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02 अप्रैल 2012

दाल और खाद्य तेलों की तेजी थामने को सरकार सक्रिय

दालों के साथ खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों ने भी सरकार की चिंता बढ़ा दी है। बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने संबंधित मंत्रालयों से कठोर कदम उठाने का निर्देश दिया है। साथ ही मंत्रालयों से एक सप्ताह के भीतर दलहन और तिलहनों के मूल्यों में उथल-पुथल पर रिपोर्ट देने को भी कहा गया है।

उपभोक्ता मामले मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चना और सरसों के दाम बढ़े हैं। इसीलिए चालू सप्ताह में केबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सभी संबंधित मंत्रालय की एक बैठक हुई, जिसमें इनकी कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा गया है। उन्होंने बताया कि एक सप्ताह के भीतर इसकी रिपोर्ट भी देने को भी कहा गया है।

दलहन और तिलहन की प्रमुख फसलों चना और सरसों की कीमतों में महीने भर में 400-500 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है। दिल्ली मंडी में चना का भाव 3,900 रुपये और सरसों का 4,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। हालांकि पिछले दो दिनों से इनकी कीमतों में हल्की गिरावट भी आई है। घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में 2 से 5 रुपये और दालों की कीमतों में 5 से 7 रुपये प्रति किलो की तेजी आई है।

फुटकर बाजार में सरसों तेल का भाव बढ़कर 94 से 100 रुपये, मूंगफली तेल का 107 रुपये, सोया तेल का 80 से 85 रुपये प्रति किलो हो गया। इस दौरान चना दाल का भाव बढ़कर 50-55 रुपये, मूंग दाल का 70-75 रुपये, अरहर दाल का 68-75 रुपये और उड़द दाल का 65-72 रुपये प्रति किलो हो गया।

उन्होंने बताया कि चालू सीजन में दलहन और तिलहनों के उत्पादन में कमी आने का अनुमान है जिसका असर इनकी कीमतों पर पड़ रहा है। कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार वर्ष 2011-12 में दालों का उत्पादन 182.4 लाख टन से घटकर 172.8 लाख टन होने का अनुमान है। इसी तरह से तिलहनों का उत्पादन 324.79 लाख टन से घटकर 305.29 लाख टन ही होने का अनुमान है। (Business Bhaskar...R S Rana)

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