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13 जून 2012

देश में अनाज का इफरात भंडार

बंपर उत्पादन और सरकारी एजेंसियों की तरफ से भारी खरीद के चलते भारतीय खाद्य निगम के प्रशासनिक नियंत्रण में खाद्यान्न का भंडार 25.64 फीसदी बढ़कर अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच रहा है। भंडारण के लिए ढंकी हुई जगह की कमी को पूरा करने के लिए एफसीआई ने क्षेत्रीय महाप्रबंधकों को निजी गोदामों को किराए पर लेने के लिए अधिकृत किया है। एफसीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि 1 जून 2012 को केंद्रीय भंडार में अनाज की मात्रा बढ़कर 824.1 लाख टन पर पहुंच गई जबकि एक साल पहले की समान अवधि में कुल 656 लाख टन अनाज का भंडार था। कुल अनाज में करीब 1 फीसदी की हिस्सेदारी रखने वाले मोटे अनाज को छोड़ दें तो अनाज के भंडार में भारी उछाल आई है। हालांकि मोटे अनाज का भंडार करीब 23 फीसदी घटकर 0.9 लाख टन पर आ गया है जबकि 1 जून 2011 को 1.2 लाख टन मोटा अनाज मौजूद था।
हालांकि अनाज के उत्पादन में कुल मिलाकर 3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और यह इस साल 25.25 करोड़ टन हो गया है जबकि पिछले साल यह 24.48 करोड़ टन था। कृषि मंत्री ने अपने तीसरे अग्रिम अनुमान में हालांकि कहा है कि उत्पादन का यह नया रिकॉर्ड होगा।
एफसीआई हर दिन न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 34 लाख टन गेहूं की खरीद कर रहा है और एफसीआई 1 जून तक 342.7 लाख टन गेहूं की खरीद कर चुका है, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 80 लाख टन ज्यादा है। नियमों के मुताबिक 1 जुलाई 2012 तक एफसीआई को बफर स्टॉक के तौर पर 98 लाख टन और रणनीतिक रिजर्व के तौर पर 20 लाख टन चावल रखने की दरकार है। इसी तरह इस तारीख को बफर व रणनीतिक भंडार के तौर पर क्रमश: 171 लाख टन व 30 लाख टन गेहूं रखने की दरकार है। ऐसे में नियमों के मुताबिक उपलब्ध स्टॉक करीब 250 फीसदी ज्यादा है।
एफसीआई के एक अधिकारी ने कहा कि इस सीजन में बंपर उत्पादन के चलते खरीद रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। लेकिन राज्यों की तरफ से कम उठाव के चलते भंडार लगातार बढ़ रहा है।
इस बीच, सरकार ने दो साल की गारंटी योजना के तहत निजी गोदामों के किराए पर लेने के लिए उदारता बरती है क्योंकि सेंट्रल वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन और स्टेट वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन बहुत ज्यादा जगह उपलब्ध नहीं करा रहा है। सीडब्ल्यूसी के पास जहां 1 करोड़ टन से कम अनाज के भंडारण के लिए जगह है, वहीं राज्यों में एसडब्ल्यूसी के पास इतनी जगह नहीं है कि खरीदे गए और खरीदे जाने वाले अनाज का भंडारण कर सके। गोदामों की किल्लत से जूझ रहे एफसीआई ने अपने क्षेत्रीय प्रबंधकों को दो साल के लिए निजी गोदाम किराए पर लेने के लिए अधिकृत किया है। यह गारंटी अगले एक साल तक के लिए इन्हीं शर्तों पर बढ़ाई जा सकती है।
एक अधिकारी ने कहा - इसके अलावा हम लंबी अवधि के नजरिए से इसका समाधान खोज रहे हैं। एफसीआई ने सभी क्षेत्रीय प्रबंधकों को कहा है कि वे अधिकतम 4.16 रुपये प्रति क्विंटल प्रति माह के हिसाब से गोदाम किराए पर ले सकते हैं, जैसा कि निजी थोक स्टॉकिस्ट पेशकश करते हैं। हालांकि ये दरें 5.21 रुपये प्रति क्विंटल प्रति माह तक भी जा सकती हैं। (BS Hindi)

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