कुल पेज दृश्य

20 अगस्त 2012

वायदा कानून में संशोधन मसला संप्रग समिति को

वायदा अनुबंध (विनियमन) संशोधन विधेयक पर संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सहयोगी तृणमूल कांग्रेस की तरफ से विरोध के बाद उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय इस विधेयक के मसौदे को नवगठित संप्रग समन्वय समिति के सामने रखने की योजना बना रहा है ताकि प्रस्तावित विधेयक पर आमसहमति बनाई जा सके। अधिकारियों ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के सदस्य और रेल मंत्री मुकुल रॉय ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर केंद्रीय कैबिनेट में इस विधेयक पर तब तक चर्चा नहीं करने को कहा है जब तक कि इसके प्रावधानों पर आमसहमति न बन जाए। अधिकारियों ने कहा कि इसे देखते हुए यह कदम उठाना आवश्यक हो गया है। टीएमसी चाहता है कि जिंस बाजार नियामक वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) को ज्यादा अधिकार देने वाले इस विधेयक को कैबिनेट के सामने पेश किए जाने से पहले राज्यों के साथ संपर्क किया जाए। संसद की स्थायी समिति की तरफ से संशोधन के बाद कैबिनेट ने इस विधेयक पर 17 अगस्त को लगातार चौथी बार चर्चा टाल दी जबकि कैबिनेट में इस पर विचार किया जाना था। यह चौथा मौका था जब एफसीआर संशोधन विधेयक कैबिनेट के सामने रखा गया, लेकिन तृणमूल कांग्रेस के विरोध के चलते पारित नहीं किया जा सका। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा - सभी हितधारकों को यह गलत संदेश प्रेषित करता है। ऐसे में हमने सुझाव दिया है कि इस विधेयक पर सबसे पहले संप्रग समन्वय समिति में चर्चा हो और अगर आमसहमति हो तो इसके बाद ही इसे कैबिनेट के सामने रखा जाना चाहिए। संप्रग समन्वय समिति की बैठक इस महीने हो सकती है और कांग्रेस व सहयोगी पार्टियों के विभिन्न विवादित मसलों पर चर्चा कर सकती है। अधिकारियों ने कहा कि इस बैठक में एफसीआरए विधेयक पर प्रमुखता से चर्चा होने की संभावना है। उन्होंने कहा - टीएमसी का मानना है कि विधेयक के मौजूदा स्वरूप से छोटे व मझोले किसानों के साथ-साथ आम आदमी का हित प्रभावित होगा जबकि बड़े और संपन्न किसानों को फायदा होगा। पार्टी का यह भी मानना है कि सभी आवश्यक वस्तुओं के कारोबार की अनुमति वायदा बाजार मेंं नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि कृषि उत्पादन व विपणन से जुड़ाव नहीं रखने वाले आम लोगों को डेरिवेटिव बाजार से शायद ही कोई लाभ हासिल होगा। इस पत्र में नैशल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) में सोया, चाना और गेहूं की कीमतों में उतारचढ़ाव का उदाहरण पेश किया गया है। अधिकारियों ने कहा कि समन्वय समिति के सामने विधेयक पर टीएमसी के एतराज पर चर्चा का मामला भी प्रधानमंत्री को प्रेषित किया जा चुका है। इसके अलावा एफएमसी को ज्यादा अधिकार देने के अलावा इस विधेयक का मकसद संस्थागत निवेशकों को वायदा बाजार में प्रवेश और नए उत्पाद मसलन ऑप्शन आदि की अनुमति देना है। एफसीआरए में संशोधन के जरिए वायदा बाजार में सूचकांक के कारोबार की अनुमति के अलावा वैयक्तिक जिंसों व सूचकांक में ऑप्शन कारोबार की अनुमति देने की बात कही गई है। इस संशोधन को सबसे पहले एक आधिकारिक अध्यादेश के जरिए मंजूरी दी गई थी। हालांकि यह खारिज हो गया क्योंकि वामपंथियों के विरोध के चलते 14वीं लोकसभा में इसे पारित नहीं किया जा सका। इसके बाद कैबिनेट ने इसे सितंबर 2010 में एक बार फिर मंजूरी दी और संसद में इसे पेश किया गया। इसके बाद विधेयक को संसद की स्थायी समिति को सौंप दिया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि इस सुधार का सबसे ज्यादा लाभ कंपनियों को मिलेगा, जो जिंसों का उत्पादन करते हैं या इनका इस्तेमाल कच्चे माल के तौर पर करते हैं क्योंकि ऑप्शन के जरिए उतारचढ़ाव वाले बाजार में उन्हें और सुरक्षा मिलेगी। (BS Hindi)

कोई टिप्पणी नहीं: