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12 मार्च 2012

उत्पादन बढऩे से चीनी मिलें शीरा सस्ता बेचने को मजबूर

नई दिल्ली चालू गन्ना पेराई सीजन (2011-12) में शीरे का ज्यादा उत्पादन चीनी मिलों के लिए मुश्किल बन गया है। चालू सीजन में शीरे का उत्पादन बढ़ रहा है जबकि मांग नहीं बढ़ रही है। इस वजह से मिलों के टैंक भर हो चुके है तथा बिक्री काफी कम है। ऐसे में चीनी मिलों को लगातार भाव घटाकर शीरा की बिकवाली करनी पड़ रही है। उत्तर प्रदेश में शीरा के दाम घटकर 2,250 से 2,500 रुपये और महाराष्ट्र में 3,000 से 3,250 रुपये प्रति टन रह गए।

इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चीनी के दाम तो कम हैं ही, साथ में मिलों को शीरा की बिकवाली भी भाव घटाकर करनी पड़ रही है। ऐसे में चीनी मिलों को दोहरा नुकसान हो रहा है। चालू पेराई सीजन में शीरा का उत्पादन बढ़कर 115.2 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले सीजन में 107.44 लाख टन उत्पादन हुआ था।

चालू सीजन में अभी तक 9.21 लाख टन शीरा का निर्यात हो चुका है जबकि पिछले साल 6 लाख टन का निर्यात हुआ था। यूपी शुगर मिल्स एसोसिएशन के सचिव श्याम लाल गुप्ता ने बताया कि उत्तर प्रदेश में शीरा के दाम घटकर 2,250 से 2,500 रुपये प्रति टन रह गए जबकि पिछले साल इसका भाव 3,000 से 3,500 रुपये प्रति टन था। उन्होंने बताया कि राज्य की मिलों को कुल उत्पादन का 22 फीसदी शीरा घरेलू शराब उद्योग को देना अनिवार्य है।

मिलें एक क्विंटल शीरा घरेलू शराब कंपनियों को बेचेंगी तभी फ्री सेल में 3.5 क्विंटल शीरे की बिक्री कर सकती हैं। ऐसे में मिलों को मजबूरन भाव घटाकर बिकवाली करनी पड़ रही है। घरेलू शराब कपंनियों को मात्र 40 से 45 रुपये प्रति क्विंटल की दर से शीरा की बिकवाली की जा रही है। नेशनल कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज लिमिटेड महाराष्ट्र के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चालू सीजन में शीरा के उत्पादन में बढ़ोतरी को देखते हुए शराब और केमिकल उद्योग की मांग काफी कम आ रही है।

इसीलिए मिलों को दाम घटाकर शीरा बेचना पड़ रहा है। महाराष्ट्र की मिलें 3,000 से 3,250 रुपये प्रति टन की दर से शीरा की बिकवाली कर रही है जबकि पिछले साल दाम 4,000 से 4,250 रुपये प्रति टन था। ऑल इंडिया डिस्टलरीज एसोसिएशन के महानिदेशक वी. के. रैना ने बताया कि चालू गन्ना पेराई सीजन शीरा का उत्पादन 115 लाख से ज्यादा होने का अनुमान है।

एक टन शीरा से 225 लीटर एथनॉल बनता है। शीरा के कुल उत्पादन का करीब 45 से 50 फीसदी की खपत शराब कंपनियों में होती है। चालू सीजन में शराब उद्योग की मांग 40 करोड़ केसेज (एक केसेज-चार लीटर) की मांग आने का अनुमान है। शराब बनाने में एक्सट्रा न्यूट्रल अल्कोहल का उपयोग होता है। (Business Bhaskar....R S Rana)

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