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09 जून 2012

जरूरत से ज्यादा नियमन की गूंज

जिंस एक्सचेंजों के गोदामों में पड़े स्टॉक के विवरण और क्लाइंट की पोजीशन आदि की जानकारी हासिल करने के लिए वायदा बाजार आयोग की तरफ से जारी हालिया दिशानिर्देश से एक्सचेंज के बड़े अधिकारियों की भृकुटि तन गई है। तीन बड़े जिंस एक्सचेंजों के वरिष्ठ अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बाजार नियामक जरूरत से ज्यादा संवेदनशील कारोबारी सूचना मांग रहे हैं और इसके परिणामस्वरूप जिंस डेरिवेटिव बाजार का नियमन जरूरत से ज्यादा हो गया है।
पिछले हफ्ते बाजार नियामक ने पांचों राष्ट्रीय एक्सचेंजों को तीन पत्र लिखे थे और मासिक आधार पर उन10 प्रमुख जिंसों की विस्तृत जानकारी मांगी थी जिनमें बढ़त हुई थी या फिर नुकसान हुआ था। एफएमसी ने एक्सचेंजों से यह सूचना अपनी-अपनी वेबसाइट पर डालने को कहा था। इसके अतिरिक्त एफएमसी ने हर जिंस के सभी अनुबंधों में कारोबारियों की संख्या और इसकी मात्रा के साथ-साथ ज्यादा उतारचढ़ाव वाली जिंसों के ओपन इंटरेस्ट अनुपात (खड़े सौदों का अनुपात) की भी जानकारी मांगी थी। इस संबंध में एक्सचेंजों को पिछले तीन साल का आंकड़ा मुहैया कराना है। एक्सचेंज के गोदामों में पड़े स्टॉक के साथ-साथ इससे संबंधित आठ तरह की जानकारियां विस्तार से मांगी गई है, जिसमें जिंसों की आवक और सुपुर्दगी के अलावा वसूले जाने वाले शुल्क, बीमा और जोखिम से संबंधित नीतियां शामिल हैं।
एनसीडीईएक्स के प्रमुख (कॉरपोरेट सेवा) आनंद कुमार ने कहा कि एफएमसी का कदम जिंस बाजार के हित में है। लेकिन अन्य एक्सचेंजों के अधिकारियों ने कहा कि वेबसाइट पर हर जिंस की कारोबारी मात्रा और मुनाफा व घाटे के बारे में जानकारी देने के अलावा गोदामों आदि की जानकारी देने से इसका दुरुपयोग हो सकता है। इसके अलावा इन सूचनाओं का संकलन करने में इसे कई चरणों से गुजरना होता है, लिहाजा इसमें सूचनाओं के बाहर जाने की भी आशंका हो सकती है।
एक एक्सचेंज के सीईओ ने कहा - ऐसी सूचनाएं साझा करने से गंभीर समस्या पैदा हो सकती है क्योंकि बाद में नियामक एक्सचेंजों से मुनाफा व नुकसान के कारणों की तलाश करने को कह सकता है।
उधर, नियामक ने अपने कदमों का मजबूती से बचाव किया है। एफएमसी की आर्थिक सलाहकार उषा सुरेश ने कहा - 'अमेरिकी बाजार में डेरिवेटिव बाजार का नियामक कमोडिटी फ्यूचर्स ट्रेडिंग कमिशन (सीएफटीसी) हर हफ्ते रिपोर्ट जारी करता है, जिसमें कारोबार की संख्या, ओपन इंटरेस्ट, वाणिज्यिक व गैर-वाणिज्यिक आंकडे और सबसे ज्यादा पोजीशन रखने वाले चार कारोबारियों का नाम होता है। यहां भी इस तरह के डिस्क्लोजर से पारदर्शिता बढ़ेगी और यह बाजार के लिए अच्छा होगा।'
लेकिन एक एक्सचेंज के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जरूरत से ज्यादा नियमन की आवश्यकता नहीं है क्योंकि जिंस एक्सचेंज भी स्व-विनियमित इकाइयां हैं। किसी भी मामले में एक्सचेंज नियामक के नियमों के हिसाब से कई तरह की सूचनाएं उपलब्ध कराते हैं। एक्सचेंज के अलावा एक सदस्य व ब्रोकर ने भी कहा कि नियामक शायद क्लाइंट व सदस्य की निजता में हस्तक्षेप कर रहा है, जो अन्यथा आसानी से कारोबार में जुटा रहता है।
एमके कॉमट्रेड के सीईओ अशोक मित्तल ने कहा कि एक्सचेंजों से सूचना मांगने की बजाय नियामक को अपनी निगरानी व्यवस्था को मजबूत बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए ताकि हर चरण पर मानवीय हस्तक्षेप की दरकार न हो।
एनसीडीईएक्स के अलावा कुछ और एक्सचेंज भी एफएमसी का समर्थन कर रहे हैं। नैशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज के एमडी व सीईओ अनिल मिश्रा ने कहा - हम अपनी वेबसाइट पर गोदामों के स्टॉक आदि की जानकारी देते हैं और इसमें हर गोदाम में रोजाना माल की आवक व सुपुर्दगी के अलावा अंतिम स्टॉक की जानकारी होती है। हमें लगता है कि यह व्यवस्था पारदर्शी है। अगर एक्सचेंज से प्रमाणित गोदामों में स्टॉक में बढ़ोतरी होती है तो इससे पता चलता है कि वायदा बाजार में बेहतर कीमतें मिल रही है, ऐसे में यह मालिक के लिए बेहतर होता है। एफएमसी ने यह भी स्पष्ट किया कि गोदामों से संबंधित सूचना विश्लेषण के लिए मांगी गई है। (BS Hindi)

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