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12 जनवरी 2012

आवक कम होने से तेजी आने लगी दालों में

दालों की कीमतों में फिर से तेजी आने लगी है। पिछले सप्ताह भर में दालों की थोक कीमतों में 250 से 700 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है। उत्पादक मंडियों में दलहन की आवक में कमी आई है जबकि रुपये के मुकाबले डॉलर की मजबूती से आयात पड़ता महंगा पड़ रहा है।

दालों की घरेलू मांग भी पहले की तुलना में बढ़ी है इसीलिए मौजूदा कीमतों में और भी तेजी की संभावना है। दलहन के थोक कारोबारी निशांत मित्तल ने बताया कि दालों की मांग पहले की तुलना में बढ़ गई है जबकि उत्पादक मंडियों में आवकों में कमी आई है। रुपये के मुकाबले डॉलर की मजबूती से आयात पड़ता महंगा होने के कारण आयात सौदे भी सीमित मात्रा में हो रहे हैं।

हालांकि अब डॉलर थोड़ा कमजोर हुआ है। आयात कम हो पाने के कारण दालों की थोक कीमतों में पिछले सप्ताहभर में 250 से 700 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है। दिल्ली में उड़द दाल का भाव बढ़कर 4,100 से 6,200 रुपये, अरहर दाल का 4,900 से 6,300 रुपये, मूंग दाल का 5,000 से 6,400 रुपये, मसूर दाल का भाव 3,450 से 4,400 रुपये और चना दाल का 3,900 से 4,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गया।

बंदेवार दाल एंड बेसन मिल के मैनेजिंग डायरेक्टर सुनिल बंदेवार ने बताया कि महाराष्ट्र, कर्नाटक और अन्य राज्यों की मंडियों में दालों की आवकों में कमी आई है। रबी दलहन की आवक मार्च-अप्रैल में बनेगी तथा रबी में बुवाई में कमी आई है जिससे तेजी को बल मिल रहा है। महाराष्ट्र की मंडियों में उड़द का भाव बढ़कर 3,700 रुपये, अरहर का भाव 3,400-3,700 रुपये, मूंग का भाव 4,300 रुपये और चने का भाव 3,700 रुपये प्रति क्विंटल हो गया।

रिक्का ग्लोबल इम्पैक्स लिमिटेड के डायरेक्टर कर्ण अग्रवाल ने बताया कि रुपये के मुकाबले डॉलर मजबूत होने से नवंबर-दिसंबर के दौरान आयात सौदे कम हुए हैं। जबकि तंजानिया की मूंग मुंबई पहुंच 4,175 रुपये और पेडीसेवा की 4,560 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है। लेमन अरहर का भाव 3,400 रुपये, उड़द एसक्यू 3,800 रुपये और आस्ट्रेलियाई चने का भाव 3,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है।

सूत्रों के अनुसार चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से अक्टूबर के दौरान 16.59 लाख टन दलहन का आयात हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 16.29 लाख टन का आयात हुआ था। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में दलहन की बुवाई घटकर 140.66 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 142.38 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। (Business Bhaskar.....R S Rana)

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