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12 मार्च 2012

पैदावार में कमी से बढऩे लगे दलहन व खाद्य तेलों के दाम

रबी सीजन में दलहन और तिलहन का उत्पादन घटने के अनुमान से इनकी कीमतों में तेजी आने लगी है। अप्रैल में उपभोक्ताओं को दलहन और खाद्य तेलों की तेजी और ज्यादा चुभने लगेगी। चालू रबी सीजन में तिलहनों की पैदावार में 6.3 फीसदी और दलहन के उत्पादन में 5.5 फीसदी कमी आने का अनुमान है। ऐसे में आयात पर निर्भरता बढ़ जाएगी, जिससे दालों और खाद्य तेलों की कीमतों में तेजी को बल मिल रहा है।

उपभोक्ता मामले मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दलहन और तिलहन की घरेलू पैदावार में कमी आने का अनुमान है इसीलिए खाद्य तेलों के साथ ही दलहन की कीमतें भी बढ़ सकती है। कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार 2011-12 में दलहन का उत्पादन घटकर 172.8 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 182.4 लाख टन का उत्पादन हुआ था। इसी तरह से तिलहन का उत्पादन भी पिछले साल के 324.79 लाख टन से घटकर 305.29 लाख टन होने का अनुमान है।

दिल्ली वेजिटेबल ऑयल ट्रेडर्स एसोसिएशन के सचिव हेमंत गुप्ता ने बताया कि खाद्य तेलों की कीमतों में पिछले सप्ताहभर में करीब 3 से 5 रुपये प्रति किलो की तेजी हो चुकी है। अप्रैल में रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की आवक कम हो जाएगी जिसका असर कीमतों पर पडऩे की संभावना है।

घरेलू खुदरा बाजार में सरसों तेल का भाव 94 रुपये, सोया तेल का 80 रुपये, मूंगफली तेल का 107 रुपये और सनफ्लॉवर का 90 रुपये प्रति किलो चल रहा है। पिछले तीन महीनों में खाद्य तेलों का आयात 2 फीसदी बढ़कर 21.85 लाख टन का हो गया। उधर, ब्राजील में सोयाबीन का उत्पादन अनुमान 7 करोड़ से घटकर 6.8 करोड़ टन होने का है।

ग्लोबल दाल इंडस्ट्रीज के मैनेजिंग डायरेक्टर चंद्रशेखर एस. नादर ने बताया कि रबी में दलहन की प्रमुख फसल चने के उत्पादन में कमी आने की आशंका है। इसीलिए आवक का सीजन होने के बावजूद चने के दाम बढ़े हैं। दिल्ली में चने का भाव 3,525 से 3,635 रुपये और ऑस्ट्रेलियाई चने का भाव मुंबई में 3,450 रुपये प्रति क्विंटल है।

खुदरा बाजार में चने की दाल का भाव 48-50 रुपये, अरहर की दाल का 70-75 रुपये, उड़द की दाल का 65-70 रुपये, मूंग दाल का 75-80 रुपये और मसूर की दाल का भाव 55 रुपये प्रति किलो हैं।

बंदेवार दाल एंड बेसन मिल्स के डायरेक्टर सुनील बंदेवार ने बताया कि आयातित दालों के दाम पिछले पंद्रह दिनों में बढ़े हैं। वैसे भी हरी सब्जियों
की उपलब्ध्ता कम होने के कारण अप्रैल-मई में दालों की खपत बढ़ जाती है। इसलिए मौजूदा कीमतों में तेजी की ही संभावना है। (Business Bhaskar....R S Rana)

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