कुल पेज दृश्य

04 जून 2012

दलहन-तिलहन का उत्पादन बढ़ाने को सरकार सक्रिय

वित्तीय पहल :- दलहन व तिलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए एनएफएसएम का बजट आवंटन 500 करोड़ रुपये बढ़ाकर 1,850 करोड़ रुपये कर दिया गया है। उत्तर भारत के राज्यों के मुकाबले पूर्वी भारत के राज्यों में दलहन व तिलहन की प्रति हैक्टेयर उत्पादकता बढऩे की ज्यादा संभावना है।

दलहन व तिलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए देश के साठ हजार गांवों में चलाई जा रही स्कीम का विलय राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) में कर दिया गया है।

इस स्कीम का विलय किए जाने की वजह से एनएफएसएम का चालू वित्त वर्ष 2012-13 के लिए बजट आवंटन भी बढ़ा दिया गया है। एनएफएसएम के लिए आवंटित की गई राशि में 500 करोड़ रुपये की बढ़त की गई है। इसके साथ कुल आवंटन 1,850 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार ने दलहन और तिलहनों का उत्पादन बढ़ाने के लिए सिंचिंत क्षेत्रों में 60 हजार गांव को चिन्हित किया गया था। इस स्कीम का विलय चालू वित्त वर्ष 2012-13 के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) में कर दिया गया है। इसका असर चालू खरीफ सीजन (ग्रीष्मकालीन) में दलहनों की बुवाई पर पड़ा भी है।

उन्होंने बताया कि चालू खरीफ सीजन में दलहनों की बुवाई का लक्ष्य 17.49 लाख हैक्टेयर तय किया गया है जबकि अभी तक 15.11 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी है। वित्त वर्ष 2011-12 में एनएफएसएम के तहत 1,300 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया जबकि चालू वित्त वर्ष में आवंटन बढ़ाकर 1,850 रुपये करोड़ रुपये किया गया है।

उन्होंने बताया कि अनुकूल मौसम और एनएफएसएम द्वारा चलाई जा रही परियोजनाओं के परिणामस्वरूप ही देश में वर्ष 2011-12 में रिकॉर्ड 25.25 करोड़ टन खाद्यान्न का उत्पादन होने का अनुमान है। पिछले दो साल से देश में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन हो रहा है। कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू रबी में गेहूं का रिकॉर्ड 902.3 लाख टन और चावल का 1034 लाख टन उत्पादन होने का अनुमान है।

हालांकि दलहन और तिलहनों का उत्पादन वर्ष 2010-11 के मुकाबले वर्ष 2011-12 में कम होने का अनुमान है। जबकि आयात पर निर्भरता कम करने के लिए दलहन व तिलहन का उत्पादन बढ़ाना बहुत जरूरी है। इस वजह से वित्त वर्ष 2012-13 में तिलहन और दलहन का उत्पादन बढ़ाने पर एनएफएसएम के तहत विशेष जोर दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि उत्तर भारत के राज्यों के मुकाबले पूर्वी भारत के राज्यों में प्रति हैक्टेयर उत्पादकता बढऩे की ज्यादा संभावना है इसीलिए वित्त वर्ष 2012-13 में इन राज्यों के लिए आवंटित की जाने वाली राशि में बढ़ोतरी की गई है, साथ पूर्वी भारत के सभी राज्यों को इसमें शामिल किया गया है। साल 2011-12 में चावल के रिकॉर्ड उत्पादन में पूर्वी भारत के राज्यों की अहम भूमिका रही है। केंद्र सरकार ने 11वीं पंचवर्षीय योजना में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत फसलों के उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए 4,882 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। (Business Bhaskar.....R S Rana)

कोई टिप्पणी नहीं: