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07 जुलाई 2012

विदेश में तेजी से बढऩे लगे मंडियों में कॉटन के दाम

बिजनेस भास्कर नई दिल्ली 34,800 प्रति कैंडी पर पहुंच गई कॉटन 20 दिन में 7% बढ़कर घरेलू बाजार में 72.75 सेंट प्रति पाउंड भाव हो गया हफ्ते भर में 7.4% बढ़कर एनबॉट में 352 लाख गांठ उत्पादन होने का अनुमान है वर्ष 2011-12 में कपास की बुवाई चालू खरीफ में कपास की बुवाई 37.56 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 46.61 लाख हैक्टेयर में हुई थी। तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार वर्ष 2011-12 में कपास का उत्पादन 352 लाख गांठ होने का अनुमान है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में आए सुधार और मानसून की देरी से कॉटन (जिनिंग की हुई रुई) की कीमतों में तेजी आई है। सप्ताहभर में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉटन के दाम 7.4 फीसदी बढ़े हैं। जबकि घरेलू बाजार में पिछले 20 दिनों के दौरान कॉटन के दाम 7 फीसदी बढ़कर 34,400 से 34,800 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) हो गए। मानसून में देरी हुई तो कीमतों में और भी तेजी आने की संभावना है। नॉर्थ इंडिया कॉटन एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश राठी ने बताया कि प्रमुख कॉटन उत्पादक राज्यों पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात में मानसूनी की देरी के कारण कॉटन की कीमतों में मजबूती आई है। उधर, अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी कीमतें बढ़ रही हैं। उन्होंने बताया कि न्यूयॉर्क बोर्ड ऑफ ट्रेड में जुलाई महीने के वायदा अनुबंध में कॉटन की कीमतें घटकर 28 जून को 67.70 सेंट प्रति पाउंड रह गई थी जबकि चार जुलाई को बढ़कर 72.75 सेंट प्रति पाउंड हो गई। मानसून में और देरी हुई तो मौजूदा कीमतों में और भी तेजी बनने की संभावना है। गुजरात जिनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष दलीप पटेल ने बताया कि कॉटन में यार्न मिलों की मांग बढ़ गई है। गुजरात में चालू खरीफ में कपास की बुवाई अभी तक केवल 3.82 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 4.55 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। हालांकि देशभर में बुवाई पिछले साल से ज्यादा हुई है लेकिन मानसून की देरी का असर फसल पर पडऩे की आशंका है। इसीलिए मिलों की खरीद बढ़ी हुई है। अहमदाबाद मंडी में शंकर-6 किस्म की कॉटन का भाव 15 जून को 32,300 से 32,500 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) जबकि अब बढ़कर 34,400 से 34,800 रुपये प्रति कैंडी हो गया। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में कपास की बुवाई अभी तक 37.56 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 46.61 लाख हैक्टेयर में हुई थी। तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार वर्ष 2011-12 में कपास का उत्पादन 352 लाख गांठ होने का अनुमान है। जबकि वर्ष 2010-11 में 330 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ था। (Business Bhaskar....R S Rana)

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