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19 जून 2012

स्टैंडर्ड पैकिंग सिस्टम अपनाने के लिए दो महीने की मोहलत

बिजनेस भास्कर नई दिल्ली

सरकार ने बिस्किट, नमकीन, चिप्स और अन्य खाद्य पदार्थ बनाने वाली कंपनियों को स्टैंडर्ड पैकिंग सिस्टम अपनाने के लिए दो महीने की मोहलत दे दी है। अब पहली सितंबर 2012 से खाद्य पदार्थों की पैकिंग के लिए स्टैंडर्ड पैकिंग सिस्टम लागू किया जायेगा। इससे पहले इसके लिए 1 जुलाई से लागू किए जाने की बात थी।

उपभोक्ता मामले मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कंपनियों की मांग को देखते हुए स्टैंडर्ड पैकिंग सिस्टम के लिए दो महीने की मोहलत दी गई है। कंपनियों को पैकेजिंग मैटेरियल और पुराने स्टॉक को समाप्त करने के लिए 31 अगस्त 2012 तक का समय दिया गया है। ऐसे में अब एक सितंबर 2012 से देशभर में खाद्य पदार्थों की पैकिंग के लिए स्टैंडर्ड सिस्टम लागू हो जाएगा। उन्होंने बताया कि दस रुपये की कीमत और दस ग्राम के पैकेट पर स्टैंडर्ड पैकिंग सिस्टम लागू नहीं होगा।

सरकार ने उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए खाद्य पदार्थों की पैकिंग के लिए स्टैंडर्ड सिस्टम लागू करने की योजना बनाई है। खाद्य पदार्थों की पैकिंग के लिए वस्तु की मात्रा तय नहीं होने के कारण कंपनियां कितने भी भार में पैकिंग कर देती हैं। ऐसे में कभी-कभी कंपनियां पैकेट की कीमत तो बराबर रखती हैं लेकिन पैकेट के अंदर रखे पदार्थ की मात्रा में कमी कर देती हैं। जिसका आमतौर पर उपभोक्ताओं को पता ही नहीं चल पाता है।

उन्होंने बताया कि स्टैंडर्ड पैकिंग सिस्टम लागू होने के बाद कंपनियां 18, 39, 49 या फिर 59 ग्राम में खाद्य पदार्थों की पैकिंग नहीं कर सकेंगी। कंपनियों को खाद्य पदार्थों की पैकिंग सीधे तौर पर जैसे 20 ग्राम, 40 ग्राम, 60 ग्राम या फिर 90 ग्राम के आधार पर ही करनी होगी।

स्टैंडर्ड पैकिंग सिस्टम लागू होने के बाद उल्लंघन करने वाली कंपनियों के खिलाफ दंड और सजा दोनों का प्रावधान होगा।

उन्होंने बताया कि डिब्बाबंद वस्तु अधिनियम के प्रावधानों और माप-तौल मानक (पैकेज्ड वस्तु) नियम, 1977 देशभर में सितंबर 1977 से लागू हैं। तथा 17 जुलाई 2006 को अधिसूचना और नियमों की समीक्षा की गई तथा उपभोक्ताओं के हितों के लिए नए प्रावधान लागू किए गए। इसके आधार पर वैट के अंतर्गत शामिल खुदरा विक्रेताओं को बेची गई चीजों की कीमत एवं भार की लिखित सूचना कंपनियों को पैकेट पर छापनी अनिवार्य है। साथ ही प्रत्येक पैकेट पर कंपनी का नाम, पता और टेलीफोन नंबर लिखना होगा ताकि उपभोक्ता अपनी शिकायतों की सूचना दे सकें। (Business Bhaskar......R S Rana)

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