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29 मार्च 2012

ग्वार में आई तेजी की फिर से जांच होगी

छोटे निवेशकों के संगठनों, एसोचैम और कुछ सांसदों की शिकायत मिलने के बाद उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने ग्वार गम और ग्वार सीड वायदा अनुबंधों में भारी उथल-पुथल की दुबारा जांच कराने का आदेश दिया है। उपभोक्ता मामले मंत्री के. वी. थॉमस ने एक इंटरव्यू में बताया कि फॉरवर्ड मार्केट्स कमीशन (एफएमसी) को नए सिरे से इस मामले की जांच करने का निर्देश दिया गया है।

उन्होंने बताया कि विभिन्न वर्गों से शिकायतें मिलने के बाद मंत्रालय ने इस मसले की गंभीरता से जांच करने और आवश्यक कार्रवाई करने का फैसला किया है।

ग्वार गम और ग्वार सीड के मूल्य में तेजी आने के कारण गड़बड़ी होने की शिकायतों की एफएमसी पहली जांच हाल में पूरी कर चुका है। एफएमसी ने कमोडिटी एक्सचेंजों के तीन सदस्यों को एक साल के लिए कारोबार से निलंबित किया था।
थॉमस ने बताया कि एसोचैम ने 19 मार्च को मंत्रालय से मामले की दुबारा जांच की मांग करते हुए आरोप लगाया था कि ग्वार की कीमतों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हो रही है।

पिछले एक साल में ग्वार गम और ग्वार सीड के दाम दस गुने से भी ज्यादा बढ़ चुके हैं। ग्वार गम में तेजी के लिए कम बकाया स्टॉक, उत्पादन में कमी और ज्यादा निर्यात मांग को प्रमुख वजह बताया गया। क्रूड ऑयल में तेजी आने की वजह से अमेरिका की ड्रिलिंग कंपनियों की ओर से उत्पादन बढ़ा दिया गया है। इससे उनकी ओर से ग्वार गम की मांग बढ़ गई। ग्वार गम का इस्तेमाल ड्रिलिंग के दौरान सील करने के लिए किया जाता है।

ग्वार में तेजी बदस्तूर जारी
नई दिल्ली पिछले सप्ताह ग्वार-ग्वार गम के अनुबंधों में नए सौदों पर रोक लगने के बाद भी तेजी आ रही है। एनसीडीईएक्स पर ग्वारसीड और ग्वारगम के अनुबंधों में लगातार तेजी दर्ज की जा रही है। इनके ज्यादातर अनुबंधों में मंगलवार को चार फीसदी बढ़त आने के कारण अपर सर्किट लग गया। ग्वारसीड व ग्वारगम अप्रैल वायदा चार फीसदी के अपर सर्किट को छूकर क्रमश: 25,080 और 80,970 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज किया गया।

उधर जोधपुर स्थित ग्वार सीड व ग्वार गम के एक थोक कारोबारी के मुताबिक हाजिर बाजार में ग्वार गम की कीमतों में मंगलवार को करीब 7,000 रुपये की तेजी आकर भाव 92,000 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर पहुंच गया। वहीं ग्वार सीड के भाव में करीब 1600 रुपये की तेजी दर्ज की गई। जोधपुर हाजिर बाजार में ग्वार सीड का भाव 27,000-28,050 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज किया गया। (ब्यूरो) (Business Bhaskar)

एथेनॉल की होगी कमी!

पेट्रोल में अनिवार्य रूप से 5 फीसदी मिश्रण के लिए एथेनॉल की भारी कमी हो सकती है। कारण कि देश की चीनी मिलें एथेनॉल के उत्पादन में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल औद्योगिक व पीने योग्य शराब उत्पादन के लिए दे रही हैं।
देश की चीनी मिलों में अब तक 236.5 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है। लिहाजा, मौजूदा सीजन में एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल (ईएनए) का उत्पादन 240 करोड़ लीटर होने का अनुमान है। ईएनए का इस्तेमाल कच्चे माल के तौर पर एथेनॉल के साथ-साथ अल्कोहल यानी शराब उत्पादन में होता है। डॉ. सौमित्र चौधरी की अगुआई में योजना आयोग ने पेट्रोल में पांच फीसदी एथेनॉल के अनिवार्य मिश्रण की सिफारिश की है और आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने भी इसे मंजूर किया है। तेल विपणन कंपनियां मौजूदा सीजन में जनवरी-फरवरी में 101 करोड़ लीटर एथेनॉल की खरीद के लिए टेंडर जारी कर चुकी हैं। पर यह अभी तक पूरा नहीं हो पाया है क्योंकि सरकार ने हरित ईंधन की कीमतों में इजाफे का फैसला नहीं किया
है। पेट्रोलियम मंत्रालय ने एथेनॉल की कीमत मौजूदा 27 रुपये प्रति लीटर के मुकाबले 34-35 रुपये प्रति लीटर करने को मंजूरी दी है। लेकिन सरकार ने इसे अधिसूचित नहीं किया है।
एथेनॉलइंडिया डॉट नेट के चीफ कंसल्टेंट दीपक देसाई ने कहा, 'हम ऐसे मुकाम की ओर बढ़ रहे हैं जहां आने वाले महीने में एथेनॉल शायद ही उपलब्ध हो पाएगा। चूंकि एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल (ईएनए) चीनी उत्पादन के दौरान स्वत: ही तैयार होता है और इसका इस्तेमाल कच्चे माल के तौर पर एथेनॉल उत्पादन में होता है। देसी-विदेशी शराब विनिर्माताओं के बीच इसकी भारी मांग है, लेकिन इस सीजन में इसकी आपूर्ति काफी कम रह सकती है। पिछले साल चीनी मिलों ने सरकार के सामने 610 लाख लीटर एथेनॉल बेचने का प्रस्ताव रखा था, जिसमें से 58 करोड़ लीटर पर ही अंतिम रूप से मुहर लग पाई। दिलचस्प रूप से तेल विपणन कंपनियों ने चीनी मिलों से 47 करोड़ लीटर एथेनॉल खरीद का अनुबंध किया। इसका मतलब यह हुआ कि तेल विपणन कंपनियां इसकी खरीद नहीं कर पाएंगी। इस साल परिस्थितियां थोड़ी अलग हैं। एथेनॉल की कीमत पर सरकार के फैसला नहीं लेने से तेल विपणन कंपनियों ने अभी इसकी खरीद शुरू नहीं की है। एक ओर जहां उद्योग इस सीजन में इसकी कीमत 34 रुपये प्रति लीटर करने की मांग कर रहा है, वहीं रसायन मंत्रालय ऐसा नहीं चाहता और इसने 27 रुपये प्रति लीटर पर खरीद का सुझाव दिया है। इस बीच, तेल विपणन कंपनियां मिश्रण के लिए इसकी खरीद से संकोच कर रही हैं।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के महासचिव अविनाश वर्मा ने कहा कि शराब उद्योग में ईएनए की बिक्री एथेनॉल के मुकाबले 9 रुपये प्रति लीटर ज्यादा में होती है। ऐसे में चीनी मिलों के लिए बेहतर है कि वे ईएनए की बिक्री शराब विनिर्माताओं को करे। खास तौर पर उत्तर प्रदेश की चीनी मिलें ज्यादा कीमत हासिल करने के लिए ईएनए व शीरे की आपूर्ति पश्चिमी देशों को कर रही हैं, जो देसी बाजार के मुकाबले बराबर या कभी-कभी ज्यादा भी होता है।
चीनी उद्योग और एथेनॉल विनिर्माता इसकी आपूर्ति पिछले 18 महीने से 27 रुपये की दर पर कर रहे हैं जबकि शीरे से तैयार होने वाला वैकल्पिक उत्पाद 34-35 रुपये प्रति लीटर से ज्यादा पर बिक रहा है। ऐसे में एथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम के हक में यह है कि एथेनॉल विनिर्माता सरकार द्वारा इसकी कीमतों में बढ़ोतरी और इसकी कीमत का जुड़ाव पेट्रोल की कीमतों के साथ करने की उम्मीद में घाटा सहना जारी रखें, अन्यथा यह कार्यक्रम पूरी तरह विफल हो सकता है। (BS Hindi)

एफएमसी की सख्ती से टूटा सरसों व चना

वायदा बाजार आयोग के सख्त रुख के बाद बुधवार को सरसों और चने की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। आगे भी इनकी कीमतों में गिरावट आ सकती है। हाजिर कारोबारियों ने सरसों और चने के वायदा कारोबार पर भी रोक लगाने की मांग की है।
एफएमसी ने एक्सचेंजों से अक्टूबर 2010 से अब तक के सरसों, चना समेत अन्य तेजी से बढऩे वाली जिंसों के आंकड़े मांगे हैं। एनसीडीएक्स में चना अप्रैल अनुबंध के दाम 99 रुपये गिरकर 3608 रुपये और सरसों अप्रैल अनुबंध के दाम 88 रुपये गिरकर 3804 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
कमोडिटीइनसाइटडॉटकॉम के जिंस विश्लेषक प्रशांत कपूर ने कहा कि एफएमसी के कड़े रुख के बाद वायदा कारोबारियों ने पुराने सौदों की बिकवाली तेज कर दी है, जिससे कीमतों में गिरावट आई है।
ऐंजल ब्रोकिंग के जिंस विश्लेषक बदरुद्दीन कहते हैं - सटोरियों को डर है कि ग्वार की तरह सरसों और चने के वायदा कारोबार पर रोक न लग जाए। इसलिए वे मुनाफावसूली के मूड में हैं। वैसे भी सरसों और चने की आवक जोर पकड़ेगी और एफएमसी भी सख्त है। इन हालात में इनके दाम बढऩे की संभावना नहीं है। राजस्थान के सरसों कारोबारी निरंजन लाल और मध्य प्रदेश के चना कारोबारी समीर भार्गव ने वायदा कारोबार पर रोक लगाने की मांग की है। एक तेल मिल मालिक ने कहा कि सरसों काफी महंगी होने से मिलों को दिक्कत हो रही है। सरकार को उद्योग और उपभोक्ताओं के हित को देखते हुए इसके वायदा कारोबार को तुरंत बंद कर देना चाहिए। (BS Hindi)

ग्वार वायदा पर एफएमसी की रोक

जिंस बाजार नियामक वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) ने बुधवार से ग्वार के वायदा कारोबार पर रोक लगा दी है वहीं आयोग ने अन्य कृषि जिंसों की कीमतों में जानबूझकर बढ़ोतरी करने के मामले की भी जांच करने का निर्णय किया है।
एफएमसी ने जिंस एक्सचेंजों से आलू, ग्वार, चना, आरएम सीड, इलायची, मेंथा तेल, काली मिर्च और सोयाबीन जैसी जिंसों के लिए पिछले 6 महीनों के मार्क-टु-मार्केट (एम2एम) बेनिफिशियरी खातों की विस्तृत जानकारी मांगी है।
इसकी पुष्टि करते हुए एफएमसी के चेयरमैन रमेश अभिषेक ने कहा, 'हमने ज्यादा उतार-चढ़ाव वाले कृषि जिंसों के लिए एक्सचेंजों से बेनिफिशियरी खातों की जानकारी मांगी है। अगर कीमतों में हेरफेर की बात सामने आई, तो हम सख्त कार्रवाई करेंगे।' वायदा बाजार में ग्वार की कीमत लगातार बढऩे के कारण आयोग ने इसके कारोबार पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी है। सभी ओपन पोजीशंस मंगलवार के बंद भाव पर निपटाई जाएंगी। इस जनवरी से लेकर अभी तक ग्वार गम और ग्वार बीज के दाम 70 फीसदी बढ़ चुके हैं।
जनवरी 2009 में हल्दी का भाव 35 रुपये प्रति किलोग्राम चल रहा था लेकिन इसमें हेरफेर कर इसे एक साल में 150 रुपये प्रति किलो पर पहुंचा दिया गया था। लेकिन कुछ महीनों बाद यह 40 रुपये प्रति किलो पर आ गया। अप्रैल 2011 में काली मिर्च का भाव 225 रुपये प्रति किलो था, जो मार्च 2012 में 95
फीसदी बढ़कर 432 रुपये प्रति किलो हो गया।
सत्र में सामान्य ग्वार फली का भाव 10 रुपये प्रति किलो, ग्वार सीड का भाव 25 रुपये प्रति किलो और ग्वार गम का भाव 50 रुपये प्रति किलो होता है। लेकिन कुछ शरारती कारोबारियों के कारण 21 मार्च को ग्वार सीड का भाव 291 रुपये प्रति किलो और ग्वार गम का भाव 959 रुपये प्रति किलो हो गया था।
एसोचैम की निवेश समिति के चेयरमैन एस के जिंदल ने बताया, 'यह बेहद हैरानी की बात है कि पशुओं के चारे का दाम 291 रुपये प्रति किलो है, जो इंसान के भोजन से भी महंगा है। पिछले एक महीने में ग्वार का भाव 120 फीसदी, पिछले चार महीनों में 700 फीसदी और एक साल में 875 फीसदी बढ़ा है।' हालांकि कारोबारियों का कहना है कि वायदा बाजार आयोग के इस कदम से निवेशक निराश होंगे।
केडिया कमोडिटी के प्रबंध निदेशक अजय केडिया कहते हैं, 'कारोबार रोकने से बाजार में सही संदेश नहीं जाता है। इससे अनिश्चितता का माहौल बनता है।' उन्होंने कहा कि इस बाजार में कम कारोबारी होने के कारण ही कीमतों में हेरफेर मुमकिन हो पाता है। (BS Hindi)

दूध के दाम में नहीं आएगा उफान

इस साल देश में दूध उत्पादन में 7 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी की उम्मीद है, लिहाजा दूध व डेयरी उत्पादों की उपलब्धता में इजाफा हुआ है। ज्यादा उत्पादन के चलते आपूर्ति में सुधार से देश में स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) और बटर ऑयल (घी) जैसे डेयरी उत्पादों की कीमतें गिर गई हैं। पिछले एक साल में कीमतों में कई बार बढ़ोतरी का सामना करने वाले दूध की कीमतें हालांकि अभी कम नहीं हुई हैं। पर उपभोक्ता इस साल दूध की कीमतें स्थिर रहने की उम्मीद कर सकते हैं और सरकार भी राहत की सांस ले सकती है क्योंकि थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई में दूध का भारांक 4.37 फीसदी है।
देसी बाजार में अमूल ब्रांड के नाम से दूध बेचने वाले गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ के प्रबंध निदेशक आर एस सोढ़ी ने कहा, 'पिछले 2-3 सालों से किसानों को अच्छी कीमतें मिली हैं। पिछले साल 1230 लाख टन दूध उत्पादन के मुकाबले इस साल हम 1300-1320 लाख टन उत्पादन की
उम्मीद कर रहे हैं। इस साल दूध की कीमतें पिछले साल की तरह बार-बार नहीं बढ़ेगी।'
देर तक जाड़े का मौसम रहने से आपूर्ति बढ़ी है और इससे एसएमपी व बटर ऑयल की कीमतों पर दबाव पड़ा है। एसएमसी फूड्स के निदेशक संदीप अग्रवाल ने कहा, एसएमपी और बटर ऑयल की कीमतें दीवाली से अब तक 20-25 फीसदी टूट चुकी हैं। दुग्ध उत्पादों के निर्यात पर पाबंदी है और देश में इनकी आपूर्ति में सुधार हुआ है। ऐसे में ज्यादा उत्पादन के चलते उत्पाद की कीमतों और दूध की खरीद कीमतों पर दबाव पड़ा है। एसएमसी फूड्स एसएमपी और मधुसूदन ब्रांड के नाम से उत्पाद बेचती है। अभी एसएमपी की कीमतें करीब 160 रुपये प्रति किलोग्राम हैं जबकि बटर ऑयल की कीमतें 220 रुपये प्रति किलोग्राम। उद्योग ने किसानों से खरीदे जाने वाले दूध की कीमतें 29 रुपये प्रति लीटर से घटाकर 24 रुपये प्रति लीटर कर दी हैं।
चेन्नई की कंपनी हटसन एग्रो के सीएमडी आर जी चंद्रमोगन ने कहा कि निर्यात पर पाबंदी से उद्योग के पास करीब 1 लाख टन दूध का भंडार जमा हो गया है और डेयरी कोऑपरेटिव ने करीब 50,000 टन एसएमपी का आयात किया है। ऐसे में देश में उपलब्धता बढ़ी है।

वैश्विक कीमतों में भी गिरावट
अग्रवाल ने कहा कि दुग्ध उत्पाद की कीमतें वैश्विक स्तर पर भी नीचे आ रही हैं क्योंकि न्यूजीलैंड व अमेरिका जैसे देशों में उत्पादन बढ़ा है। अगर हम एसएमपी की मौजूदी कीमतों की तुलना पिछले साल की न्यूजीलैंड (डेयरी उत्पादों के निर्यात में अग्रणी) की कीमतों से करें तो इनमें 20 फीसदी की गिरावट आई है। अमेरिका में ज्यादा उत्पादन के चलते भी वैश्विक कीमतों पर दबाव पड़ा है, जहां इसकी कीमतें न्यूजीलैंड से भी कम हैं। (BS Hindi)

हर वर्ष दूध उत्पादन में 60 लाख टन बढ़ोतरी की जरूरत

बारहवीं योजना के अंत (2012-2017) तक भारत में दूध की मांग करीब 15.5 करोड़ टन होने की संभावना है.

अपनी इस जरूरत को पूरा करने के लिए देश को प्रतिवर्ष दूध उत्पादन 60 लाख बढ़ाना होगा.

राष्ट्रीय डेयरी योजना (एनडीपी) के अनुसार, पिछले दस साल से देश में दूध का उत्पादन सालाना 35 लाख टन की दर से बढ़ रहा है. इसे अगले 12 साल में औतसन 60 लाख टन सालाना बढ़ाने की जरूरत है.

कृषि मंत्री शरद पवार ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में बताया कि एनडीपी ने 2011-12 से 2016-17 की अवधि के लिए डेयरी विकास की रूपरेखा तैयार की है.

इसमें कहा गया है कि उभरते रुख संकेत देते हैं कि वर्ष 2020-21 तक देश में दूध की आवश्यकता 20 से 21 करोड़ टन की होगी.

इसमें कहा गया कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के बढ़ने और देश की बढ़ती आय के कारण दूध की मांग बढ़ी है.

देश में दूध का उत्पादन वर्ष 2011-12 के दौरान करीब 12 करोड़ 72.9 लाख टन का हुआ था.

एनडीपी चरण-एक को 2,242 करोड़ रुपये के कुल निवेश से लागू किया जायेगा. इस योजना को राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के द्वारा अमल में लाया जाना है.

इस योजना का उद्देश्य दुधारू मवेशियों की उत्पादकता बढ़ाने में मदद करना और दूध की तेजी से बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए दूध उत्पादन को बढ़ाना है.

इसका उद्देश्य ग्रामीण दूध उत्पादकों को संगठित दूध प्रसंस्करण क्षेत्र तक व्यापक पहुंच मुहैया कराने में मदद करना भी है. (Samay Live)

24 मार्च 2012

MSP for Kharif Crops of 2011-12

The Cabinet Committee on Economic Affairs today approved the Minimum Support Prices (MSPs) for Kharif Crops of 2011-12 Season. The MSP of Paddy (Common) has been fixed at Rs.1080 per quintal and of Paddy (Grade A) at Rs. 1110 per quintal, which represents an increase of Rs.80 per quintal over the last year’s MSPs.

The MSPs of Jowar (Hybrid), Bajra and Maize each have been raised by Rs.100 per quintal and fixed at Rs.980 per quintal each. The MSP of Jowar (Maldandi) has also been raised by Rs. 100 per quintal over the last year’s MSP and fixed at Rs. 1000 per quintal. The MSP of Ragi has been fixed at Rs. 1050 per quintal, raising it by Rs. 85 per quintal over the last year’s MSP.

The MSP of Arhar (Tur) has been fixed at Rs. 3200 per quintal, of Moong at Rs. 3500 per quintal and of Urad at Rs. 3300 per quintal marking an increase of Rs. 200 per quintal, Rs.330 per quintal and Rs. 400 per quintal, respectively over the last year’s MSPs. The MSPs of Arhar (Tur) and Moong have been fixed at a level higher by Rs.100 per quintal than that recommended by Commission for Agricultural Costs & Prices (CACP). In addition, similar to last year an additional incentive at the rate of Rs. 500 per quintal for tur, urad and moong sold to the Government procurement agencies during the harvest/arrival period of two months shall also be given.

The MSPs of Groundnut-in-shell, Sunflowerseed, Sesamum and Nigerseed have been increased by Rs. 400 per quintal, Rs. 450 per quintal, Rs.500 per quintal and Rs.450 per quintal over the last year’s MSPs and have been fixed at Rs. 2700 per quintal, Rs. 2800 per quintal, Rs. 3400 per quintal and Rs. 2900 per quintal, respectively. The MSPs of Soyabean (Black), Soyabean (Yellow) have been increased by Rs. 250 per quintal each over the last year’s MSPs and fixed at Rs.1650 per quintal and Rs. 1690 per quintal, respectively.

MSP of Cotton has been raised by Rs. 300 per quintal and fixed at Rs. 2800 per quintal for Staple length (mm) of 24.5 - 25.5 and Micronaire value of 4.3 - 5.1 and at Rs. 3300 per quintal for Staple length (mm) of 29.5 - 30.5 and Micronaire value of 3.5 - 4.3. (PIB)

Minimum Support Price of Arhar or Tur Enhanced from Rs. 3,000 to Rs. 3,200 Per Quintal

Indian Government Ups Minimum Support Price (MSP) of Arhar or Tur to Rs. 3,200 Per 100 Kgs

The Government of India has increased the Minimum Support Price (MSP) of arhar (pigeon peas) or tur of Fair Average Quality (FAQ) from Rs. 3,000 per quintal (100 Kilograms) to Rs. 3,200 per quintal for the crop year 2011-2012 and marketing season 2012-2013.

This is an increase of Rs. 200 a quintal or 6.67 percent over last year’s Minimum Support Price fixed for arhar or tur.

The Cabinet Committee on Economic Affairs (CCEA) took this decision to hike the MSP of arhar (tur) in its meeting held on Thursday, June 09, 2011 in New Delhi.

Every year, the Government of India determines the Minimum Support Price of arhar based on the recommendations of the Commission for Agricultural Cost and Prices (CACP).

Like last year, this year too, an additional incentive of Rs. 500 per quintal for arhar (tur) sold to the Government Procurement Agencies will be paid to the farmers during the harvest and arrival period of two months.

Historical Minimum Support Prices of Arhar or Tur in India

Crop Year Minimum Support Price (Per 100 Kgs)
2011-2012 Rs. 3,200
2010-2011 Rs. 3,000
2009-2010 Rs. 2,300
2008-2009 Rs. 2,000
2007-2008 Rs. 1,590 (Includes a Central Bonus of Rs. 40)
2006-2007 Rs. 1,410
2005-2006 Rs. 1,400
2004-2005 Rs. 1,390
2003-2004 Rs. 1,360
2002-2003 Rs. 1,320
2001-2002 Rs. 1,320
2000-2001 Rs. 1,200
1999-2000 Rs. 1,105
1998-1999 Rs. 960
1997-1998 Rs. 900
1996-1997 Rs. 840
1995-1996 Rs. 800
1994-1995 Rs. 760
1993-1994 Rs. 700
1992-1993 Rs. 640

सर्राफ कारोबारियों की हड़ताल जारी

नई दिल्ली। गैर ब्रांडेड स्वर्ण आभूषणों पर एक प्रतिशत का उत्पाद शुल्क और आयातित सोने पर सीमा शुल्क को बढ़ाकर दोगुना किए जाने के प्रस्ताव के खिलाफ देश के विभिन्न हिस्सों में सर्राफा कारोबारियों की हड़ताल शुक्रवार को लगातार सातवें दिन भी जारी रही।

मुंबई और चेन्नई में गुडी पडवा त्योहार की वजह से बाजार वैसे ही बंद थें वहीं देश के अन्य हिस्सों में विभिन्न संगठनों द्वारा हड़ताल के आह्वान की वजह से जौहरियों और अन्य सर्राफा क्षेत्र के अन्य लोगाें ने कामकाज बंद रखा।

बाजार सूत्रों ने दावा किया कि छह दिन की हड़ताल में 6,000 करोड़ रुपये के कारोबार का नुकसान हो चुका है। उत्तर प्रदेश और आसपास के अन्य क्षेत्रों के जौहरियों के भी हड़ताल में शामिल होने के बाद कारोबार नुकसान का आंकड़ा और बढ़ेगा। (Dainik Jagran)

दीर्घावधि के लिए अल्यूमीनियम में निवेश देगा लाभ

अगले छह महीनों में वैश्विक व घरेलू स्तर पर अल्यूमीनियम की मांग में बढ़ोतरी की संभावना है जिसे देखते हुए लंबी अवधि के लिए निवेशक अल्यूमीनियम में निवेश कर मुनाफा कमा सकते हैं। हालांकि घरेलू व अंतरराष्ट्रीय बाजार में काफी समय से बेस मेटल्स में गिरावट दर्ज की जा रही है जो आगे भी जारी रहने की संभावना है।

चीन में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र के आंकड़ों में गिरावट के साथ यूरो जोन के खराब आर्थिक आंकड़ों व मध्य-पूर्व में राजनीतिक अस्थिरता से शॉर्ट टर्म में अल्यूमीनियम की कीमतों में गिरावट रह सकती है। लेकिन लंबी अवधि के लिए इसमें निवेश करना फायदेमंद होगा।

कीमतों में गिरावट का रुख
घरेलू एक्सचेंज एमसीएक्स पर मार्च के शुरू से अब तक अल्यूमीनियम के हाजिर भावों में करीब 3 रुपये प्रति किलो की गिरावट दर्ज की गई है। एक मार्च को एमसीएक्स पर अल्यूमीनियम का बंद भाव 112.50 रुपये प्रति किलो दर्ज किया गया था जो शुक्रवार को शाम पांच बजे तक 110 रुपये प्रति किलो के स्तर पर रहा। एमसीएक्स शुक्रवार को इसके मार्च वायदा अनुबंध का भाव 110.20 रुपये प्रति किलो दर्ज किया गया। वहीं जून के वायदा अनुबंधों का भाव उच्चतम स्तर पर 115 रुपये प्रति किलो दर्ज किया गया।

विश्लेषकों का कहना है कि वैश्विक स्तर पर फिलहाल निर्माण क्षेत्र के आंकड़े बेहतर नहीं होने के कारण सभी बेस मेटल्स की कीमतों में गिरावट का रुख है। इसका असर अल्यूमीनियम की कीमतों पर भी है। घरेलू वायदा कारोबार में इस समय अल्यूमीनियम का भाव 110-111 रुपये प्रति किलो के इर्द-गिर्द चल रहा है।

शेअरखान कमोडिटी के विश्लेषक प्रवीण सिंह का कहना है कि निवेशक 107 रुपये प्रति किलो के भाव पर अल्यूमीनियम के लंबी अवधि वाले सौदों में खरीद कर सकते हैं। क्योंकि भविष्य में इसकी मजबूत मांग को देखते हुए इसके दाम 115 रुपये प्रति किलो के स्तर को छूने की संभावना है। यह निवेशकों के लिए फायदेमंद होगा।

एलएमई पर हाजिर मांग में वृद्धि
मांग व आपूर्ति के आधार पर देखा जाए तो फिलहाल वैश्विक स्तर पर चीन में इन्वेंट्री अधिक होने के कारण अल्यूमीनियम की आपूर्ति बहुत ज्यादा हो रही है। विश्लेषकों का कहना है कि इसकी घरेलू व वैश्विक मांग भी हेल्दी कही जा सकती है लेकिन आपूर्ति अधिक होने की वजह से कीमतों में मंदी का रुख है। लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) पर अल्यूमीनियम का कैंसल्ड वारंट बढ़ रहा है यानि इसकी हाजिर मांग तेजी से बढ़ रही है।

बढ़ेगी अल्यूमीनियम की मांग
घरेलू बाजार में पैकेजिंग, एयरक्राफ्ट मैन्यूफैक्चरिंग के अलावा मशीनरी के क्षेत्र में अल्यूमीनियम की मांग लगातार बढ़ रही है। चालू वर्ष में कार बनाने वाली कई कंपनियों ने भी उत्पादन बढऩे का अनुमान लगाया है। हवाई जहाज के निर्माण में भी बहुत ज्यादा ग्रोथ की संभावना देखी जा रही है। ऐसे में घरेलू बाजार में अल्यूमीनियम की मांग इस साल के अंत तक बहुत ज्यादा बढऩे की उम्मीद लगाई जा रही है।

विश्लेषकों के मुताबिक वैश्विक स्तर पर ऊर्जा क्षेत्र में दरें बढऩे के कारण सबसे बड़े उपभोक्ता चीन में अल्यूमीनियम की स्मेल्टिंग क्षमता 21 फीसदी तक कम हो गई है। इसके अलावा अमेरिका व यूरोप में होने वाली अल्यूमीनियम की स्मेल्टिंग भी बंद हो गई है। विश्व की कई प्रमुख कंपनियों ने भी अपनी उत्पादन क्षमता में कटौती की है।

पर्यावरणीय कारणों से भी वैश्विक स्तर पर अल्यूमीनियम का उत्पादन प्रभावित हो रहा है। ऐसे में भविष्य में अल्यूमीनियम की मांग में बढ़ोतरी होने से इसकी कीमतों में तेजी आने की पूरी संभावना है।

घरेलू स्तर पर देखें तो अन्य बेस मेटल्स की तरह अल्यूमीनियम में निवेश को लेकर अन्य कारोबारियों की खास भागीदारी नहीं है। घरेलू बाजार में केवल अल्यूमीनियम में कारोबार करने वाले कारोबारी ही इसमें निवेश कर रहे हैं। कर्वी कॉमट्रेड के मेटल विश्लेषक सुमित मुखर्जी ने बताया कि घरेलू बाजार में अल्यूमीनियम के दाम ओलिगोपोली पर भी निर्भर रहते हैं।

यानि कुछ प्रमुख विक्रेताओं की ओर से दाम तय कर लिए जाते हैं। उन्होंने बताया कि घरेलू स्तर पर नाल्को, बाल्को व वेदांता कंपनियों की ओर से अल्यूमीनियम के भाव ओलिगोपोली के आधार पर तय किए जाते हैं। ये कंपनियां एमसीएक्स के भाव पर अल्यूमीनियम की बिक्री बाजार में नहीं करती हैं। (Business Bhaskar)

आटा, मैदा, सूजी का ओजीएल में निर्यात खोलने की तैयारी

आर एस राणा नई दिल्ल

सरकार गेहूं के उत्पादों आटा, मैदा और सूजी का निर्यात ओपन जरनल लाइसेंस (ओजीएल) के तहत खोलने की योजना बना रही है। खाद्य पर वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में 26 मार्च को होने वाली उच्चाधिकार प्राप्त मंत्रियों के समूह (ईजीओएम) की बैठक में इस पर फैसला होने की संभावना है।

खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गेहूं के उत्पादों आटा, मैदा और सूजी के निर्यात पर मात्रात्मक और समय संबंधी पाबंदियां समाप्त करने की योजना है। इसके बाद गेहूं उत्पादों का निर्यात ओजीएल के तहत हो सकेगा। उन्होंने बताया कि सरकार ने 6.50 लाख टन गेहूं उत्पादों के निर्यात को अनुमति दे रखी थी जिसकी अवधि 31 मार्च 2012 को समाप्त हो रही है। हालांकि 6.50 लाख टन में से जनवरी के आखिर तक केवल 1.27 लाख टन गेहूं उत्पादों का ही निर्यात हो पाया है।

उन्होंने बताया कि ओजीएल के तहत आने के बाद गेहूं उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा मिलने की संभावना है क्योंकि इससे निर्यातकों को लंबी अवधि के निर्यात सौदे करने में सहूलियत हो सकेगी। केंद्रीय पूल में गेहूं का भारी-भरकम स्टॉक बचा हुआ है जबकि रबी सीजन में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन होने का अनुमान है इसीलिए गेहूं उत्पादों का निर्यात ओजीएल में करने की सिफारिश की गई है। केंद्रीय पूल में एक मार्च को गेहूं का 212.55 लाख टन का स्टॉक बचा हुआ है जो तय मानकों बफर के मुकाबले कई गुना है।

तय मानकों के अनुसार पहली अप्रैल को केंद्रीय पूल में 40 लाख टन गेहूं का स्टॉक होना चाहिए। मध्य प्रदेश और गुजरात में गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद शुरू हो चुकी है तथा पहली अप्रैल से उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में भी खरीद शुरू हो जाएगी। विपणन सीजन 2012-13 के लिए केंद्र सरकार ने गेहूं का एमएसपी 1,285 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।

ऐसे में गेहूं की खरीद सरकार द्वारा तय लक्ष्य 318 लाख टन से भी ज्यादा होने का अनुमान है। पिछले विपणन सीजन में 281.44 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी। कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार रबी सीजन में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन 883.1 लाख टन होने का अनुमान है। वर्ष 2010-11 में गेहूं का उत्पादन 868.7 लाख टन का उत्पादन हुआ था। (Business Bhaskar.....R S Rana)

उपभोक्ता मंत्रालय ने नहीं मानी एनएसई की मांग

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने नैशनल स्टॉक एक्सचेंज की मांग खारिज कर दी है। एक्सचेंज ने नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव एक्सचेंज में अपनी हिस्सेदारी के पुनर्गठन संबंधी संशोधित दिशानिर्देश में छूट मांगी थी।
जिंस बाजार नियामक वायदा बाजार आयोग ने साल 2009 में हिस्सेदारी पुनर्गठन के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे, जिसमें साल 2010 में संशोधन किया गया। इसके तहत स्टॉक एक्सचेंज के तौर पर एनएसई को अपनी हिस्सेदारी 15 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी करनी थी। दिशानिर्देश के तहत वैयक्तिक इकाई के लिए 15 फीसदी हिस्सेदारी रखने की अनुमति है जबकि ऐंकर निवेशक किसी जिंस एक्सचेंज में 26 फीसदी तक हिस्सेदारी रख सकता है।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय से इनकार के बाद हिस्सेदार के तौर पर एनएसई को अपनी हिस्सेदारी घटाकर 5 फीसदी करनी होगी। हालांकि एक्सचेंज को इस दिशानिर्देश के अनुपालन के लिए 30 सितंबर तक का समय दिया गया है। एनएसई का मानना है कि दिशानिर्देश के मुताबिक मूल प्रमोटरों व निवेशकों को जिंस एक्सचेंजों में 26 फीसदी हिस्सेदारी रखने की अनुमति है और इस दिशानिर्देश के तहत किसी स्टॉक एक्सचेंज की हिस्सेदारी 5 फीसदी तक सीमित कर दी गई है।
हिस्सेदारी के पुनर्गठन से जुड़े दिशानिर्देशों में संशोधन के जरिए एनसीडीईएक्स में 15 फीसदी तक हिस्सेदारी बनाए रखने के लिए या फिर इस बाबत किसी एक इकाई के लिए विशेष प्रावधान की मांग करते हुए पिछले महीने एनएसई ने एमसीए का दरवाजा खटखटाया था।
एफएमसी के चेयरमैन रमेश अभिषेक ने गुरुवार को एक सेमिनार में हिस्सा लेने के बाद कहा था - मंत्रालय ने एनएसई की मांग खारिज कर दी है। इस बाबत एनएसई के एक अधिकारी ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
एनएसई ने हालांकि एमसीए से अनुरोध किया था कि मूल प्रमोटर होने के नाते एक्सचेंज ने एनसीडीईएक्स की प्रगति के लिए काफी कुछ किया है और उसके पास अभी काफी कुछ और बचा हुआ है। ऐसे में उन्हें ज्यादा हिस्सेदारी रखने की अनुमति मिलनी चाहिए। (BS Hindi)

गुडी पड़वा पर ज्वैलरों को 2000 करोड़ का नुकसान

गुडी पड़वा जैसे शुभ मौके पर आभूषणों की भारी भरकम बिक्री से भारतीय ज्वैलर महरूम रहे। इसके चलते शुक्रवार को करीब 2000 करोड़ रुपये के कारोबार का नुकसान हुआ।
पश्चिम भारत के राज्यों खास तौर से महाराष्ट्र में गुडी पड़वा को सोने की खरीदारी के लिहाज से शुभ माना जाता है। यह रबी की कटाई सीजन की समाप्ति का समय होता है। इस साल के बजट में प्रस्तावित सीमा शुल्क व उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी के विरोध में पिछले शनिवार से ज्वैलर हड़ताल पर हैं। इसके चलते एक हफ्ते में कुल 10,000 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है। हड़ताल की अगुआई करने वाले ऑल इंडिया जेम्स ऐंड ज्वैलरी ट्रेड फेडरेशन के चेयरमैन बछराज बामलवा ने कहा - मौके तो आते जाते रहते हैं। लेकिन हम वैसे कारीगरों व श्रमिकों की बेहतरी के लिए बड़े मुद्दों का समर्थन कर रहे हैं, जो इस उद्योग में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं। वित्त मंत्री के प्रस्ताव के खिलाफ पिछले शनिवार को देश भर के आभूषण दुकानदारों ने तीन दिन की हड़ताल का ऐलान किया था। एक ओर जहां सीमा शुल्क दो फीसदी से चार फीसदी कर दिया गया था, वहीं सोने के आभूषणों पर उत्पाद शुल्क 5 फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी कर दिया गया था।
उद्योग पर चोट पहुंचाने वाला सबसे बड़ा फैसला निर्यातोन्मुख इकाइयों से घरेलू टैरिफ एरिया में आभूषणों की बिक्री को उत्पाद शुल्क के दायरे में लाया जाना था और 2 लाख रुपये के आभूषणों की नकद बिक्री पर 1 फीसदी टीडीएस काटने का था। बामलवा ने कहा - हमें उम्मीद है कि सरकार हमारे हक में फैसला लेगी और प्रस्तावित शुल्क में थोड़ी कटौती करेगी।
इस बीच, जीजेएफ के पूर्व चेयरमैन अशोक मियांवाला की अगुआई में जेम्स ऐंड ज्वैलरी उद्योग के प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को उत्पाद शुल्क आयुक्त से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने बजट में उत्पाद शुल्क में की गई हालिया बढ़ोतरी पर अपनी चिंता जाहिर कर दी। बैठक के दौरान प्रतिनिधियों को आश्वस्त किया गया कि उत्पाद शुल्क के परिणाम के तौर पर इंस्पेक्टर राज की वापसी की उनकी आशंका निर्मूल साबित होगी। मियांवाला ने कहा - हम आभूषण उद्योग को आश्वस्त करते हैं कि उत्पाद विभाग के अधिकारी आभूषण दुकान का दौरा नहीं करेंगे। (BS Hindi)

डॉलर की तपिश में खौलेंगे खाद्य तेल

तिलहन की पैदावार घटने से खाद्य तेलों के दाम काफी बढ़ चुके हैं। ऊंचे भाव पर इनकी कीमतों में गिरावट की उम्मीद थी, लेकिन डॉलर में आ रही मजबूती के कारण कीमतों में गिरावट की उम्मीद टूटने लगी है। इस महीने रुपये की तुलना में डॉलर करीब 4 फीसदी मजबूत हुआ है। डॉलर में तेजी जारी रहने पर खाद्य तेल और महंगे हो सकते हैं।
इस महीने आयातित क्रूड पाम तेल 550 रुपये से बढ़कर 575 रुपये और क्रूड सोया डिगम तेल 645 रुपये से चढ़कर 665 रुपये प्रति 10 किलोग्राम पर पहुंच गया है। देश में सरसों तेल के भाव 25 से 30 रुपये चढ़कर 845 रुपये और सोया रिफाइंड तेल 20 रुपये बढ़कर 750 रुपये प्रति 10 किलो हो गए हैं।
बी. एल. एग्रो ऑयल लिमिटेड के प्रबंध निदेशक घनश्याम खंडेलवाल ने बताया कि तिलहन की पैदावार कम होने से खाद्य तेलों के दाम बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि सरसों की पैदावार घटने से इसका तेल दो माह में 20 फीसदी से ज्यादा महंगा हुआ है। सेंट्रल आर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री ऐंड ट्रेड (कोएट) के अध्यक्ष सत्यनारायण अग्रवाल कहते हैं कि उत्पादन में कमी खाद्य तेलों में तेजी की प्रमुख वजह है। उनका कहना है आधे से ज्यादा खाद्य तेलों की आपूर्ति आयात के जरिए होती है। ऐसे में डॉलर मजबूत होने से आयातित खाद्य तेल महंगे हो गए हैं। इसका असर घरेलू खाद्य तेलों पर भी हो रहा है। एक तेल मिल मालिक का कहना है कि कम उत्पादन की आड़ में वायदा बाजार में सटोरिये सोयाबीन और सरसों के दाम लगातार बढ़ा रहे हैं। इनके वायदा कारोबार पर रोक लगनी चाहिए, जिससे खाद्य तेलों की कीमतों में तेजी रोकी जा सके। (BS Hindi)

22 मार्च 2012

सर्दियां खत्म होते ही खपत घटने से पॉल्ट्री उत्पादों के दाम गिरे

र्दियां खत्म होते ही खपत में कमी आने से पॉल्ट्री उत्पादों के दाम गिरने लगे हैं। पिछले दस दिनों में चिकन के भाव में 10-20 रुपये प्रति किलो की गिरावट आई है। दिल्ली की गाजीपुर मंडी में ब्रायलर चिकन का वर्तमान भाव 62 रुपये प्रति किलो और हरियाणा में फॉर्म से खरीद भाव 52-55 रुपये प्रति किलो चल रहा है। अंडे के भी भाव में 8-10 रुपये प्रति सैकड़ा की कमी आई है।

हरियाणा के जिंद स्थित च्वॉइस रिसर्च एंड ब्रिडिंग फार्म के प्रोपराइटर राम मेहर देसवाल ने बताया कि इन दिनों फॉर्म से ब्रायलर खरीद का भाव यहां 52-55 रुपये प्रति किलो चल रहा है। इसमें पिछले दस दिन में प्रति किलो 10 रुपये की गिरावट आई है। इनका कहना है कि आगे गर्मियों के सीजन में खपत घटने के कारण भाव में और कमी आ सकती है।

देसवाल ने बताया कि इन दिनों बाजार में ब्रायलर की सप्लाई ठीक हो रही है लेकिन आगामी दिनों में उत्पादन भी कम होने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि पॉल्ट्री फीड की कीमतों में करीब 30 फीसदी की तेजी के कारण ब्रायलर का उत्पादन ठीक से नहीं हो पा रहा है इससे आगे बाजार में इसकी सप्लाई कमजोर पड़ सकती है।

दिल्ली की गाजीपुर मुर्गा मंडी के कारोबारी इमरान कुरैशी ने बताया कि गर्मी शुरू होने के कारण ब्रायलर चिकन की खपत कम हो गई है, इससे इसके दाम कम हो गए हैं। साथ ही अभी नवरात्र नजदीक होने से भी मांग कमजोर चल रही है। कुरैशी के मुताबिक आगे आपूर्ति कमजोर पडऩे के साथ मांग व खपत घटने के कारण कीमतों में ज्यादा कमी आने की संभावना नहीं है।

लुधियाना के सिंह पॉल्ट्री फॉर्म के प्रोपराइटर अमरजीत सिंह ने बताया कि मांग घटने से अंडे की कीमतों में भी 8-10 रुपये प्रति सैकड़ा की कमी आकर भाव 215 रुपये हो गया है। दिल्ली में भी अंडे का भाव 238 रुपये प्रति सैकड़ा हो गया जो सर्दी के सीजन में 265 रुपये प्रति सैकड़ा के स्तर पर था। (BS Hindi)

खाद्य सुरक्षा विधेयक दिसंबर तक लागू करने की योजना

सरकार ने कहा है कि वह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक को मौजूदा वर्ष के अंत तक लागू करने की योजना बना रही है। इस समय सरकार के पास रिकॉर्ड मात्रा में खाद्यान्न स्टॉक में रखा है। देश की 63.5 फीसदी आबादी को भोजन पाने का अधिकार देने वाले इस विधेयक पर इस समय संसदीय स्थाई समिति विचार कर रही है।

खाद्य मंत्री के.वी. थॉमस ने यहां एक कार्यक्रम के बाद संवाददाताओं को बताया कि हम इस साल दिसंबर तक खाद्य सुरक्षा विधेयक लागू करने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कृषि मंत्रालय के खाद्यान्न उत्पादन संबंधी अनुमान के आधार पर देश में पर्याप्त खाद्यान्न मौजूद है और वर्ष 2014 तक प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा विधेयक के लिए आवश्यक खाद्यान्न सुलभ होने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। इस आवश्यकता को पूरा करने के बाद भी देश खाद्यान्न का निर्यात करने की स्थिति में होगा।

थॉमस ने कहा कि उनका मंत्रालय गरीबों के संबंध में नए आंकड़ों पर गौर कर रही है। सस्ते अनाज के लाभार्थियों की संख्या तय करने में इन आंकड़ों को आधार बनाया जाएगा। प्रस्तावित विधेयक को लागू करने पर करीब 630 लाख टन खाद्यान्न की जरूरत होगी। यह आंकड़ा मौजूदा सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत वितरित होने वाले अनाज से करीब 80 लाख टन ज्यादा है।

उन्होंने बताया कि खाद्य मंत्रालय ने विधेयक को लागू करने के लिए नियम बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह विधेयक अगले सत्र में पारित होकर कानून बन सकता है। योजना को सुचारु तरीके से लागू करने के लिए मंत्रालय ने पीडीएस के आधुनिकीकरण और भंडारण सुविधाएं बढ़ाने के लिए उपाय किए हैं।

इस समय सरकारी गोदामों में क्षमता से ज्यादा अनाज रखा है। मौजूदा फसल वर्ष (जुलाई-जून) 2011-12 के दौरान देश में 25.04 करोड़ टन खाद्यान्न का उत्पादन होने के आसार हैं। इसमें 10.27 करोड़ टन चावल और 8.83 करोड़ टन गेहूं शामिल है। एक मार्च को भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदामों में 545.2 लाख टन खाद्यान्न रखा था। यह स्टॉक बफर स्टॉक मानकों से 18 फीसदी ज्यादा है।

खाद्य सुरक्षा विधेयक से सब्सिडी खर्च बढऩे के सवाल पर थॉमस ने बताया कि नए गरीबी आंकड़ों के आधार पर खाद्य सुरक्षा विधेयक लागू होने पर कुल करीब 1.12 लाख करोड़ रुपये सब्सिडी बोझ होने का अनुमान है। सरकार करीब 3000-4000 करोड़ रुपये ज्यादा खर्च करने की स्थिति में है। चालू वित्त वर्ष में खाद्य सब्सिडी 88,000 करोड़ रुपये रहने की संभावना है। (Business Bhaskar)

चीनी का त्रैमासिक बिक्री कोटा जारी करने की तैयारी

आर.एस. राणा नई दिल्ली

चीनी उद्योग को नियंत्रण मुक्त करने की दिशा में सरकार ने कदम बढ़ाना शुरू कर दिया है। चीनी मिलों को राहत देने के लिए सरकार ने चीनी के बिक्री कोटे को फिर से तिमाही करने की योजना बनाई है। अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो अप्रैल से मिलों को चीनी का बिक्री कोटा महीने के बजाय तिमाही आधार पर आवंटित किया जाएगा। इस तरह मिलों को हर महीने निर्धारित कोटे की चीनी बेचने की बाध्यता नहीं होगी बल्कि वे तीन माह में कभी भी तिमाही कोटे की चीनी बेचने की अनुमति होगी।

खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चीनी का बिक्री कोटा महीने के बजाय तिमाही करने की योजना है। महीने के बजाय तीन महीने के आधार पर कोटा जारी किए जाने से मिलों पर चीनी की बिक्री का दबाव कम हो जाएगा। उन्होंने बताया कि अप्रैल में जारी होने वाला कोटा तीन महीने के आधार पर रिलीज किए जाने की योजना है।

इसके तहत अगले तीन महीने की खपत के आधार पर चीनी का कुल कोटा रिलीज कर दिया जाएगा। उत्पादन में बढ़ोतरी से खुदरा बाजार में चीनी के दाम नियंत्रण में हैं तथा अभी कीमतों में तेजी की संभावना भी नहीं है।

वैसे को चीनी उद्योग को नियंत्रण मुक्त करने का मसला प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने विचार करने के लिए रंगराजन की अगुवाई वाली कमेटी को सौंप दिया है। लेकिन खाद्य मंत्रालय ने अपने स्तर पर मिलों को राहत देने के लिए तिमाही कोटा जारी करने की योजना बनाई है। रंगराजन कमेटी इस मसले से जुड़े सभी पक्षों से बात करके प्रधानमंत्री को रिपोर्ट सौंपेगी। इसी के आधार पर सरकार चीनी उद्योग पर लगे नियंत्रणों में ढिलाई देने के बारे में कोई विचार कर सकती है।

पिछले तीन वर्षों से देश में चीनी का उत्पादन खपत से ज्यादा हो रहा है। ऐसे में चीनी मिलों के मुनाफे पर दबाव बन रहा है और वे नियंत्रण मुक्त करने की मांग कर रही हैं। पिछले अक्टूबर से शुरू मौजूदा सीजन में भी चीनी का उत्पादन बढ़कर 260 लाख टन (इस्मा के अनुसार) होने का अनुमान है। इस वजह से बाजार में चीनी के दाम स्थिर हैं।

अधिकारी ने बताया कि फुटकर बाजार में चीनी के दाम 32 से 35 रुपये प्रति किलो चल रहे हैं। हाल ही में प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों के आयुक्तों की बैठक में चालू पेराई सीजन 2011-12 (अक्टूबर से सितंबर) के दौरान चीनी का उत्पादन बढ़कर 251-252 लाख टन होने का अनुमान है। जबकि देश में चीनी की सालाना खपत 220 से 225 लाख टन की होती है। (Business Bhaskar.....R S Rana)

वायदा में घटा सोने का कारोबार

बजट में कई तरह के कर लगाए जाने के बाद सोने की मांग हाजिर और वायदा बाजार में करीब-करीब थम गई है। तीन दिनों के बंद के बाद जब हाजिर बाजार खुले तो कारोबार की मात्रा करीब-करीब शून्य रही। इसी तरह वायदा बाजार में भी बजट के बाद कारोबार की मात्रा काफी कम हो गई है।
सोने का ज्यादातर कारोबार एमसीएक्स पर होता है, जहां बजट पेश किए जाने के दिन 18,573 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था, लेकिन आगे यह घटकर आधा रह गया। शनिवार को यह और कम हो गया। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि ऊंचे शुल्क के चलते हाजिर बाजार का वातावरण खराब हुआ है और पिछले पांच दिन से देश में सोने में किसी तरह की गतिविधियां नहीं देखने को मिली है। प्रोपले ज्वेल्स के निदेशक राजीव प्रोपले ने कहा - कारोबारी फिलहाल इससे दूर हट रहे हैं और यह वायदा बाजार में भी कारोबार की मात्रा पर प्रतिबिंबित हो रहा है।
आयात शुल्क से ज्यादा उन्हें आभूषण पर उत्पाद शुल्क और टीडीएस के प्रावधान खल रहे हैं और इससे कारोबार प्रभावित हुआ है। ज्यादातर उपभोक्ता और यहां तक कि कारोबारी व विनिर्माता भी नकदी पर सोने की खरीद कर रहे हैं। बजट में 1 फीसदी टीडीएस का प्रावधान किया गया है, लिहाजा कारोबार करीब-करीब थम गया है।
राजीव प्रोपले ने कहा कि देश भर के अग्रणी ज्वैलरों की सहमति से दिल्ली के ज्वैलर्स एसोसिएशन ने उत्पाद शुल्क का विरोध करने के लिए अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। जेम्स ऐंड ज्वैलरी फेडरेशन ने भी कर के विरोध में देश भर में कैंडल मार्च निकालना शुरू किया है।
जेम्स ऐंड ज्वैलरी फेडरेशन के चेयरमैन विनोद हायग्रीव ने कहा - सच्चाई यह है कि ज्वैलर उत्पाद शुल्क नहीं देना चाहते। फेडरेशन ने वित्त मंत्री व उनके सचिव से मुलाकात की थी और समस्याओं के बारे में बताया था। मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल से कहा कि वे वित्त सचिव के सामने अपनी समस्याएं रखें।
इस बीच, समस्याओं के समाधान की खातिर वित्त मंत्रालय ने स्पष्टीकरण जारी किया है। बयान में कहा गया है कि आभूषण बनाने वाले छोटे विनिर्माता अगर इसकी बिक्री अपने बीच करते हैं तो छूट का आंशिक लाभ उन्हें तभी मिलेगा जब उनकासालाना कारोबार 4 करोड़ रुपये से ज्यादा का न हो। पूरी छूट के लिए उनका सालाना कारोबार 1.5 करोड़ रुपये से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
गौरतलब है कि जनवरी में सरकार ने सोने पर सीमा शुल्क 1 फीसदी से बढ़ाकर 2 फीसदी कर दिया था और अब मार्च में इसे बढ़ाकर 4 फीसदी कर दिया गया। इसके अलावा गैर ब्रांडेड गहनों पर उत्पाद शुल्क लगा दिया गया है। जिससे गहनों की कीमत 4 से 6 फीसदी बढ़ जाएंगी। (BS Hindi)

अब चढऩे लगे सरसों के भाव

नई आवक के बावजूद सरसों की कीमतों में लगातार तेजी देखी जा रही है। पिछले तीन दिनों में ही सरसों के दाम 150 रुपये प्रति क्विंटल से ज्यादा बढ़ चुके हैं। बीते साल के मुकाबले सरसों 50 फीसदी से ज्यादा महंगी है। कारोबारियों का कहना है कि उत्पादन में कमी के चलते कीमतों में तेजी का रुख बना हुआ है। हालांकि कुछ कारोबारी तेजी के पीछे सटोरियों का हाथ मान रहे हैं। सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री ऐंड ट्रेड के मुताबिक 2011-12 में 58.8 लाख टन सरसों उत्पादन का अनुमान है जबकि पिछले वर्ष 70 लाख टन उत्पादन हुआ था।
मुख्य उत्पादक राज्य राजस्थान की जयपुर मंडी में सरसों का भाव 3850 रुपये जबकि दिल्ली में 3900 रुपये प्रति क्विंटल से ज्यादा है। इस सप्ताह सरसों की कीमतों में 150 रुपये प्रति क्विंटल से ज्यादा तेजी आई है। एनसीडीएक्स में अप्रैल अनुबंध 3972 रुपये प्रति क्विंटल के उच्च स्तर पहुंच गया था। लेकिन बाद यह गिरकर 3930 रुपये (खबर लिखे जाने तक) पर गया। बुधवार को अप्रैल अनुबंध में करीब 60 रुपये का उछाल आया है। सोमवार को यह 3806 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ था। राजस्थान के सरसों कारोबारी निरंजन लाल ने कहा कि इस बार सरसों की पैदावार कम है वहीं स्टॉकिस्ट भारी खरीद कर रहे हैं, जिससे कीमतों में तेजी का रुख है। कमोडिटीइनसाइटडॉटकॉम के जिंस विश्लेषक प्रशांत कपूर कहते हैं कि नई आवक के बीच दाम बढऩे से लगता है कि बाजार में सटोरिये अपना खेल दिखा रहे हैं। (BS HIndi)

लखटकिया बना ग्वार गम

सटोरियों की चाल के साथ-साथ विदेशी मांग में उफान के बल पर ग्वार गम का भाव बुधवार को 1 लाख रुपये प्रति क्विंटल के पार पहुंच गया। लगभग हर दिन सर्किट की सीढिय़ों पर चढ़ते ग्वार गम के साथ ग्वार भी 30 हजार रुपये प्रति क्ंिवटल को पार कर गया। जिंस बाजार में सटोरिया जिंस का तमगा प्राप्त कर चुके ग्वार ने वायदा बाजार आयोग के साथ जिंस के जानकारों का भी मुंह बंद कर दिया है।
ग्वार की सबसे बड़ी मंडी जयपुर में बुधवार को ग्वार गम की कीमतें 10 फीसदी उछलकर 1,00,110 रुपये और ग्वार 30,296 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गई। हाजिर बाजार की तेजी से वायदा बाजार में ग्वार गम और ग्वार के सभी अनुबंधों में 4 फीसदी का अपर सर्किट लग गया। हालांकि सर्किट लगने की वजह से वायदा में ग्वार गम 1 लाख की दहलीज को पार नहीं कर पाया। एनसीडीईएक्स पर ग्वार गम 4 फीसदी के अपर सर्किट के चलते अप्रैल अनुबंध 95,920 और मई 96,540 रुपये प्रति क्ंिवटल पर पहुंच गया। ग्वार अप्रैल अनुबंध 29,900 और मई 29,720 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया।
ग्वार की सटोरिया चाल पर काबू पाने के लिए वायदा बाजार आयोग ने पिछले तीन महीनों में काफी कोशिशें की, लेकिन इन सारी कोशिशों को मुंह चिढ़ाते हुए ग्वार गम और ग्वार की कीमतें फर्राटे से आगे बढ़ती रही। कीमतों पर काबू पाने के लिए आयोग ने मार्जिन बढ़ाने के साथ खरीद की सीमा भी तय कर दी। इसकेबावजूद इस साल जनवरी से अभी तक ग्वार गम और ग्वार की कीमतों में करीब 322 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और पिछले एक महीने के अंदर करीब 100 फीसदी जबकि साल भर में कीमतें 10 गुने से भी ज्यादा बढ़ चुकी हैं। मार्च 2011 को जयपुर मंडी में ग्वार गम 7,775 रुपये और ग्वार 2,703 रुपये प्रति क्विंटल थी। गौरतलब है कि एनसीडीईएक्स ने ग्वार की ट्रेडिंग यूनिट 10 टन से घटाकर 1 टन और टिक साइज 1 रुपये से बढ़ाकर 10 रुपये कर दिया। जबकि ग्वार गम की टे्रडिंग यूनिट 5 टन से कम करके 1 टन और टिक साइज 2 रुपये से बढ़ाकर 10 रुपये कर दी है। ट्रेडिंग यूनिट कम करने के बावजूद इस समय ग्वार पर करीब 62 फीसदी का मार्जिन है।
ग्वार में तेजी की वजह सटोरियों की मेहरबानी के साथ उत्पादन कम होने और निर्यात मांग अधिक रहने को माना जा रहा है। उत्पादन कम होने के साथ इस साल कैरी फॉरवर्ड स्टॉक भी बहुत कम बचा है। इस सीजन में स्टॉक महज 1.5-2 लाख टन के आसपास है जबकि औसतन कैरी फारवर्ड स्टॉक 4-4.5 लाख टन रहता है। कम उत्पादन और कम स्टॉक को देखते हुए जानकारों का कहना है कि फिलहाल ग्वार की कीमतें थमने वाली नहीं है, लेकिन जिस ऊचाई पर कीमतें है वहां से कभी भी गिर सकती है। (BS Hindi)

19 मार्च 2012

खाद्य सब्सिडी में मामूली इजाफा

साल 2012-13 के बजट में खाद्य सब्सिडी के लिए 75,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जो पिछले साल के मुकाबले महज 3 फीसदी ज्यादा है। इसके बाद बहस शुरू हो गई है कि अगले वित्त वर्ष से राष्ट्रीय स्तर पर खाद्य सुरक्षा अधिनियम को लागू करने में देरी होगी।
भारतीय खाद्य निगम को 10,000 करोड़ रुपये दिए जाने से संकेत मिलता है कि खरीद, भंडारण और इसे संभालने की खातिर निगम के नकदी प्रवाह की जरूरतों की खातिर मौजूदा वित्त वर्ष के मुकाबले इसमें बहुत ज्यादा बढ़ोतरी की दरकार शायद नहीं थी।
हालांकि वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने बजट भाषण में आश्वस्त किया है कि उनका मंत्रालय इस कानून को लागू करने के लिए जरूरी सब्सिडी उपलब्ध कराएगा, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि अंतिम विश्लेषण में शायद ही ऐसा देखने को मिले।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा - अगले उनकी योजना वित्त वर्ष के आखिर तक खाद्य सुरक्षा कानून (जिसमें महज गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों को शामिल किया जाएगा) को चरणबद्ध तरीके से लागू करने की है तो केंद्रीय भंडार में इसके लिए पर्याप्त अनाज है। 1 मार्च 2012 को निगम के केंद्रीय भंडार में 550 लाख टन अनाज था, जो खाद्य सुरक्षा कानून लागू करने के लिए अनुमानित अनाज से महज 90-100 लाख टन कम है। इसकी भरपाई मौजूदा खरीद सीजन में गेहूं के जरिए आसानी से की जा सकती है, जो देश के कुछ हिस्से में शुरू हो चुका है। इस साल रिकॉर्ड 880 लाख टन गेहूं उत्पादन का अनुमान है। इस साल के बजट में पहली बार राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय खाद्य आयोगों की स्थापना के लिए 50 लाख रुपये रखे गए हैं, साथ ही उचित मूल्य की दुकानों व गोदामों की स्थापना के लिए 5 करोड़ रुपये रखे गए हैं। ये दोनों चीजें विधेयक के मसौदे का हिस्सा है। हालांकि गहन कोशिशों के बावजूद क्या आगामी वित्त वर्ष में इसे वास्तव में लागू किया जा सकता है।
खाद्य विधेयक फिलहाल संसद की स्थायी समिति के पास है, जो शायद ही मौजूदा बजट सत्र के दौरान अपनी सिफारिशें दे पाएगी। वास्तव में खाद्य मंत्री के वी थॉमस ने हाल में कहा था कि खाद्य विधेयक मौजूदा बजट सत्र में शायद ही पारित हो पाएगा क्योंकि राज्यों के साथ विचार-विमर्श पूरा नहीं हो पाया है। विधेयक के मौजूदा स्वरूप का नागरिक समाज के साथ-साथ राज्य सरकारों ने भी विरोध किया है। जिन्हें लगता है कि इन चीजों से गरीबों के बीच सस्ते अनाज के वितरण के लिए कानून बनाने का उनका अधिकार छिन जाएगा।
सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना का काम जुलाई 2012 से पहले पूरा नहीं हो पाएगा। इसके जरिए गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले वास्तविक लाभार्थी की पहचान होगी। संसद का मॉनसून सत्र जुलाई के आखिर में या फिर अगस्त में शुरू होने की संभावना है, लिहाजा स्थायी समिति की सिफारिशों के आधार पर विधेयक फिर से तैयार करने के लिए सरकार के पास काफी कम समय बचेगा। आमसहमति पर पहुंचने के लिए खाद्य मंत्रालय ने प्राथमिकता वाले और सामान्य श्रेणी के परिवारों को एक साथ जोडऩे का प्रस्ताव रखा है और राज्यों को इस अधिनियम के तहत गरीबों की पहचान करने का अधिकार देने की बात कही है। (BS Hindi)

भंडारण कंपनियों ने किया आवंटन राशि में बढ़ोतरी का स्वागत

अनाज भंडारण और इसे संभालने की खातिर उचित व पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के चलते कटाई के बाद अनाज के नुकसान को देखते हुए वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने गोदामों (वेयरहाउसिंग) के लिए आवंटन में 150 फीसदी की बढ़ोतरी की है। निवेश की राह देखने वाले वेयरहाउसिंग उद्योग ने इस कदम का स्वागत किया है।
साल 2012-13 के केंद्रीय बजट में मंत्री ने भंडारण की नई क्षमता के निर्माण की खातिर 5000 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रस्ताव रखा है जबकि पिछले साल के बजट में इस मद में 2000 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ था। पिछले एक साल में सरकार ने 20 लाख टन भंडारण की अतिरिक्त क्षमता को मंजूरी दी है, जिसके जल्द ही पूरा होने की संभावना है। 50 लाख टन भंडारण क्षमता पर भी जल्द सरकारी मंजूरी मिलने वाली है।
नैशनल बल्क हैंडलिंग कॉरपोरेशन (एनबीएचसी) के प्रबंध निदेशक अनिल चौधरी ने कहा - देश में भंडारण क्षमता की किल्लत को देखते हुए ग्रामीण बुनियादी ढांचा विकास कोष के तहत परिव्यय में भारी बढ़ोतरी वास्तव में समय पर उठाया गया कदम है। खाद्यान्न उत्पादन में बढ़ोतरी और खाद्य सुरक्षा विधेयक को देखते हुए यह कदम गोदामों का निर्माण उचित दरों पर करने में निवेशकों की मदद करेगा।
कटाई के बाद अनाज के प्रबंधन में सरकारी जोर को देखते हुए सभी मामलों मसलन परिवहन, भंडारण और इसे संभालने पर निजी उद्यमियों की सहभागिता बढ़ेगी। मौजूदा समय में कटाई के बाद कुल सालाना उत्पादन का करीब 25 फीसदी हिस्सा बर्बाद होने का अनुमान है।
उचित लागत पर ज्यादा कोष की दरकार और आरआईडीएफ के आवंटन को देखते हुए वाणिज्यिक बैंकों की तरफ से भी गोदामों के निर्माण में कर्ज के तौर पर सहयोग की दरकार होगी क्योंकि गोदामों का कामकाज मौसमी और कम प्रतिफल वाला कारोबार होता है। प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के नियम के तहत ऐसे कर्ज कृषि ऋण की श्रेणी में आएंगे। इससे बैंक अपनी ब्याज दरों में भारी कटौती करने में सक्षम होंगी और जरूरत के मुताबिक इस क्षेत्र में निवेश हो सकेगा।
ए. इंटरनैशनल लिमिटेड के सीएमडी एस मित्तल ने कहा - बजट में हालांकि अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण पहलू लॉजिस्टिक लागत पर कुछ नहीं कहा गया है, जो जीडीपी का करीब 14 फीसदी है। प्रणव मुखर्जी के मुताबिक, जीडीपी की विकास दर आने वाले सालोंं में 7.6 फीसदी रहने की संभावना है, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि लॉजिस्टिक के मौजूदा ढांचे में यह विकास दर कैसे हासिल होगी, खास तौर से सड़क व रेलवे के बुनियादी ढांचे के देखते हुए। हालांकि सरकार ने बुनियादी ढांचे के विकास में पीपीपी की बात की, लेकिन इस संबंध में कोई रोडमैप नहीं दिया गया। (BS Hindi)

सरकार ने नहीं मानी बात तो संसद का घेराव करेंगे जौहरी

सोने के गैर ब्रांडेड जेवरात पर 1 फीसदी उत्पाद शुल्क लगाने के सरकार के प्रस्ताव पर तीन दिन का कारोबार बंद करने वाले सर्राफा कारोबारियों के तेवर
तीखे होते जा रहे हैं। उनका
कहना है कि शुल्क वापस नहीं लिया गया तो दिल्ली में संसद का घेराव किया जाएगा। उधर, वित्त मंत्री ने कहा है कि इस तरह के दबाव का कोई फायदा नहीं है।
वित्त मंत्री ने इस बार आम बजट में गैर ब्रांडेड स्वर्णाभूषणों पर 1 फीसदी उत्पाद शुल्क लगाने की बात कही है, जिसके बाद बड़े शोरूम ही नहीं छोटे जौहरियों से भी जेवरात खरीदना महंगा हो जाएगा। इस प्रस्ताव को वापस लेने के लिए शनिवार से ही सर्राफा कारोबारियों ने 3 दिन का बंद शुरू कर दिया है। ऑल इंडिया जेम्स ऐंड ज्वैलरी ट्रेड फेडरेशन के चेयरमैन बच्छराज बमालवा ने कहा कि छोटे कारोबारियों को प्रभावित करने वाला यह प्रस्ताव वापस नहीं लिया गया तो आंदोलन तेज किया जाएगा। बंद में हिस्सा ले रहे कारोबारियों ने कहा कि प्रस्ताव वापस नहीं होने पर बंद आगे बढ़ाने के साथ संसद घेरने के लिए दिल्ली कूच भी किया जाएगा।
बजट में स्टैंडर्ड सोने की छड़ और गिन्नी तथा प्लेटिनम पर सीमा शुल्क 2 से बढ़ाकर 4 फीसदी करने तथा गैर स्टैंडर्ड सोने पर 5 से बढ़ाकर 10 फीसदी करने का प्रस्ताव पेश किया गया। उद्योग जानकारों के मुताबिक इससे सोना 3 से 4 फीसदी महंगा हो जाएगा। मुंबई बुलियन एसोसिएशन के सुरेश हुंडिया ने कहा, 'उत्पाद शुल्क विभाग इसे आधार बनाकर छोटे कारोबारियों को परेशान कर सकता है।' मुंबई ज्वैलर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष कुमार जैन के मुताबिक इससे सोने की तस्करी भी शुरू हो सकती है क्योंकि उस रास्ते आया 10 ग्राम सोना 2,000 रुपये सस्ता पड़ेगा और कारोबारी तस्करों से ही सोना खरीदेंगे, जो कारोबारियों, समाज और देश के हित में नहीं होगा। (BS HIndi)

सर्दी लंबी खिंचने से गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन होना संभव

आर.एस. राणा नई दिल्ली

मौजूदा रबी के सीजन में सर्दी का सीजन लंबा खिंचने का फायदा गेहूं की फसल मिलेगा। मार्च तक भी मौसम में ठंडक रहने से गेहूं की नई फसल की उत्पादकता बढऩे की संभावना है। हालांकि अगले दस-पंद्रह दिन गेहूं की फसल के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। अगर इस दौरान मौसम अनुकूल रहा तो गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन 900 लाख टन से भी ज्यादा हो सकता है। लेकिन सर्दी के लंबे सीजन की वजह से नई फसल के गेहूं की आवक में कुछेक राज्यों में एक-दो सप्ताह की देरी होने की संभावना है।

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) की संयुक्त निदेशक (अनुसंधान) डॉ. एम. ददलानी ने बताया कि इस बार सर्दी का सीजन लंबा रहा है। इससे गेहूं की प्रति हैक्टेयर उत्पादकता बढ़ेगी, इससे किसानों को फायदा होगा। हालांकि इस बार सर्दियों की बारिश नहीं हुई लेकिन गेहूं की बुवाई सिंचिंत क्षेत्रों में ही ज्यादा होती है इसीलिए इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अगले दस-पंद्रह दिनों तक मौसम अनुकूल रहा तो रबी में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन 900 लाख टन तक पहुंच सकता है।

कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू रबी में गेहूं के बुवाई क्षेत्रफल में हुई बढ़ोतरी से गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन 883.1 लाख टन होने का अनुमान है। पिछले साल गेहूं का उत्पादन 868.7 लाख टन का उत्पादन हुआ था। चालू रबी में गेहूं की बुवाई 296 लाख हैक्टेयर से ज्यादा क्षेत्रफल में हुई है। केंद्रीय पूल में पहली मार्च को गेहूं का बंपर स्टॉक 212.55 लाख टन का बचा हुआ है।

मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में नए गेहूं की आवक शुरू हो चुकी है लेकिन उत्तर भारत के राज्यों में नई फसल की आवक मध्य अप्रैल तक शुरू होने की संभावना है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने मध्य प्रदेश में गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद शुरू कर दी है तथा उत्तर भारत के राज्यों में पहली अप्रैल से शुरू करने की योजना है।

चालू गेहूं विपणन सीजन 2012-13 के लिए एफसीआई ने गेहूं की खरीद का लक्ष्य 12.5 फीसदी बढ़ाकर 318.9 लाख टन तय किया है। जबकि पिछले विपणन सीजन में 281.44 लाख टन गेहूं की खरीद एमएसपी पर की गई थी। विपणन सीजन 2012-13 के गेहूं का एमएसपी बढ़ाकर 1,285 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। (Business Bhaskar....R S Rana)

17 मार्च 2012

स्वर्ण आभूषणों पर उत्पाद शुल्क, बंद रहेगा सराफा

सरकार के गैर ब्रांडेड स्वर्ण आभूषणों पर एक फीसद का उत्पाद शुल्क लगाने के प्रस्ताव के खिलाफ सराफा कारोबारियों ने शनिवार से तीन दिन कारोबार बंद रखने का आह्वान किया है।

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने संसद में पेश 2012-13 के आम बजट में गैर ब्रांडेड स्वर्ण आभूषणों पर एक फीसद उत्पाद शुल्क लगाने का प्रस्ताव किया जिससे अब अपेक्षाकृत छोटे जौहरियों से भी जेवरात लेना महंगा होगा।

ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वेलरी ट्रेड फेडरेशन के चेयरमैन बच्छराज बमालवा ने कहा कि सरकार ने गैर ब्रांडेड आभूषणों पर भी एक फीसद का उत्पाद शुल्क लगाने का प्रस्ताव किया है, जिससे छोटे सराफा कारोबारी प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा कि इस फैसले के खिलाफ देश भर के सर्राफा कारोबारी तीन दिन की हड़ताल पर रहेंगे।

फेडरेशन की दिल्लीClick here to see more news from this city इकाई के चेयरमैन विजय खन्ना ने कहा कि वित्त मंत्री के इस फैसले से छोटे सर्राफा कारोबारियों की कमर टूट जाएगी। उन्होंने कहा कि इसके अलावा कई अन्य प्रस्ताव भी ऐसे हैं जो सर्राफा कारोबार के हित में नहीं हैं।

खन्ना ने कहा कि तीन दिन के कारोबार बंद के बाद भी यदि सरकार ने इस प्रस्ताव को वापस नहीं लिया तो हम आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए रणनीति बनाएंगे।

सोने पर शुल्क बढ़ाने के विरोध में हड़ताल पर सोना व्यापारी

मुंबई। आम बजट को लेकर अब नाराजगी बढ़ने लगी है। इसके विरोध में सोना व्यापारी तीन दिन की हड़ताल पर चले गए हैं।

सोना व्यापारी सोने के आयात शुल्क में बढ़ोतरी से बेहद नाराज हैं। विरोध में सोना व्यापारी तीन दिन तक हड़ताल पर हैं। हड़ताल का ऐलान ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वेलरी ट्रेड फेडरेशन ने किया था।

गौरतलब है कि वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने बजट में सोने पर आयात शुल्क 2 फीसदी से बढ़ाकर 4 फीसदी करने का ऐलान किया है।

देखें आम बजट 2012 की झलकियां

नई दिल्‍ली। केंद्रीय वित्‍त मंत्री प्रणब मुखर्जी शुक्रवार को देश का आम बजट 2012 लोकसभा में पेश किया। यह बजट पूरे देश के लिए बहुत खास है, क्‍योंकि देश का आर्थिक ढांचा यहीं से निर्धारित होता है। नीचे पढ़े आम बजट की प्रमुख झलकियां.......

- सड़क संपर्क में सुधार करने के लिए पीएमजीएसवाई के लिए आवंटन 20 फीसद बढ़ाकर 24,000 करोड़ रुपए किया गया।
- राजीव गांधी पंचार सशक्तीकरण अभियान के जरिए पंचायतों के सुदृढ़ीकरण के लिए बड़ी पहल की जाएगी।
- पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि योजना 2011-12 के बजट अनुमान की तुलना में 22 फीसद की वृद्धि के साथ 2012-13 में 12,040
-करोड़ रुपए के अपेक्षाकृत अधिक आवंटन से बारहवीं योजना में चलती रहेगी।
- आरआईडीएफ के अंतरर्गत आवंटन बढ़ाकर 20,000 करोड़ रुपए किया गया।
- वेयरहाउस सुविधाओं के लिए 5,000 करोड़ रुपए अलग रखे गए।

शिक्षा क्षेत्र के लिए योजनाए


- शिक्षा का अधिकार- सर्व शिक्षा अभियान के लिए 2012-13 के बजट अनुमान में 25,555 करोड़ रुपए उपलब्ध कराए गए जो 2011-12 के मुकाबले 21.7 फीसद अधिक है।
- बारहवीं योजना में माडले स्कूलों के रूप में ब्लाक स्तर पर 6,000 स्कूलों की स्थापना होगी।
- राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के लिए 3,124 करोड़ रुपए का प्रावधान।
- छात्रों के लिए बेहतर रिऋ प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए एक रिण गारंटी निधि स्थापित किए जाने का प्रस्ताव है।

स्‍वास्‍थ क्षेत्र के लिए योजनाए

- पिछले एक साल में पोलियो के एक भी नए मामले की सूचना नहीं है।
- मौजूदा टीका इकाइयों का आधुनिकीकरण किया जाएगा और चेन्नई के पास एक नई एकीकृत टीका इकाई लगाई जाएगी।
- आशा कार्यकर्ताओं के कार्यक्षेत्र का विस्तार, पारिश्रमिक भी बढ़ जाएगा।
- एनआरएचएम के लिए आवंटन 18,115 करोड़ रुपए (2011-12) से बढ़ाकर 20,822 करोड़ रुपए किया गया।
- राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन शुरू किया जा रहा है।
- मनरेगा का आजीविका सुरक्षा पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
- मनरेगा और कृषि व संबद्ध ग्रामीण आजीविकाओं के बीच बेहतर सहयोग करने की जरूरत।
- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के लिए 3,915 करोड़ रुपए का आवंटन।

यूआईडी मिशन


यूआईडी मिशन के तहत 20 करोड़ व्यक्तियों का नामांकन किया गया। अन्य 40 करोड़ लोगों का नामांकन पूरा करने के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध कराया
जाएगा। संसद के चालू सत्र में कालेधन पर श्वेत पत्र लाने का प्रस्ताव सरकारी अधिप्राप्ति कानून के संबंध में विधेयक संसद के बजट सत्र में लाया जाएगा। भ्रष्टाचार विरोधी ढांचे को मजबूत करने के लिए अधिनियम के विभिन्न चरणों में कानूनी उपाय किए जा रहे हैं।

- सकल कर प्राप्तियां 10,77,612 करोड़ रुपये रहने का अनुमान।
- केन्द्र को शुद्ध कर संग्रह 7,71,071 करोड़ रुपये होने का अनुमान।
- कर से अलग प्राप्तियां 1,64,614 करोड़ रुपये रहने का अनुमान।
- त्रण से अलग प्राप्तियां 41,650 करोड़ रुपये रहने का अनुमान।
- सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं के लिए विनिवेश से प्राप्तियों का इस्तेमाल करने की अस्थायी व्यवस्था एक वर्ष के लिए बढ़ाई गई।
- वर्ष 2012-13 के लिए कुल व्यय के संबंध में 14,90,925 करोड़ रुपये की बजटीय व्यवस्था।
- वर्ष 2012-13 का गैर-योजनागत व्यय 5,21,025 करोड़ रुपये जो 2011-12 के मुकाबले 18 प्रतिशत अधिक है।
- 11वीं योजना में कुल गैर-योजनागत व्यय का 99 प्रतिशत हिस्सा पूरा किया गया।
- गैर-योजनागत व्यय 9,69,900 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। सब्सिडी की संपूर्ण राशि नकद में दी जाएगी।
- संशोधित अनुमान में 2011-12 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 5.9 प्रतिशत रहेगा।
- बजट अनुमान में 2012-13 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 5.1 प्रतिशत रहेगा।
- वर्ष 2012-13 में घाटे के वित्त पोषण के लिए बाजार से 4.79 लाख करोड़ रुपये उधारी जुटाने का लक्ष्य।
- 2012-13 में प्रभावी राजस्व घाटा जीडीपी का 1.8 प्रतिशत रहने का अनुमान।

उत्पाद शुल्क

- उत्पाद शुल्क-सीवीडी से पूरी छूट के साथ पांच फीसद के रियायती सीमा शुल्क के छह निर्दिष्ट जीवन रक्षक औषधियों-वैक्सीन पर विस्तार का प्रस्ताव।
- महिलाओं और बच्चों में प्रोटीन कमी दूर करने के लिए सोया उत्पादों पर बुनियादी सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क घटाया गया।
- आयोडीन पर बुनियादी सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क घटाया गया।
- प्रोबायोटिक्स पर बुनयादी सीमा शुल्क घटाया गया।
- उर्जा बचत उपकरणों, सौर तापीय परियोजनाओं के लिए आवश्यक संयंत्र और उपस्कर के लिए रियायतों और छूट का प्रस्ताव
- हाईब्रिड या इलेक्ट्रिक वाहन और ऐसे वाहनों के लिए बैटरी पैकों के विनिर्माण के लिए कुछ मदों पर बुनियादी सीमा शुल्क और विशेष सीवीडी से
रियायत को विस्तार किया जा रहा है।
- सोने और अन्य बहुमूल्य धातुओं के आयात पर बुनयादी सीमाशुल्क बढ़ाने का प्रस्ताव
- कुछ सिगरेट, हाथ से बनी बीड़ी, पान मसाला, गुटका, चबाने वाले तंबाकू, अविनिर्मित तंबाकू और जर्दा सुगंधित तंबाकू जैसे हानिकारक उत्पादों पर उत्पाद शुल्क बढ़ाया गया।
- बड़ी कारों-एमयूवी-एसयूवी की पूरी तरह निर्मित इकाईयों की कुछ श्रेणियों के लिए बुनियादी सीमा शुल्क बढ़ाने का प्रस्ताव
- पैकेज युक्त सीमेंट के लिए उत्पाद शुल्क को युक्तिसंगत बनाया जाएगा।
- ब्रांडेड चांदी के आभूषणों को उत्पाद शुल्क मुक्त रखा गया है।
- सीमाशुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क संबंधी प्रस्तावों से 27,280 करोड़ रुपए का निवल राजस्व लाभ होगा।
- अप्रत्यक्ष करों से 45,940 करोड़ रुपए का निवल राजस्व लाभ होने का अनुमान है।
- विभन्न कराधान प्रस्तावों के कारण बजट में 41,440 करोड़ रुपए निवल लाभ होगा।

वित्त वर्ष 2012-13

- वित्त वर्ष 2012-13 में विनिवेश के जरिये 30,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य।
- सरकार के पास कम-से-कम 51 प्रतिशत का स्वामित्व और प्रबंधन रहेगा।
- सरकार बहु-ब्रांड खुदरा व्यापार में 51 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति देने के निर्णय के संबंध में राज्य सरकारों के साथ विचार-विमर्श कर सहमति बनाने की कोशिश करेगी।
- शेयर में 50,000 रुपये तक के निवेश करने वाले नये खुदरा निवेशक के लिये 50 प्रतिश्यात की आयकर कटौती के लिये राजीव गांधी इक्विटी
बचत योजना शुरू करने के प्रस्ताव। इसे बेचने पर तीन साल की पाबंदी होगी। यह छूट उन खुदरा निवेशकों को मिलेगी जिनकी आय 10 लाख रुपये
से कम है।
- बजट सत्र में पेंशन निधि विनियामक एवं विकास प्राधिकरण विधेयक, 2011, बैंकिंग विधि (संशोधन) विधेयक, 2011 और बीमा विधि (संशोधन) विधेयक, 2008 में संशोधन लाया जाएगा।
- संसद के बजट सत्र में वित्तीय क्षेत्र में विधायी सुधार की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिये विभिन्न विधेयक लाने का प्रस्ताव।
- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थाओं की वित्त्ीय स्थिति मजबूत करने इरादे से पूंजीकरण के लिये 15,888 करोड़ रुपये दिये जाने का
प्रस्ताव। ....
- पंजीकरण और आंकड़ों की बहुलता से बचने के लिये 2012-13 में एक केंद्रीय डिपोजिट्री अपने ग्राहक को जानो विकसित करने का प्रस्ताव।

कृषि तथा सहकारिता विभाग

- सिडबी के साथ 5,000 करोड़ रुपये भारतीय अवसर उपक्रम निधि की स्थापना होगी।
- कृषि तथा सहकारिता विभाग के लिए आयोजना परिव्यय में 18 प्रतिशत बढ़ोतरी का प्रस्ताव।
- राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीआई) के लिए परिव्यय 17 प्रतिशत बढ़ाकर 9,217 करोड़ रुपये। ...
- पूर्वोत्तर भारत हरित क्रांति योजना के तहत आवंटन 400 करोड़ से बढ़ाकर 1,000 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव।
- कृषि रिण वितरण लक्ष्य एक लाख करोड़ रुपये बढ़ाकर 5.75 लाख करोड़ रुपये किया गया।
- किसानों को प्रतिवर्ष 7 प्रतिशत ब्याज पर अल्पवधि फसल रिऋ के लिए ब्याज आर्थिक सहायता योजना 2012-13 मंे जारी रहेगी।

वित्त वर्ष 2012-13 के आम बजट की मुख्य बातें

- व्यक्तिक आयकर छूट की सीमा 1.80 लाख रुपये से बढ़कर 2 लाख रुपये करने का प्रस्ताव। सामान्य श्रेणी के करदाताओं को होगा 2,000
रुपये का फायदा।
- आयकर के लिए डीटीसी दरों को शुरू करने का प्रस्ताव।
- बचत बैंक खातों से मिलने वाले ब्याज पर 10,000 रुपये की कर मुक्तता का प्रस्ताव।
- 20 प्रतिशत कर स्लैब की उपरी सीमा 8 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये किए जाने का प्रस्ताव।
- निवारक जांच चिकित्सा के लिए 5,000 रुपये की कटौती का प्रस्ताव।
- ऐसे वरिष्ठ नागरिक जिन्हें कारोबार से आमदनी नहीं है, को अग्रिम कर भुगतान से छूट मिलेगी। -
- इन हाउस सुविधा में शोध एवं विकास व्यय के लिए 200 प्रतिशत की भारित कटौती को 31 मार्च, 2012 के बाद अगले पांच साल के लिए
बढ़ाए जाने का प्रस्ताव।
- कृषि विस्तार सेवाओं पर किए गए व्यय 150 प्रतिशत की भारित कटौती का प्रस्ताव।
- विनिर्माण क्षेत्र में दक्षता विकास पर किए गए व्यय पर 150 प्रतिशत भारित कटौती का प्रस्ताव।
- प्रत्यक्ष कर प्रस्तावों से 4,500 करोड़ रुपये के राजस्व नुकसान का अनुमान।
- वर्ष 2011-12 में सही मायनों में जीडीपी वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
- पिछले दो वर्षों की तुलना में आर्थिक वृद्धि दर में नरमी की मुख्य वजह औद्योगिक वृद्धि दर में गिरावट है।
- सकल मुद्रास्फीति में अगले कुछ महीनों में कमी आने और उसके बाद इसमें स्थिरता आने की उम्मीद है।
- वितरण, भंडारण व विपणन प्रणालियों में अंतर पाटने के लिए उठाए गए कदमों से महंगाई पर काबू पाने में मदद मिली है।
- चालू वित्त वर्ष की शुरुआत में निर्यात-आयात बाजार में विविधीकरण लाए जाने के अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं।
- वर्ष 2011-12 में चालू खाता घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.6 प्रतिशत और दूसरी व तीसरी तिमाहियों में घटे हुए निवल पूंजी
अंत: प्रवाह से विनिमय दर पर असर पड़ा।
- वर्ष 2012-13 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत (0.25 प्रतिशत कम या बेसी) रहने की संभावना है।
- प्रत्यक्ष कर राजस्व में कमी और बढ़ी हुई सब्सिडी के कारण 2011-12 में राजकोषीय शेष की खराब स्थिति

- पुरस्कारों सहित अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिए 200 करोड़ रुपए की राशि अलग से रही गई है।
- सिंचाई परियोजनाओं में निवेश से लाभों के प्रवाह को अधिकतम करने के लिए त्वरित सिंचाई प्रसुविधा कार्यक्रम (एआईबीपी) में ढांचागत परिवर्तन
- वर्ष 2012-13 में एआईबीपी के लिए आवंटन 13 प्रतिशत बढ़ाकर 14,242 करोड़ रुपए किया गया।
- सिंचाई परियोजनाओं के वित्तपोषण हेतु बड़े संसाधन जुटाने के लिए सिचाई और जल संसाधन वित्त कंपनी शुरू की जा रही है।
- मुर्शिदाबाद जिले के कंटी उप-मंडल के लिए 439 करोड़ रुप्ए की लागत से गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग द्वारा अनुमोदित बाढ़ प्रबंधन परियोजना।
- राज्य सरकारों के सहयोग से 2012-13 में नई केंद्रीय योजना राष्ट्रीय खाद्य प्रसंस्करण मिशन शुरू किया जाएगा
- देश में अतिरिक्त खाद्यान्य भंडारण क्षमता बढ़ाने की कोशिश की जा रही है।
- वर्ष 2012-13 के बजट अनुमान में जनजातीय उप-आयोजना के लिए 21,710 करोड़ रुपए का आवंटन जो पहले की मुकाबले 17.6
फीसद अधिक है।
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक 2011 संसद की स्थाई समिति के पास है।
- पीडीएस के कंप्यूटरीकरण के लिए राष्ट्रीय सूचना सुविधा तैयार की जा रही है। यह दिसंबर 2012 तक शुरू होगी।
- वर्ष 2012-13 के दौरान 200 उच्च भार वाले चुनिंदा जिलों में जच्चा कुपोषण के समाधान बहु-क्षेत्र कार्यक्रम - एकीकृत बाल विकास योजना
के लिए 15,850 करोड़ रुपए का आवंटन जो 2011-12 के मुकाबले 58 फीसद अधिक है।
- विद्यालयों में राष्ट्रीय मध्याह्न भोजन कार्यक्रम के लिए 11,937 करोड़ रुपए का आवंटन - किशोरियों के लिए राजीव गांधी अधिकारिता योजना
(सबला) के लिए 750 करोड़ रुपए का आवंटन।
- ग्रामीण पेय जल और स्वच्छता के लिए बजटीय आवंटन 27 फीसद बढ़ाकर 11,000 करोड़ रुपए से 14,000 करोड़ रुपए किया गया।

एनएचडीपी, आवास परियोजना

- अगले साल एनएचडीपी के तहत 8,800 किलोमीटर सड़क को लाने का प्रस्ताव।
- सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय का आवंटन 14 प्रतिशत बढ़कर 25,360 करोड़ रुपये हुआ।
- घरेलू एयरलाइंस में विदेशी एयरलाइंस को 49 प्रतिशत तक की भागीदारी की अनुमति का प्रस्ताव।
- बड़े शहरों में कम आय वर्ग के लिए घर उपलब्ध कराने के लिए कई प्रस्ताव।
- कम लागत की आवास परियोजनाओं के लिए ईसीवी की अनुमति और के्रडिट गारंटी ट्रस्ट फंड की स्थापना।
- हथकरघा बुनकरों के कर्ज को माफ करने तथा उनकी सहकारी सोसायटियों के लिए 3,884 करोड़ रुपये के वित्तीय पैकेज का प्रस्ताव।
- मिजोरम, नगालैंड और झारखंड में गरीब हथकरघा बुनकरों को तकनीकी सहायता उपलब्ध कराने के लिए तीन बनुकर सेवा केंद्र बनेंगे।
- महाराष्ट्र में 70 करोड़ रुपये के बजट आवंटन के साथ इचाल-करणजी में विद्युत करघा मेगा कलस्टर की स्थापना की जाएगी।

- सुदृढ़ राजकोषीय स्थिति के लिए सेवा कर की दर को 10 से बढ़ाकर 12 प्रतिशत किए जाने का प्रस्ताव।
- कुछ क्षेत्रों के लिए सेवा कर से छूट का प्रस्ताव।
- नकारात्मक सूची की 17 सेवाओं को छोड़कर सभी को कर दायरे में लाने का प्रस्ताव।
- सेवा कर नियम को 40 प्रतिशत छोटा किया जाएगा।
- केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सेवा कर की साझी कर संहिता की संभावना की जांच के लिए अध्ययन दल।
- सेवा कर प्रस्‍तावों से 18,600 करोड़ रुपये के अतिरिक्त राजस्व का अनुमान।
- राजकोषीय पुनर्गठन के महत्व को देखते हुए उत्पाद शुल्क की मानक दर कुछ रियायतों के साथ 10 फीसद से बढ़ाकर 12 फीसद, मेरिट दर पांच
फीसद से छह फीसद और निम्न मेरिट दर एक फीसद से दो फीसद की गई।
- बड़ी कारों के लिए उत्पाद शुल्क बढ़ाने का प्रस्ताव
- कृषि को छोड़कर अन्य उत्पादन के 10 फीसद के सीमा शुल्क की शीर्ष दर में कोई परिवर्तन नहीं।
- विशिष्ट विशेष तौर पर दबाव वाले क्षेत्रों के लिए निवेश राहत प्रोत्साहन प्रस्ताव।
- कुछ कृषि उपस्करों पर बुनियादी सीमा शुल्क घटाया गया
- मार्च 31,2015 तक उर्वरक परियोजनाओं के विस्तार या स्थापना के लिए उपदों के आयात पर बुनियादी सीमा शुल्क से पूरी छूट और एक फीसद का रियायती सीवीडी प्रस्ताव
- बिजली उत्पादन के लिए बुनियादी शुल्क से पूरी छूट
- कोयला खनन परियोजना के लिए बुनियादी सीमा शुल्क से पूरी छूट
- खनिजों के सर्वेक्षण और संभावना के लिए जरूरी मशीनरी और उपकरणों के लिए बुनियादी सीमा शुल्क कम करने का प्रस्ताव।
- रेलवे सुरक्षा और चेतावनी प्रणाली की संस्थापना और तीव्र गति की रेल गाडि़यों के लिए ट्रैक संरचना के उन्नयन में आवश्यक उपस्कों के लिए बुनियादी सीमा शुल्क के घटाने के प्रस्ताव
- सड़क निर्माण के लिए जरूरत विशिष्ट उपस्कर की कुछ श्रेणियों, सुरंग खोदने वाली मशीनों और उनके पुर्जों पर आयात शुल्क में छूट।
- तीसरे पक्ष द्वारा रखरखाव, मरम्मत और जहाजों की ओवरहालिंग के लिए कर रियायत का प्रस्ताव
- इस्पात, वस्त्र उद्योग, ब्रांडेड तैयार परिधान, किफायती चिकितसा उपकरण, आम उपयोग की चीजें तैयार करने वाले श्रम प्रधान क्षेत्र और अर्ध यांत्रिक इकाइयों द्वारा बनाई जाने वाली दियासलाई जैसे क्षेत्रों को राहत।

स्वाभिमान अभियान

- मार्च 2012 तक स्वाभिमान अभियान के तहत शामिल की जाने वाली 73,000 चिन्हित बस्तियों में से लगभग 70,000 को कवर
किया जा चुका है। 31 मार्च 2012 तक शेष कवर किये जाने की संभावना है।
- 2012-13 में स्वाभिमान अभियान का विस्तार और अधिक बस्तियों में किया जाएगा।
- देश के 82 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में से 81 ने कोर बैंकिंग प्रणाली को अपना लिया है।
- 12वीं पंचवर्षीय योजना में बुनियादी ढांचा में 50 लाख करोड़ रुपये तक के निवेश की आधी राशि निजी क्षेत्र से प्राप्त होने की संभावना है।
- शुरूआती 8,000 करोड़ रुपये की राशि के साथ पहली अवसंरचना रिण निधि की शुरूआत इस माह के आरंभ में की गयी।
- 2012-12 में अवसंरचना परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिये 60,000 करोड़ रुपये के कर मुक्त बांड की अनुमति दी जाएगी।

आजीविका योजना

- आजीविका योजना के जरिए भारत लिवलीहुड फाउंडेशन स्थापित करने का प्रस्ताव।
- वर्ष 2012-13 में राष्ट्रीय कौशल विकास निधि के लिए 1,000 करोड़ रु आवंटित।
- कौशल विकास के लिए संस्थागत ऋण का प्रवाह बढ़ाने हेतु एक अलग ऋण गारंटी निधि की स्थापना।
- अगले पांच साल में एक लाख युवाओं को कौशल प्रशिक्षण के लिए जम्मू कश्मीर में हिमायत योजना शुरू।
- 2012-13 में एनएसएपी के तहत आबंटन 37 प्रतिशत बढ़ाकर 8,447 करोड़ रु किया गया।
- बीपीएल लाभार्थियों के लिए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना तथा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय नि:शक्त पेंशन योजना में पेंशन राशि 200 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये प्रति माह की गई।
- रक्षा सेवाओं के लिए 1,93,407 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया जिसमें पूंजी व्यय के लिए 79,579 करोड़ रुपये शामिल है।
- केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के लिए लगभग 4,000 आवासीय इकाइयों के निर्माण हेतु 1,185 करोड़ रुपये आवंटित करने का प्रस्ताव। (Hindi.oneindia.in)

16 मार्च 2012

‘रिटेल में एफडीआई पर विमर्श जारी’

नई दिल्ली : सरकार ने शुक्रवार को कहा कि राजनीतिक रूप से संवेदनशील बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में 51 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर व्यापक आम सहमति बनाने के लिए राज्यों के साथ विचार-विमर्श जारी है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने 2012-13 का बजट पेश करते हुए यह भी कहा कि विदेशी विमानन कंपनियों को घरेलू विमानन कंपनियों में 49 प्रतिशत तक निवेश की अनुमति देने का प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि संप्रग के सहयोगी दलों समेत विपक्षी दलों और कई राज्यों के पुरजोर विरोध के कारण सरकार को बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में 51 प्रतिशत एफडीआई के निर्णय को स्थगित करना पड़ा था। मुखर्जी ने कहा कि बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में 51 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति देने के मामले में राज्यों के साथ आम सहमति बनाने को लेकर प्रयास जारी हैं। पिछले वर्ष नवंबर में मंत्रिमंडल ने बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में 51 प्रतिशत तथा एकल ब्रांड में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति देने का निर्णय किया था।

बहरहाल, बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई की अनुमति को टाल दिया गया वहीं एकल-ब्रांड में 100 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के निर्णय को बरकरार रखा गया। पूर्व में एकल-ब्रांड में एफडीआई की सीमा 51 प्रतिशत थी। (Zee News)

बजट समीक्षा में कृषि, सेवा क्षेत्र पर जोर

नई दिल्ली। अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने को आर्थिक समीक्षा में दो बड़े क्षेत्रों कृषि और सेवा क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया गया है। बंपर पैदावार के बावजूद जहां 2010-11 में कृषि क्षेत्र की रफ्तार सुस्त बनी रही, वहीं सेवा क्षेत्र के विकास के लिए समीक्षा में चुनौतियां गिनाई गई हैं।

आर्थिक समीक्षा 2011-12 में अगली पंचवर्षीय योजना में कृषि क्षेत्र में चार प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करने के लिए व्यापक व समन्वित प्रयास की जरूरत पर बल दिया गया है। समीक्षा में सुझाव दिया गया है कि लक्षित वृद्धि दर हासिल करने के लिए भूखडों के मिलान, खाद्य भडारण का प्रभावी प्रबंधन और आपूर्ति श्रृंखला सुधारने की जरूरत है। समीक्षा के मुताबिक, ग्रामीण ढाचे व सिंचाई सुविधाओं के निर्माण व अनुसंधान व विकास में निवेश को भी प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

चालू पंचवर्षीय योजना के दौरान कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 3.28 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वैसे, लक्ष्य चार प्रतिशत का था। चार प्रतिशत की वृद्धि दर को हकीकत में तब्दील करने के लिए इस क्षेत्र में चुनौतियों से निपटने पर ध्यान देने होंगे जिसके लिए पर्याप्त प्रयास करने की आवश्यकता है।

समीक्षा में सेवा क्षेत्र के विस्तार के लिए दो चुनौतियां गिनाई गई हैं। पहली चुनौती सेवा क्षेत्र के दायरे का विस्तार करने को लेकर है। अभी तक सॉफ्टवेयर और दूरसंचार क्षेत्र का ही दोहन किया गया है। जबकि अभी भंडारगृह जैसे क्षेत्र अनछुए हैं। दूसरी चुनौती कारोबार और वित्तीय सेवाओं जैसी कुछ अनुकूल सेवाओं को अधिक स्थाई बनाने की है। इसके अलावा मल्टी ब्राड खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मेट्रो शहरों से चरणबद्ध तरीके से अनुमति देने के साथ परंपरागत किराना दुकानों का आधुनिक बनाने में मदद की सिफारिश की गई है।

समीक्षा के मुताबिक मल्टी ब्रांड खुदरा कारोबार में एफडीआइ को मंजूरी देना सेवा क्षेत्र के लिए मुख्य मुद्दा है। इस पहल से खाद्य मुद्रास्फीति, किसानों को मिलने वाली कम कीमत और कृषि उत्पाद के भडारण से जुड़े निवेश में कमी से जुड़ी समस्याओं से निपटने में मदद मिलेगी।

पिछले साल नवंबर में मंत्रिमंडल ने मल्टी ब्राड खुदरा कारोबार में 51 प्रतिशत एफडीआई और एकल ब्राड में शत प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी थी। बाद में सरकार के घटक दलों समेत अन्य पक्षों के भारी विरोध के बाद मल्टी ब्रांड खुदरा में 51 प्रतिशत एफडीआई पर अमल स्थगित कर दिया। (Jagran Hindi)

आम बजट: आयकर में राहत, कृषि को तरजीह

शुक्रवार, 16 मार्च, 2012

वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने आर्थिक और वित्तीय चुनौतियों के बीच पेश किए गए बजट में आयकर में छूट देने की घोषणा की है.

इस घोषणा के अनुसार 1.80 लाख रुपए की जगह अब दो लाख रुपए तक की आय पर कर नहीं लगेगा. वित्तमंत्री ने इसके अलावा विभिन्न आय पर लगने वाले कर की सीमा को पुनर्निधारित किया है.

हालांकि इसके साथ ही वित्तमंत्री ने सर्विस टैक्स में दो प्रतिशत की बढ़ोत्तरी करते हुए इसे 10 से 12 प्रतिशत कर दिया है.

बजट में ग्रामीण इलाक़ों में चल रही परियोजनाओं और कृषि क्षेत्र पर ध्यान दिया गया है और कृषि और सहकारी क्षेत्र में बजट प्रावधान में 18 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी करने की घोषणा की गई है.

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वित्तमंत्री ने महंगी कारों और महंगा करने और बीड़ी, सिगरेट और गुटका को महंगा करने की घोषणा की है और एलईडी-एलसीडी टीवी आदि को सस्ता करने की घोषणा की है.

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इसके अलावा सरकार ने काला धन पर श्वेत पत्र जारी करने की घोषणा की है.

आयकर में छूट

हालांकि संसदीय समिति ने आयकर में छूट की सीमा बढ़ाकर तीन लाख करने की सिफ़ारिश की थी लेकिन वित्तमंत्री ने उसे स्वीकार नहीं किया और बजट में छूट की सीमा बीस हज़ार बढ़ाते हुए इसे दो लाख करने की घोषणा की है.

आयकर में छूट

  • 2 से पांच लाख पर- 10 प्रतिशत
  • 5 से 10 लाख पर- 20 प्रतिशत
  • 10 लाख से ऊपर- 30 प्रतिशत

इसके अलावा उन्होंने आय के विभिन्न स्तरों पर कर की सीमा को पुनर्निर्धारित किया है. अब दो लाख से पांच लाख रुपये तक 10 प्रतिशत की दर से आयकर देना होगा, जबकि पांच लाख से 10 लाख पर 20 प्रतिशत और 10 लाख से ऊपर की आमदनी पर 30 प्रतिशत कर चुकाना होगा.

वित्तमंत्री ने कहा है कि 10 लाख तक की आय वाले लोगों के लिए राजीव गांधी इक्विटी योजना शुरू की जाएगी. इस योजना के तहत शेयर बाजार में अधिकतम 50 हजार तक के निवेश पर 50 प्रतिशत तक की छूट मिलेगी.

इस योजना का लॉकिंग पीरियड तीन वर्ष का होगा.

लेकिन इसके साथ ही सरकार ने सर्विस टैक्स में दो प्रतिशत की बढ़ोत्तरी करने की घोषणा की है और अब यह 10 से बढ़कर 12 प्रतिशत हो गया है.

वित्तमंत्री ने कहा घोषणा की है कि नाकारात्मक सूची में शामिल 17 सेवाओं को छो़ड़कर सभी पर सर्विस टैक्स लगा दिया जाएगा. हालांकि कुछ क्षेत्रों को सर्विस टैक्स से राहत देने की घोषणा की गई है.

उन्होंने कहा है कि सरकार एक्साइज़ टैक्स और सर्विस टैक्स को मिलाने की संभावना पर विचार करेगी.

कृषि पर विशेष ध्यान

सरकार ने कृषि और सहकारिता के क्षेत्र में बजट प्रावधान में 18 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी करने की घोषणा की है.

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना और पूर्वी भारत में हरित क्रांति की योजनाओं के लिए भी धनराशि बढ़ा दी गई है.

वित्तमंत्री ने कृषि ऋण के लिए आवंटित राशि को वर्ष 2012-13 में एक लाख करोड़ रुपए बढ़ा कर छह लाख 75 हज़ार करोड़ रुपए करने की घोषणा की है.

प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि किसान क्रेडिट कार्ड की योजना में सुधार किया जाएगा और अब इस क्रेडिट कार्ड को स्मार्ट कार्ड में बदल दिया जाएगा, जिससे कि इसका उपयोग एटीएम पर भी हो सके.

उन्होंने उन्होंने ग्रामीण इलाक़ों में पीने के पानी और स्वच्छता के लिए बजट प्रावधान को 11 हज़ार करोड़ से बढ़ाकर 14 हज़ार करोड़ करने की घोषणा की है. इसी तरह प्रधानमंत्री ग्रामीण स्वरोजगार योजना में भी बजट प्रावधान 20 प्रतिशत बढ़ा दिया गया है.

सब्सिडी में कटौती

भारी भरकम सब्सिडी भारत सरकार के लिए चिंता का विषय रही है और बहुत से विशेषज्ञ मानते हैं कि वित्तीय घाटे की एक मुख्य वजह यही रही है.

इस चिंता से निपटने की कोशिश में वित्त मंत्री ने सब्सिडी घटाने पर ज़ोर दिया है. हालांकि उन्होंने कहा है कि कुछ सब्सिडी ग़ैरज़रूरी हैं. उन्होंने सब्सिडी को घटाकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का दो प्रतिशत करने की घोषणा की है.

मिट्टी का तेल यानी केरोसीन, घरेलू गैस यानी एलपीजी और पीडीएस के तहत मिलने वाले अनाज की सब्सिडी सीधे लोगों के बैंक अकाउंट में डालने का जो प्रयोग पिछले साल देश के विभिन्न हिस्सों में शुरु किया गया था, अब उसका विस्तार किया जाएगा.

शिक्षा और स्वास्थ्य

ये दो ऐसे क्षेत्र हैं जिन पर बजट के दौरान ख़ास नज़रें होती हैं.

शिक्षा के क्षेत्र में वित्तमंत्री ने छात्रों में मिलने वाले ऋण में सुविधा को बढ़ाने के लिए एक क्रेडिट गारंटी फंड की स्थापना की बात कही है.

उन्होंने राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान में आबंटन बढ़ाने और ब्लॉक लेवल पर 6000 आदर्श स्कूलों की स्थापना की घोषणा की है.

इसी तरह स्वास्थ्य के क्षेत्र में पंजीकृत स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा) और राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के विस्तार की घोषणा की गई है.

उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत सात और मेडिकल कॉलेजों को शामिल करने की घोषणा की गई है.

बुनियादी ढांचागत और औद्योगिक विकास

बजट घोषणा के अनुसार 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान, बुनियादी ढांचे में 50 लाख करोड़ रुपए तक का निवेश होगा और इसमें से आधी राशि निजी क्षेत्रों से मिलने की उम्मीद है.

उन्होंने अपने बजट भाषण में कहा है कि बुनियादी ढांचे में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप का समर्थन करने की योजना के तहत अहर्ता प्राप्त क्षेत्रों के तौर पर और क्षेत्र जोड़े गए हैं और रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के ज़रिए संयुक्त उपक्रम वाली कंपनियां बनाने के लिए सरकार ने दिशा-निर्देशों को मंजूरी दी है.

प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि वर्ष 2012-13 में बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं को वित्त मुहैया कराने के लिए 60 हज़ार करोड़ रुपए के कर-मुक्त बांड मंजूर किए जाएंगे.

बुनियादी ढाचांगत क्षेत्रों की एक संतुलित मास्टर सूची बनाई गई है जिसे सरकार ने मंजूरी दी है. (BBC Hindi)

बजट : कृषि ऋण वितरण का लक्ष्य बढ़ा

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने अगले वित्त वर्ष के लिए कृषि कर्ज वितरण के लक्ष्य को 1,00,000 करोड़ रुपए बढ़ाकर 5,75,000 रुपए किए जाने की घोषणा की। साथ ही कृषि क्षेत्र के लिए खर्च में लगभग 3,000 करोड़ रुपए का इजाफा किए जाने का प्रस्ताव किया गया।

मुखर्जी ने 2012-13 के अपने बजट भाषण में कहा कि सरकार के लिए कृषि प्राथमिक क्षेत्र है। कृषि एवं सहकारिता के लिए कुल योजनागत व्यय 2012-13 में 18 प्रतिशत बढ़ाकर 20,208 करोड़ रुपए करने का प्रस्ताव है। वित्त वर्ष 2011-12 में यह 17,123 करोड़ रुपए था।

देश के पूर्वी हिस्से में हरित क्रांति लाने की योजना के लिए आवंटन अगले वित्त वर्ष के लिए 600 करोड़ रुपए बढ़ाकर 1,000 करोड़ रुपए किया गया है। इस कार्यक्रम की सफलता तथा 2011-12 के फसल वर्ष में 70 लाख टन अतिरिक्त धान उत्पादन को देखते हुए आवंटन राशि बढ़ाई गई है।

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के लिए भी आवंटन 17 प्रतिशत बढ़ाकर 9,217 करोड़ रुपए किया गया है। इससे पूर्व वित्त वर्ष में यह राशि 7,860 करोड़ रुपए थी।

मुखर्जी ने कहा कि किसानों को समय पर सस्ता रिण उपलब्ध कराया जाना जरूरी है। मैं 2012-13 के लिए कृषि ऋण की सीमा 1 लाख करोड़ रुपए बढ़ाकर 5,75,000 करोड़ रुपए किए जाने का प्रस्ताव करता हूं।

चालू वित्त वर्ष में कृषि ऋण का लक्ष्य 4,75,000 करोड़ रुपए था। अप्रैल-नवंबर अवधि के दौरान बैंकों द्वारा किसानों को 2,94,023 करोड़ रुपए का ऋण दिया गया। (Webdunia Hindi)

केन्‍द्रीय आम बजट 2012-13: मुख्‍य बिन्‍दु

आम बजट 2012-13

· सामान्‍य श्रेणी के करदाताओं की आयकर छूट सीमा को 1 लाख 80 हजार रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये किया गया। इससे करदाताओं को 2000 रुपये की कर राहत मिलेगी।

· 20 प्रतिशत की अधिकतम आय कर सीमा स्‍लैब को 8 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये किया गया।

· बचत बैंक खातों पर करदाताओं को 10 हजार रुपये तक के ब्‍याज पर छूट का प्रस्‍ताव।

· निवारक चिकित्‍सा जांच के लिए 5 हजार रुपये तक की छूट का प्रस्‍ताव ।

· जिन वरिष्‍ठ नागरिकों की कारोबार से कोई आय नहीं है, उन्‍हें अग्रिम कर भुगतान से छूट का प्रस्‍ताव।

· नक़द सुपुदर्गी लेन-देनों पर प्रतिभूति लेन-देन कर में 20 प्रतिशत तक कमी का प्रस्‍ताव।

· बेहिसाबी धन सृजन और उसके इस्‍तेमाल को रोकने के लिए प्रस्‍तावित उपाय।

· संसद के वर्तमान सत्र में काले धन पर श्‍वेत-पत्र लाया जायेगा।

· नकारात्‍मक सूची वाली 17 सेवाओं को छोड़कर सभी सेवाओं पर कर का प्रस्‍ताव। कुछ क्षेत्रों में सेवा कर से राहत का प्रस्‍ताव।

· सेवा कर नियमों को घटाकर करीब 40 प्रतिशत किया जाएगा।

· केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क और सेवा कर में सामंजस्‍य बैठाने के कई प्रयास किए गए हैं। दोनों ही करों के लिए एक सरल पंजीकरण फार्म और साझा विवरणी इस दिशा में उठाया गया एक क़दम है।

· सेवा कर विवादों के निपटारे के लिए संशोधित आवेदन प्राधिकरण और निपटान आयोग की शुरूआत का प्रस्‍ताव।

· केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क और सेवा कर के लिए समान कर सहिंता की संभावना के लिए अध्‍ययन दल का गठन।

· राजकोषीय सुधार के महत्‍व के मद्देनजर उत्‍पाद शुल्‍क की मानक दर कुछ रियायतों के साथ 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत, मेरिट दर 5 से 6 प्रतिशत और निम्‍न मेरिट दर बढ़ाकर 1 से 2 प्रतिशत की गई ।

· बड़ी कारों के उत्‍पाद शुल्‍क को भी बढ़ाये जाने का प्रस्‍ताव ।

· गैर कृषि उत्‍पादों के लिए सीमा शुल्‍क की शीर्ष दर 10 प्रतिशत में परिवर्तन का कोई प्रस्‍ताव नहीं।

· कुछ चुनिंदा उपकरणों और इनके कल पुर्जों पर बुनियादी सीमा शुल्‍क घटाया गया।

· उर्वरक परियोजनाओं की स्‍थापना तथा विस्‍तार के लिए उपकरणों के आयात पर बुनियादी सीमा शुल्‍क से पूर्ण छूट।

· विद्युत उत्‍पादन के लिए कुछ ईंधनों को बुनियादी सीमा शुल्‍क से पूर्ण छूट।

· कोयला खनन परियोजना आयात हेतु बुनियादी सीमा शुल्‍क से पूर्ण छूट।

· रेलवे सुरक्षा और चेतावनी प्रणाली की स्‍थापना तथा तीव्र गति की रेलगाडि़यों के लिए लाइनों के नवीनिकरण में आवश्‍यक उपकरणों पर बुनियादी सीमा शुल्‍क को घटाने का प्रस्‍ताव।

· सड़क निर्माण के लिए आवश्‍यक विशेष उपकरणों, सुरंग खोदने वाली मशीनों एवं उनके पुर्जों को आयात शुल्‍क से पूरी छूट।

· इस्‍पात, वस्‍त्र उद्योग, ब्रांडेड रेडिमेड कपड़ों, कम लागत वाले चिकित्‍सा उपकरणों, जल उपयोग की वस्‍तुएं तैयार करने वाले श्रम प्रधान अर्धयांत्रिक उद्योगों जैसे दियासलाई आदि को राहत का प्रस्‍ताव।

· छह जीवन रक्षक विशिष्‍ट औषधियों तथा टीकों से उत्‍पाद शुल्‍क पूरी तरह खत्‍म करने तथा बुनियादी सीमा शुल्‍क पर 5 प्रतिशत की रियायत के विस्‍तार का प्रस्‍ताव।

· महिलाओं और बच्‍चों में प्रोटीन की कमी को दूर करने के लिए सोया उत्‍पादों पर बुनियादी सीमा शुल्‍क और उत्‍पाद शुल्‍क घटाया गया।

· आयोडीन पर बुनियादी सीमा शुल्‍क और उत्‍पाद शुल्‍क घटाया गया।

· बिजली बचाने वाले उपकरणों की खपत को प्रोत्‍साहित करने और सौर ताप परियोजनाओं के लिए आवश्‍यक संयंत्र और उपकरणों के लिए रियायतों एवं छूट का प्रस्‍ताव।

· सोना एवं अन्‍य महंगी धातुओं के आयात पर सीमा शुल्‍क बढ़ाने का प्रस्‍ताव।

· हाथ से बनी बीड़ी, कुछ‍सिगरेटों, पान मसाला, चबाने वाले तम्‍बाकू, कच्‍चा तम्‍बाकू तथा जर्दा एवं सुगंधित तम्‍बाकू जैसी बुरी वस्‍तुओं पर उत्‍पाद शुल्‍क बढ़ाने के प्रस्‍ताव।

· छोटे सीमेंट संयंत्रों द्वारा उत्‍पादित बोरी बंद सीमटों पर उत्‍पाद शुल्‍क को युक्तिसंगत बनाया जाएगा।

· कीमती धातुओं के ब्रांडेड आभूषण पर लगाया जाने वाला 1 प्रतिशत का उत्‍पाद शुल्‍क गैर-ब्रांडेड आभूषणों पर भी लगाया जाएगा।

· चांदी के ब्रांडेड आभूषणों से उत्‍पाद शुल्‍क खत्‍म किया गया।

· वाणिज्यिक वाहनों के बॉडी निर्माण हेतु चेसिस पर मिश्रित दर की बजाए मूल्‍य दर पर उत्‍पाद शुल्‍क लगाया जाएगा।

· 2012-13 के दौरान केन्‍द्रीय सब्सिडियों को सकल घरेलू उत्‍पाद के 2 प्रतिशत के नीचे रखने का लक्ष्‍य। अगले तीन वर्षों के दौरान इन्‍हें 1.75 प्रतिशत तक नीचे लाया जाना है।

· वर्ष 2012-13 के बजट अनुमानों में अनुसूचित जाति उप-आयोजना हेतु 37 हजार 113 करोड़ रुपये का प्रस्‍ताव है, जो कि 2011-12 के बजट अनुमान की तुलना में 18 प्रतिशत अधिक है।

· वर्ष 2012-13 के बजट अनुमान में अनुसूचित जनजातीय उप-आयोजना हेतु 21 हजार 710 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रस्‍ताव है, जो कि 17.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

· कृषि तथा सहकारिता विभाग के लिए आयोजना परिव्‍यय में 18 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की गई है।

· राष्‍ट्रीय कृषि विकास योजना के लिए परिव्‍यय को 17 प्रतिशत से अधिक बढ़ाकर 9 हजार 217 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

· पूर्वोत्‍तर भारत में हरितक्रान्ति लाने की पहल के परिणामस्‍वरूप धान के उत्‍पादन तथा उत्‍पादकता में बढ़ोतरी हुई है। इस योजना के आवंटन को, जो 2011-12 में 400 करोड़ रुपये था 2012-13 में बढ़ोतरी करके 1,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

· राष्‍ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत विदर्भ सघन सिंचाई विकास कार्यक्रम के लिए 300 करोड़ रुपये का प्रस्‍ताव।

· कृषि ऋण लक्ष्‍य को 1 लाख करोड़ रुपये बढ़ाकर 2011-12 के लिए 5 लाख 75 हजार करोड़ रुपये कर दिया गया है।

· किसानों को प्रति वर्ष 7 प्रतिशित ब्‍याज दर पर अल्‍पावधि फसल ऋणों के लिए ब्‍याज आर्थिक सहायता योजना को 2012-13 मे भी जारी रखा जाएगा। समय पर ऋण चुकाने वाले किसानों के लिए 3 प्रतिशत की अतिरिक्‍त आर्थिक राहत उपलब्‍ध होगी।

· क्षेत्रीय ग्रामीण बैंको (आरआरबी) की क्षमता बढ़ाने के लिए लघु तथा सीमान्‍त किसानों को अल्‍पावधि फसल ऋण संवितरण हेतु अल्‍पावधि आरआरबी ऋण पुनर्वित निधि की स्‍थापना की जा रही है।

· किसान क्रेडिट कार्ड को स्‍मार्टकार्ड बनाया जाएगा, ताकि इसका एटीएम द्वारा उपयोग किया जा सके।

· त्‍वरित सिंचाई सुविधा कार्यक्रम (एआईबीपी) के लिए वर्ष 2012-13 में आवंटन 13 प्रतिशत बढ़ाकर 14 हजार 242 करोड़ रुपये किया गया है।

· सड़क संपर्क में सुधार हेतु पीएमजीएसवाई के लिए आवंटन 20 प्रतिशत बढ़ाकर 24 हजार करोड़ रुपये किया गया है।

· राजीव गांधी पंचायत सशक्तिकरण अभियान के जरिए पंचायतों के सुदृढ़ीकरण के लिए बड़ी पहल किया जाना प्रस्‍तावित है।

· पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि योजना वर्ष 2011-12 के बजट अनुमान की तुलना में 22 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 2012-13 के बजट अनुमान में 12,040 करोड़ रुपये के साथ बारहवीं योजना में चलती रहेगी।

· ग्रामीण अवसंरचना विकास निधि के अंतर्गत आवंटन बढ़ाकर 20 हजार करोड़ रुपये किया गया है। भंडारण सुविधाओं के निर्माण हेतु 5 हजार करोड़ रुपये अलग से रखे गए हैं।

· शिक्षा का अधिकार और सर्व शिक्षा अभियान हेतु 2012-13 के बजट अनुमान में 25,555 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रस्‍ताव है, जो कि 2011-12 की तुलना में 21.7 प्रतिशत अधिक है।

· 12वीं योजना में मॉडल स्‍कूलों के रूप में ब्‍लॉक स्‍तर पर 6 हजार स्‍कूलों की स्‍थापना का प्रस्‍ताव है।

· राष्‍ट्रीय माध्‍यमिक शिक्षा अभियान हेतु 3,124 करोड़ रुपये उपलब्‍ध कराए गए हैं, जो कि 2011-12 के बजट अनुमान की तुलना में 29 प्रतिशत अधिक है।

· छात्रों को बेहतर ऋण प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए एक ऋण गारंटी निधि स्‍थापित करने का प्रस्‍ताव है।

· मौजूदा टीका इकाइयों का आधुनिकीकरण किया जाएगा। चेन्‍नई के पास एक नई एकीकृत टीका इकाई लगाने का प्रस्‍ताव है।

· राष्‍ट्रीय ग्रामीण स्‍वास्‍थ्‍य मिशन के लिए आवंटन 2011-12 के 18,115 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2012-13 में 20,822 करोड़ रुपये किया जाना प्रस्‍तावित है।

· राष्‍ट्रीय शहरी स्‍वास्‍थ्‍य मिशन की शुरूआत की जा रही है।

· प्रधानमंत्री स्‍वास्‍थ्‍य सुरक्षा योजना का विस्‍तार करके 7 और सरकारी मेडिकल कॉलेजों का आधुनिकीकरण किया जा रहा है।

· राष्‍ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन हेतु आवंटन में 34 प्रतिशत बढ़ोतरी करके 3,915 करोड़ रुपये किया गया है।

· बैंक ऋण को आसान बनाना, महिलाओं की एसएचजी की विकास निधि हेतु आधारभूत निधि को बढ़ाना।

· आजीविका योजना के जरिए भारत लिवलीहुड फाउंडेशन स्‍थापित करने का प्रस्‍ताव।

· प्रधानमंत्री के रोजगार सृजन कार्यक्रम के आवंटन में 2012-13 में 23 प्रतिाशत की बढ़ोतरी करके 1,276 करोड़ रुपये करना।

· राष्‍ट्रीय कौशल विकास निधि हेतु 2012-13 में 1,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।

· कौशल विकास हेतु संस्‍थागत ऋण प्रवाह बढ़ाने के लिए एक अलग ऋण गारंटी निधि की स्‍थापना का प्रस्‍ताव।

· बीपीएल लाभार्थियों हेतु चल रही इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय विधवा पेंशन स्‍कीम तथा इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय नि:शक्‍त पेंशन स्‍कीम में पेंशन राशि 200 रुपये से बढ़़ाकर 300 रुपये प्रति माह की गई है।

· बीपीएल परिवार के 18 से 64 वर्ष आयु वर्ग के प्रमुख सदस्‍य की मृत्‍यु पर दिया जाने वाला एक मुश्‍त अनुदान दुगुना करके 20 हजार रुपये किया गया है।

· यूआईडी-आधार में 40 करोड़ और अधिक लोगों के नामांकन के लिए पर्याप्‍त धन उपलब्‍ध कराया जायेगा। पहले ही 20 करोड़ लोग नामांकित हो चुके हैं।

· रक्षा सेवाओं के लिए 1,93,407 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। जिसमें पूंजी व्‍यय हेतु 79,579 करोड़ रुपये शामिल हैं।

· केन्‍द्रीय सशस्‍त्र पुलिस बलों के लिए लगभग 4,000 आवासीय इकाइयों के निर्माण हेतु 1,185 करोड़ रुपये आवंटित किये जाने का प्रस्‍ताव है।

· सकल कर प्राप्तियां 10,77,612 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।

· 2012-13 के कुल व्‍यय हेतु 14,90,925 करोड़ रुपये की बजटीय व्‍यवस्‍थाएं।

· वर्ष 2012-13 में 9,69,900 करोड़ रुपये के गैर-योजनाबद्ध खर्चे का अनुमान है, जबकि योजनाबद्ध खर्च 5,21,025 करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जो कि 2011-12 के बजट अनुमान से 18 प्रतिशत अधिक है।

· वर्ष 2012-13 के दौरान सकल घरेलू उत्‍पाद वृद्धि 7.6 प्रतिशत होने का अनुमान। इसमें 0.25 प्रतिशत की कमी या अधिकता हो सकती है।

· 2012-13 में वित्‍तीय घाटा सकल घरेलू उत्‍पाद का 5.1 प्रतिशत रहेगा।

· स्‍वाभिमान: शेष बस्तियों को इसके अंतर्गत लाना: इसका और अधिक बस्तियों तक विस्‍तार करना: स्‍वाभिमान बस्तियों में अति लघु शाखाओं की स्‍थापना करना।

· हथकरघा बुनकरों के ऋणों को माफ करने और उनकी सहकारी समितियों की स्‍थापना करने, आंध्र प्रदेश और झारखंड में बड़े हथकरघा समूह की स्‍थापना करना, मिजोरम, नागालैंड, झारखंड में बुनकर सेवा केन्‍द्रों की स्‍थापना और महाराष्‍ट्र में पावरलूम के बड़े समूह की स्‍थापना के लिए 3,884 करोड़ रूपये के वित्‍तीय पैकेज का प्रस्‍ताव।

पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में जियो-टैक्‍सटाइल के लिए 500 करोड़ रूपये की पायलेट योजनाओं का प्रावधान। (PIB.NIC.IN)