खुदरा क्षेत्र ही नहीं सरकार ने उड्डयन क्षेत्र में विदेशी एयरलाइन कंपनियों को 49 फीसदी निवेश की इजाजत दे दी है. निवेशकों को उम्मीद है कि अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए रिजर्व बैंक जल्द ही अपनी नीतियों की घोषणा करेगा.(DW Hindi)

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