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25 फ़रवरी 2012

गरीबों को सस्ते अनाज के प्रावधान के लिए नई जुगत

आर.एस. राणा नई दिल्ल
देश की 63 फीसदी जनता को सस्ता अनाज दिला पाने की राह में बढ़ती अड़चनों के चलते संप्रग सरकार नई जुगत में लग गई है। यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी की महत्वाकांक्षी योजना ‘प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा विधेयक’ पर सरकार में मतभेद के चलते बीच का रास्ता निकालने की कोशिश हो रही है। केंद्र सरकार अब मौजूदा राशन प्रणाली के तहत ही प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा विधेयक के कुछ प्रावधानों को लागू करने पर विचार कर रही है। अगर बात सही दिशा में चली तो कैबिनेट की मंजूरी लेकर एक प्रशासनिक आदेश के जरिये इन प्रावधानों को लागू कर दिया जाएगा। इस समय खाद्य सुरक्षा विधेयक संसद की स्थायी समिति के पास है।

खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रशासनिक आदेश के जरिये तकरीबन 63 फीसदी जनता को सस्ता अनाज मुहैया कराने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए दो श्रेणियां बनाई जाएंगी। इनमें से एक में गरीबी रेखा से ऊपर रहने वाले परिवार (एपीएल) और दूसरी में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवार (बीपीएल) शामिल होंगे। मौजूदा समय में सरकार तीन श्रेणियों एपीएल, बीपीएल और अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) के माध्यम से राशन प्रणाली के तहत खाद्यान्न का आवंटन करती है।

उन्होंने बताया कि विधेयक के प्रारूप के अनुसार ही बीपीएल परिवारों को 3 रुपये प्रति किलो की दर से चावल, 2 रुपये प्रति किलो की दर से गेहूं और 1 रुपये प्रति किलो की दर से मोटे अनाजों का आवंटन करने की योजना है। उधर, एपीएल परिवारों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की आधी कीमत पर खाद्यान्न का आवंटन किया जाएगा। बीपीएल परिवार के प्रत्येक सदस्य को हर महीने सात किलो अनाज तथा एपीएल परिवार के प्रत्येक सदस्य को हर महीने तीन किलो अनाज सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से दिया जाएगा। हालांकि इससे सरकारी खजाने पर 27,663 करोड़ का अतिरिक्त भार पडऩे की संभावना है। इससे खाद्य सब्सिडी बिल का बोझ 95,000 करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है। इसके अलावा ज्यादा कृषि उत्पादन के लिए तकरीबन 1,10,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च भी बढ़ेगा क्योंकि इससे खाद्यान्न की मांग 550 करोड़ टन से बढ़कर 610 करोड़ टन हो जाने का अनुमान है।

नई कवायद

अब मौजूदा राशन प्रणाली के तहत ही प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा बिल के कुछ प्रावधानों को लागू करने पर विचार कर रही है सरकार

अगर बात सही दिशा में चली तो कैबिनेट की मंजूरी लेकर एक प्रशासनिक आदेश के जरिये इन प्रावधानों को कर दिया जाएगा लागू

बिल का अप्रत्यक्ष विरोध

कृषि मंत्री < शरद पवार का कहना है कि खाद्य सुरक्षा कानून को यदि मौजूदा पीडीएस प्रणाली के जरिए ही लागू करने की कोशिश की गई तो यह लक्ष्य प्राप्त करने में सफलता नहीं मिल पाएगी

>वित्त मंत्री <> प्रणब मुखर्जी ने बढ़ते सब्सिडी बोझ पर चिंता जताते हुए हाल ही में कहा था कि इससे उनकी रातों की नींद उडऩे लगी है।

<>तमिलनाडु <> की मुख्यमंत्री जे. जयललिता के अनुसार खाद्य सुरक्षा विधेयक भ्रम व त्रुटियों से परिपूर्ण है और यह खाद्य सुरक्षा मुहैया कराने की पहल का मखौल उड़ाएगा।
(Business Bhaskar... R S Rana)

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