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16 जुलाई 2012

एमईपी हटने पर भी प्याज निर्यात में मामूली बढ़त

देरी का खामियाजा - सरकार ने एमईपी हटाने का फैसला देरी से लिया। इससे प्याज किसानों को फायदा नहीं मिला। पिछले मई में सरकार द्वारा प्याज पर न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) हटाए जाने से भी निर्यात में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई है। वित्त वर्ष 2012-13 के पहले तीन माह में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले प्याज के निर्यात में सिर्फ 32,000 टन की बढ़ोतरी हुई है। प्याज निर्यात के लिए नोडल एजेंसी नेफेड द्वारा एकत्रित आंकड़ों के मुताबिक इस साल अप्रैल-जून तिमाही के दौरान भारत से 461,854 टन प्याज का निर्यात किया गया जबकि पिछले साल इस दौरान 429,802 टन निर्यात किया गया था। प्याज निर्यात के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) देने वाली प्रमुख एजेंसी है। सरकार ने पिछले मई माह के शुरू में एमईपी हटाने का फैसला किया था। यह फैसला किसानों को प्याज का बेहतर मूल्य दिलाने के लिए किया गया था। नेशनल हॉर्टीकल्चर रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन (एनएचआरडीएफ) के डायरेक्टर आर. पी. गुप्ता ने बताया कि एमईपी हटने के बाद भी प्याज के निर्यात में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई क्योंकि एमईपी हटने के समय विश्व बाजार में सप्लाई काफी ज्यादा थी। पारंपरिक प्याज आयातक देश पहले ही दूसरे निर्यातक देशों के साथ अनुबंध कर चुके थे। इस वजह से विदेशी बाजार में ज्यादा निर्यात किए जाने की गुंजाइश नहीं थी। प्याज के प्रमुख निर्यातक देशों में खाड़ी देश, बांग्लादेश, श्रीलंका, मलेशिया, धुर-पूर्वी देश शामिल हैं। महाराष्ट्र में नासिक जिले की प्रमुख प्याज उत्पादक मंडी लासलगांव की एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमेटी (एपीएमसी) के चेयरमैन जे. एस. होल्कर ने बताया कि सरकार ने एमईपी हटाने का फैसला देरी से लिया। इस वजह से प्याज उत्पादकों को फायदा नहीं मिला। हाालंकि मुंबई के कृषि उपज निर्यातक संघ के अध्यक्ष अजीत शाह ने कहा कि समुद्री जहाजों की कमी होने के कारण भी निर्यात में बढ़ोतरी नहीं हो पाई। (Business Bhaskar)

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