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28 अगस्त 2012

नहीं बढ़ेगा गेहूं का समर्थन मूल्य

नई दिल्ली। महंगाई रोकने में नाकाम रही सरकारी नीतियों का खामियाजा अब किसानों को भुगतना पड़ सकता है। अभी तक गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में आंख मूंद कर बढ़ोतरी कर रही सरकार ने किसानों को इस वर्ष ठेंगा दिखाने का मन बना लिया है। वजह यह बताई जा रही है कि समर्थन मूल्य बढ़ाने से ही खाद्यान्न की कीमतें आसमान छू रही हैं। खरीद की गारंटी और आकर्षक मूल्य मिलने से किसानों ने विपरीत परिस्थितियों में भी गेहूं की बंपर पैदावार की है। इसका इतना उत्पादन हुआ कि रखने की जगह कम पड़ने लगी है। मगर किसानों को दिया जा रहा समर्थन मूल्य का प्रोत्साहन ही अब सरकार को बोझ लगने लगा है। यही वजह है कि कृषि लागत व मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने आगामी रबी सीजन के लिए गेहूं के एमएसपी में किसी वृद्धि की सिफारिश नहीं की है। सरकार का एक बड़ा तबका खाद्यान्न की महंगाई के लिए एमएसपी में वृद्धि को जिम्मेदार मानता रहा है। वित्त मंत्रालय के साथ साथ खाद्य मंत्रालय भी इसके खिलाफ रहा है। पिछले पांच साल (2007-12) में गेहूं का एमएसपी 750 रुपये प्रति क्िवटल से बढ़ाकर 1285 रुपये कर दिया गया। सरकार के इसी प्रोत्साहन के चलते किसानों ने गेहूं का उत्पादन 7.85 करोड़ टन से बढ़ाकर 9.30 करोड़ टन तक पहुंचा दिया। इससे जहां खाद्य सुरक्षा को बल मिला है, वहीं सरकार सबके लिए रियायती अनाज देने वाले खाद्य सुरक्षा विधेयक लाने की मंशा पाले बैठी है। सूत्रों के मुताबिक सीएसीपी की ताजा सिफारिश में गेहूं के मौजूदा एमएसपी 1285 रुपये प्रति क्विंटल की दर को दुहरा दिया गया है। इसमें कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय गेहूं की लागत मूल्य अधिक होने की वजह से निर्यात करना संभव नहीं हो पा रहा है। एमएसपी में साल दर साल वृद्धि करने से ही खाद्य सब्सिडी 75 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। (Dainik Jagran)

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