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12 जुलाई 2012

आलू और प्याज पर चौकस सरकार

सब्जियों की बढ़ती कीमतों के मद्देनजर कृषि मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्तर पर आलू व प्याज के भंडार की रिपोर्ट मांगी है। खाद्य मंत्रालय के सहयोग से कृषि मंत्रालय प्याज, टमाटर और आलू की कीमतों पर नियंत्रण रखता है। ये सब्जियां उपभोक्ताओं के बीच काफी लोकप्रिय है और इनकी खपत भी सबसे ज्यादा होती है। राष्ट्रीय बागवानी शोध व विकास फाउंडेशन की तरफ से तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के विभिन्न कोल्ड स्टोरेज में 200-220 लाख टन आलू का भंडार है। इनमें से 15 फीसदी आलू का इस्तेमाल हो चुका है। भंडारण के आंकड़ों के अतिरिक्त विभाग ने खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय से भी उन आंकड़ों की मांग की है, जिसका इस्तेमाल खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में हुआ है। साल दर साल के हिसाब से आलू की कीमतें दोगुनी हो गई हैं और फिलहाल यह 1150-2300 रुपये प्रति क्विंटल पर बिक रहा है। यह पिछले साल की समान अवधि में 510-600 रुपये प्रति क्विंटल पर बिक रहा था। हालांकि बाजार के सूत्रों का कहना है कि 4-6 रुपये प्रति किलोग्राम की और बढ़ोतरी के बाद उपभोक्ता की तरफ से प्रतिरोध और इसकी खपत घटाने के फैसले से आलू की कीमतें सीमित दायरे में रह सकती हैं। आधिकारिक सूत्रों ने कहा, राज्यों से इसकी जमाखोरी रोकने को कहा गया है ताकि भंडारित आलू का इस्तेमाल किया जा सके। कई उथ्पादक देसी बाजार में आलू बेचने की बजाय इसके निर्यात में दिलचस्पी रखते हैं ताकि ज्यादा मुनाफा कमाया जा सके। चूंकि देश में आलू का उत्पादन हर इलाके में नहीं होता है, लिहाजा राज्यों से बाजार हस्तक्षेप योजना लागू करने को कहा गया है, क्योंकि पंजाब जैसे राज्य में दो महीने पहले ज्यादा भंडार की समस्या पैदा हुई थी। सूत्रों ने कहा कि एमआईएस के तहत राज्य सरकार को अतिरिक्त उत्पादन की खरीद करनी होती है और इसकी लागत केंद्र व राज्य सरकार बराबर-बराबर उठाते हैं। अगर स्थिति बिगड़ती है तो मंत्रालय न्यूनतम निर्यात मूल्य की सिफारिश कर सकता है। एनएचआरडीएफ ने यह भी कहा है कि एक ओर जहां पश्चिम बंगाल और बिहार में आलू की फसल खराब होने की खबर है, वहीं बारिश में कमी के चलते खरीफ सीजन में कर्नाटक में बुआई प्रभावित हुई है। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में बुआई जारी है, लेकिन यहां की किस्म महंगी है। महाराष्ट्र में खरीफ में आलू की बुआई अभी शुरू हुई है, जो मॉनसून में देरी के चलते नहीं हो पाई थी। इसके अलावा एनएचआरडीएफ ने प्याज पर भी रिपोर्ट तैयार की है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर सरकार ने हॉर्टिकल्चर एक्सप्रेस के नाम से रेल सेवा शुरू की है और इसके तहत नासिक से इसका परिवहन पश्चिम बंगाल व बिहार हो रहा है, जहां उत्पादन कम है जबकि मांग ज्यादा। आधिकारिक सूत्रों ने कहा - ऐसा पाया गया है कि रेल के जरिए महज 30 घंटे में माल पहुंच जाता है जबकि सड़क मार्ग से इसमें 100 घंटे लगते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, देश में करीब 29.5 लाख टन प्याज का भंडार है और मंडी में इसकी आवक इसी भंडार से हो रही है। फिलहाल भंडारित प्याज का 5-10 फीसदी हिस्से की खपत हो चुकी है। आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में खरीफ की फसल पिछले साल के मुकाबले कम रहने की संभावना है। खरीफ में प्याज की बुआई अभी शुरू हुई है, जो बारिश के आने पर ही जोर पकड़ेगा, खास तौर से महाराष्ट्र में। नवंबर तक देश में भंडारित स्टॉक से ही प्याज उपलब्ध होगा। अधिकारियों ने कहा कि खरीफ फसल में देरी की आशंका से भंडारित प्याज की कीमतें धीरे-धीरे बढऩे की संभावना है, लेकिन यह बहुत ज्यादा ऊपर नहीं जा सकती है। (BS Hindi)

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