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22 मार्च 2012

लखटकिया बना ग्वार गम

सटोरियों की चाल के साथ-साथ विदेशी मांग में उफान के बल पर ग्वार गम का भाव बुधवार को 1 लाख रुपये प्रति क्विंटल के पार पहुंच गया। लगभग हर दिन सर्किट की सीढिय़ों पर चढ़ते ग्वार गम के साथ ग्वार भी 30 हजार रुपये प्रति क्ंिवटल को पार कर गया। जिंस बाजार में सटोरिया जिंस का तमगा प्राप्त कर चुके ग्वार ने वायदा बाजार आयोग के साथ जिंस के जानकारों का भी मुंह बंद कर दिया है।
ग्वार की सबसे बड़ी मंडी जयपुर में बुधवार को ग्वार गम की कीमतें 10 फीसदी उछलकर 1,00,110 रुपये और ग्वार 30,296 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गई। हाजिर बाजार की तेजी से वायदा बाजार में ग्वार गम और ग्वार के सभी अनुबंधों में 4 फीसदी का अपर सर्किट लग गया। हालांकि सर्किट लगने की वजह से वायदा में ग्वार गम 1 लाख की दहलीज को पार नहीं कर पाया। एनसीडीईएक्स पर ग्वार गम 4 फीसदी के अपर सर्किट के चलते अप्रैल अनुबंध 95,920 और मई 96,540 रुपये प्रति क्ंिवटल पर पहुंच गया। ग्वार अप्रैल अनुबंध 29,900 और मई 29,720 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया।
ग्वार की सटोरिया चाल पर काबू पाने के लिए वायदा बाजार आयोग ने पिछले तीन महीनों में काफी कोशिशें की, लेकिन इन सारी कोशिशों को मुंह चिढ़ाते हुए ग्वार गम और ग्वार की कीमतें फर्राटे से आगे बढ़ती रही। कीमतों पर काबू पाने के लिए आयोग ने मार्जिन बढ़ाने के साथ खरीद की सीमा भी तय कर दी। इसकेबावजूद इस साल जनवरी से अभी तक ग्वार गम और ग्वार की कीमतों में करीब 322 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और पिछले एक महीने के अंदर करीब 100 फीसदी जबकि साल भर में कीमतें 10 गुने से भी ज्यादा बढ़ चुकी हैं। मार्च 2011 को जयपुर मंडी में ग्वार गम 7,775 रुपये और ग्वार 2,703 रुपये प्रति क्विंटल थी। गौरतलब है कि एनसीडीईएक्स ने ग्वार की ट्रेडिंग यूनिट 10 टन से घटाकर 1 टन और टिक साइज 1 रुपये से बढ़ाकर 10 रुपये कर दिया। जबकि ग्वार गम की टे्रडिंग यूनिट 5 टन से कम करके 1 टन और टिक साइज 2 रुपये से बढ़ाकर 10 रुपये कर दी है। ट्रेडिंग यूनिट कम करने के बावजूद इस समय ग्वार पर करीब 62 फीसदी का मार्जिन है।
ग्वार में तेजी की वजह सटोरियों की मेहरबानी के साथ उत्पादन कम होने और निर्यात मांग अधिक रहने को माना जा रहा है। उत्पादन कम होने के साथ इस साल कैरी फॉरवर्ड स्टॉक भी बहुत कम बचा है। इस सीजन में स्टॉक महज 1.5-2 लाख टन के आसपास है जबकि औसतन कैरी फारवर्ड स्टॉक 4-4.5 लाख टन रहता है। कम उत्पादन और कम स्टॉक को देखते हुए जानकारों का कहना है कि फिलहाल ग्वार की कीमतें थमने वाली नहीं है, लेकिन जिस ऊचाई पर कीमतें है वहां से कभी भी गिर सकती है। (BS Hindi)

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