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09 अप्रैल 2012

बढ़ते उत्पादन अनुमान से थम गई काली मिर्च की तेजी

विश्व में काली मिर्च के सबसे बड़े उत्पादक देश वियतनाम में उत्पादन के ताजा अनुमान से वैश्विक बाजार में तेजी का दौर थम गया है। इस सीजन में वियतनाम में उत्पादन बढ़कर 1,35,000 टन से 1,40,000 टन पर पहुंच सकता है जबकि पहले 1 लाख से 1.10 लाख टन काली मिर्च के उत्पादन का अनुमान था।
ये अनुमान नए इलाकों में उत्पादन में तेज बढ़ोतरी पर आधारित हैं। वियतनाम की रिपोर्ट के मुताबिक गियालई और क्वांगत्री जिले के कुछ नए इलाकों में इसकी बुआई हुई थी और वहां 50,000 टन से ज्यादा काली मिर्च का उत्पादन हो सकता है। पहले यहां सिर्फ 28,000 टन काली मिर्च के उत्पादन का अनुमान था। ऐसे में वियतनाम से खास तौर से एएसटीए किस्म की काली मिर्च की आपूर्ति ज्यादा होगी। अब वियतनाम के कारोबारी काली मिर्च की पेशकश कम कीमत यानी 6750 डॉलर प्रति टन पर कर रहे हैं, जो एक महीने पहले करीब 7200 डॉलर प्रति टन थी। इस सीजन में वियतनाम में फसलों की कटाई इंडोनेशिया के बाद होगी, जहां 20,000 टन काली मिर्च उत्पादन का अनुमान है। इंडोनेशिया में जून में कटाई की शुरुआत होगी।
इस बीच, इंडोनेशिया ने एएसटीए किस्म की कीमतें 7500 डॉलर प्रति टन से घटाकर 7350 डॉलर कर दी हैं जबकि ब्राजील 7100 डॉलर प्रति टन के भाव पर काली मिर्च की पेशकश कर रहा है। यूरोप व अमेरिका में मांग ने जोर नहीं पकड़ा है क्योंकि आयातक आने वाले हफ्तों में कीमतों में और कटौती की उम्मीद कर रहे हैं। अमेरिका के आयातकों ने कहा कि इंडोनेशिया के सक्रिय होने पर कीमतें घटकर 6000 डॉलर प्रति टन पर भी आ सकती हैं।
कीमतों के लाभ के चलते वियतनाम में निर्यात की अच्छी मांग है और अब वे अधिकतम मात्रा की पेशकश कर रहे हैं। मार्च में वियतनाम ने 17,000 टन काली मिर्च का निर्यात किया था। 8,000 डॉलर प्रति टन के सर्वोच्च स्तर पर होने के चलते काली मिर्च के वैश्विक बाजार में भारत कहीं नहीं है। वायदा बाजार में सटोरिया गतिविधियों के चलते भारतीय बाजार चौपट हो गया और कीमतें भी काफी ज्यादा रहीं। यूरोपीय और अमेरिकी खरीदारों की भारत में दिलचस्पी नहीं है क्योंकि दूसरी जगहों से उन्हें कम कीमत पर काली मिर्च उपलब्ध हो रही है। वियतनाम में एएसटीए किस्म कम कीमत पर इफरात में उपलब्ध है।
एफएमसी ने पिछले दो-तीन महीने से चल रही सटोरिया गतिविधियों के खिलाफ अब तक सख्त कदम नहीं उठाया है। ऐसे में भारतीय बाजार में अनावश्यक तेजी आ गई है। इससे खास तौर से केरल के उत्पादकों को लग रहा है कि कीमतें 500 रुपये प्रति किलोग्राम को पार कर जाएंगी। (BS Hindi)

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