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07 जुलाई 2012

छोटी मात्रा में कई टेंडरों के जरिये होगा गेहूं का निर्यात

बेहतर मूल्य पाने को सरकारी कंपनियां डेढ़-डेढ़ लाख टन के टेंडर जारी करेंगी सार्वजनिक क्षेत्र की ट्रेडिंग कंपनियां एसटीसी, एमएमटीसी और पीईसी 20 लाख टन गेहूं निर्यात करने के लिए छोटी मात्रा के कई वैश्विक टेंडर जारी कर सकती हैं। सरकार ने इस सप्ताह के शुरू में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदामों स 20 लाख टन गेहूं निर्यात की अनुमति दी थी। सूत्रों के अनुसार बेहतर मूल्य पाने के लिए प्रत्येक निर्यात टेंडर में 1.5 लाख टन गेहूं निर्यात के लिए बिड आमंत्रित की जाएंगी। आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीईए) ने नई फसल के गेहूं के लिए गोदाम खाली करने के मकसद से 20 लाख टन गेहूं निर्यात की अनुमति दी है। सीसीईए ने सरकार की ओर से गेहूं निर्यात करने के लिए ट्रेडिंग कंपनियों को निर्देश दिया है। निर्यात के लिए न्यूनतम मूल्य 228 डॉलर प्रति टन तय किया गया है। सूत्रों के अनुसार ट्रेडिंग कंपनियों को बंदरगाहों पर समुद्री जहाजों की दिक्कत को देखते हुए छोटी मात्रा में निर्यात के लिए कंपनियों को 10 से 15 टेंडर जारी करने को कहा गया है। हाल में एसटीसी ने गेहूं निर्यात का मूल्य पता लगाने के लिए टेंडर जारी किया गया था। लेकिन निर्यात नई बिड के आधार पर किया जाएगा। हालांकि प्रत्येक टेंडर का फ्लोर प्राइस वाणिज्य सचिव की अगुवाई वाली एक कमेटी तय करेगी। हाल में केंद्रीय खाद्य मंत्री के. वी. थॉमस ने कहा था कि सरकार एक बार में सारा 20 लाख टन गेहूं निर्यात नहीं करेगी, बल्कि कमेटी वैश्विक मूल्य का जायदा लेगी और सही समय पर निर्यात का फैसला करेगी। उन्होंने कहा था कि हम निर्यात की जल्दी में नहीं है। वैश्विक बाजार पर नजर रखी जा रही है क्योंकि मूल्य में सुधार हो रहा है। पिछले दो सप्ताह के दौरान शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड (सीबॉट) में गेहूं के दाम करीब 20 फीसदी बढ़ गए। सरकार द्वारा खरीदे गए गेहूं की आर्थिक लागत 18,220 रुपये प्रति क्विटंल बैठ रही है। कम भाव पर 20 लाख टन गेहूं का निर्यात करने पर सरकार को करीब 1500 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना होगा। (Business Bhaskar)

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