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05 जनवरी 2012

जितना दाम, उतना शुद्ध गहना

भारतीय मानक ब्यूरो एक्ट, 1986 में संशोधन को कैबिनेट ने दी मंजूरी

सोने के गहनों पर हॉलमार्किंग की अनिवार्यता ग्राहकों के लिए काफी अच्छी है क्योंकि उन्हें शुद्ध सोने के आभूषण मिल सकेंगे। हालांकि, इसे लागू करने में अभी काफी समय लग सकता है क्योंकि इस कारोबार में सबसे अधिक हिस्सेदारी असंगठित क्षेत्र की ही है। -संजीव अग्रवाल, सीईओ, गीतांजलि ग्रुप

क्या है हॉलमार्किंग :- हॉलमार्किंग दरअसल कीमती धातुओं की शुद्धता का प्रमाणपत्र है।
क्या होगा इससे :- हॉलमार्किंग के अनिवार्य हो जाने से ग्राहकों द्वारा खरीदी जाने वाली ज्वैलरी में सोने की पूरी मात्रा उन्हें मिलेगी। अत: इससे सोने के गहने खरीदने वालों के हितों की रक्षा होगी क्योंकि ज्वैलर्स अब गड़बड़ी नहीं कर पाएंगे।
कठोर दंड भी :- नियमों का पालन नहीं करने वाले ज्वैलर्स के खिलाफ जुर्माने की राशि न्यूनतम 2 लाख रुपये व अधिकतम 5 लाख रुपये होगी। इसके अलावा एक साल की कैद का भी प्रावधान होगा।
केंद्र सरकार ने सोने के आभूषणों पर हॉलमार्किंग को अब अनिवार्य कर दिया है। बुधवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम, 1986 में संशोधन को मंजूरी दी गई। हॉलमार्किंग के अनिवार्य हो जाने से ग्राहकों द्वारा खरीदी जाने वाली ज्वैलरी में सोने की पूरी मात्रा उन्हें मिलेगी। इसका मतलब यही है कि इस मंजूरी से सोने के गहने खरीदने वाले उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा होगी क्योंकि ज्वैलर्स अब गड़बड़ी नहीं कर पाएंगे।

उपभोक्ता मामला मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सोने के गहनों पर हॉलमार्किंग अनिवार्य हो जाने से अब ग्राहकों के हितों से खिलवाड़ नहीं हो पाएगा। दरअसल, ज्वैलर्स को अब केवल हॉलमार्क गहनों की ही बिक्री करनी होगी। नियमों का पालन नहीं करने वाले ज्वैलर्स के खिलाफ जुर्माने की राशि न्यूनतम 2 लाख रुपये और अधिकतम 5 लाख रुपये होगी। इसके अलावा एक साल की कैद का भी प्रावधान होगा। हॉलमार्किंग दरअसल कीमती धातुओं की शुद्धता का प्रमाणपत्र है।

गीतांजलि ग्रुप के सीईओ संजीव अग्रवाल ने 'बिजनेस भास्कर' को बताया कि सोने के गहनों पर हॉलमार्किंग की अनिवार्यता ग्राहकों के लिए काफी अच्छी है क्योंकि उन्हें शुद्ध सोने के आभूषण मिल सकेंगे। हालांकि, इसको लागू करने में अभी काफी समय लग सकता है क्योंकि इस कारोबार में सबसे अधिक हिस्सेदारी असंगठित क्षेत्र की ही है। उन्होंने बताया कि इससे पहले सरकार प्रत्येक जिले में एक हॉलमार्क सेंटर स्थापित करेगी।

फिलहाल देश में कुल 170 हॉलमार्क सेंटर हैं। उन्होंने बताया कि उद्योग पर भी इसका असर काफी अच्छा होगा। बॉम्बे बुलियन एसोसिएशन के अध्यक्ष पृथ्वीराज कोठारी के अनुसार अभी यह देखना होगा कि सरकार ने इसे अभी केवल महानगरों और 'ए प्लस' शहरों में अनिवार्य किया है या सभी जगह। इसको लागू करने में अभी समय लग सकता है
क्योंकि छोटे और मझोले कारोबारियों की हिस्सेदारी बाजार में अधिक है। इसके अलावा हॉलमार्क सेंटरों की संख्या को भी बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। ग्राहक भी अभी हॉलमार्क गहनों के बारे में जागरूक हो रहे हैं। मालूम हो कि इस समय सीमेंट, मिनरल वाटर और दुग्ध उत्पाद सहित तकरीबन 77 उत्पाद भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) कानून के तहत अनिवार्य हॉलमार्किंग के जरिए प्रमाणीकृत किए जाते हैं।

आभूषणों की स्वैच्छिक हॉलमार्किंग स्कीम वर्ष 2001 में शुरू की गई थी और बीआईएस को सोने के आभूषणों की हॉलमार्किंग के लिए देश में एकमात्र एजेंसी के रूप में नामित किया गया। (Business Bhaskar....R S Rana)

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