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16 फ़रवरी 2012

निर्यात मांग घटने से लाल मिर्च में गिरावट की संभावना

बिजनेस भास्कर नई दिल्ली

लाल मिर्च की पैदावार में बढ़ोतरी और निर्यात मांग कमजोर होने से कीमतों में और गिरावट की संभावना है। आंध्र प्रदेश में लाल मिर्च की पैदावार बढ़कर 2.25 करोड़ बोरी (एक बोरी-40) होने की संभावना है। जबकि चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों (अप्रैल से दिसंबर) के दौरान लाल मिर्च का निर्यात 19 फीसदी घटा है। चालू महीने के आखिर तक आवकों का दबाव बन जाएगा इसलिए गिरावट को बल मिल रहा है।

गुंटूर चिली मर्चेंट्स एसोसिएशन के सचिव अशोक कोठारी ने बताया कि आंध्र प्रदेश में चालू सीजन में लाल मिर्च की बुवाई बढ़कर 0.37 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि मौसम भी फसल के अनुकूल रहा है। इसीलिए पैदावार पिछले साल के 1.90 करोड़ बोरी से बढ़कर 2.25 करोड़ बोरी होने का अनुमान है। गुंटूर में लाल मिर्च की दैनिक आवक 40 से 50 हजार बोरियों की हो रही है जबकि चालू महीने के आखिर तक आवक बढ़कर एक लाख बोरियों की हो जाएगी। इसलिए मौजूदा कीमतों में 300 से 500 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट और आने की संभावना है।

अशोक एंड कंपनी के डायरेक्टर अशोक दत्तानी ने बताया कि इस समय तेजा क्वालिटी में थोड़ी-बहुत मांग बांग्लादेश और मलेशिया की आ रही है। लेकिन पैदावार में बढ़ोतरी की संभावना के कारण अन्य देशों की आयात मांग पहले की तुलना में कम हुई है।

भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2011-12 के पहले नौ महीनों अप्रैल से दिसंबर के दौरान 153,500 टन लाल मिर्च का ही निर्यात हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 190,500 टन का निर्यात हुआ था। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय लाल मिर्च के दाम भी जनवरी के 3.53 डॉलर प्रति किलो से घटकर 3.20 डॉलर प्रति किलो रह गए हैं।

लाल मिर्च के थोक कारोबारी मांगीलाल मुंदड़ा ने बताया कि मंडी में तेजा क्वालिटी की लाल मिर्च के भाव 5,000 से 5,600 रुपये और 334 क्वालिटी की लाल मिर्च के भाव 4,000 से 4,500 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। एनसीडीईएक्स पर मार्च महीने के वायदा अनुबंध में तीन फरवरी को लाल मिर्च का भाव 5,730 रुपये प्रति क्विंटल था जबकि बुधवार को इसका भाव घटकर 5,410 रुपये प्रति क्विंटल रह गया।

मसालों का निर्यात कम रहा
मुंबई चालू वित्त वर्ष के पहले नौ माह अप्रैल से दिसंबर के बीच भारत का मसाला निर्यात एक फीसदी गिरकर 396,665 टन रहा। इस दौरान लाल मिर्च, धनिया और लहसुन का निर्यात कमजोर रहने के कारण कुल मसाला निर्यात गिरा है। स्पाइसेज बोर्ड के एक बयान के अनुसार मूल्य के लिहाज से इस अवधि में मसालों का निर्यात 47 फीसदी ज्यादा रहा।

पिछले वर्ष 2011 के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपया करीब 16 फीसदी गिरने का फायदा मसाला निर्यातकों को मिला। बोर्ड के अनुसार आलोच्य अवधि में लहसुन का निर्यात 93 फीसदी गिरकर 1,175 टन रह गया। लाल मिर्च का निर्यात 19 फीसदी घटकर 153,500 टन रहा। लेकिन इस दौरान काली मिर्च, हल्दी, जीरा और इलायची के निर्यात में बढ़ोतरी दर्ज की गई। (Business Bhaskar)

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