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12 जनवरी 2012

लाख हुए जतन, पर ग्वार में जारी रहा उफान

ग्वार की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने की वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) की सभी कोशिशें विफल साबित होती दिख रही हैं। वायदा और हाजिर दोनों बाजारों में ग्वार की कीमतें हर दिन रिकॉर्ड बना रही हैं। बुधवार को हाजिर और वायदा दोनों बाजारों में ग्वार गम की कीमतें 30,000 रुपये प्रति क्ंिवटल और ग्वार की कीमतें 9,000 रुपये प्रति क्ंिवटल को पार कर गईं।
एनसीडीईएक्स पर ग्वार गम का मार्च अनुबंध बुधवार को चार फीसदी बढ़त के साथ 30,123 रुपये प्रति क्ंिवटल पर पहुंच गया जबकि दूसरे अनुबंध भी 30 हजार रुपये प्रति क्विंटल के आसपास बोले जा रहे हैं। एनसीडीईएक्स पर ग्वार का मार्च अनुबंध बढ़कर 9,127 रुपये और फरवरी अनुबंध 9,015 रुपये प्रति क्ंिवटल पर पहुंच गया। ग्वार के सबसे बड़े हाजिर बाजार जयपुर मंडी में भी ग्वार गम की कीमतें 30 हजार और ग्वार 9,000 रुपये प्रति क्विंटल के मनोवैज्ञानिक स्तर को छू गईं।
ग्वार की फर्राटा भरती कीमतों को मार्जिन का लगाम और एफएमसी का चाबुक भी नहीं रोक पाया है। एनसीडीईएक्स के तीन बार विशेष मार्जिन बढ़ाए जाने के बावजूद कीमतों में बढ़ोतरी जारी है। इस समय ग्वार और ग्वार गम के सौदों पर कुल 40 फीसदी मार्जिन है, जिसमें 10 फीसदी विनिमय मार्जिन और 30 फीसदी विशेष मार्जिन शामिल है। मार्जिन बढ़ाने के साथ ही एफएमसी ने ग्वार सौदों की जांच के लिए एक समिति भी गठित की थी, जिसने ऐसे कारोबारियों की पहचान भी की जो ग्वार सौदों में गड़बड़ी कर कीमतें बढ़ा रहे थे। बावजूद पिछले एक महीने में ग्वार और ग्वार गम के वायदा सौदों में लगभग हर दिन सर्किट लगा है और एक महीने में कीमतों में करीब 55 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। पिछले एक साल में ग्वार गम की कीमतों में 320 फीसदी और ग्वार की कीमतों में 250 फीसदी बढ़ोतरी हो चुकी है।
ग्वार गम और ग्वार की बढ़ती कीमतों की वजह निर्यात मांग अधिक होने, कमजोर पैदावार और सटोरियों की दिलचस्पी को बताया जा रहा है। ऐंजल कमोडिटी की वेदिका नार्वेकर कहती हैं कि विदेशों में भारी मांग के कारण कीमतें बढ़ रही हैं, लेकिन मौजूदा स्तरों पर पैसा लगाना मेरे विचार से सही नहीं होगा। एफएमसी ग्वार की कीमतों को इस तरह नहीं बढऩे देगा और संभव है कि वह जल्द ही ग्वार के वायदा सौदों पर ट्रेड टू ट्रेड का नियम लागू कर दे यानी 100 फीसदी मार्जिन।
अप्रैल से सितंबर के बीच ग्वार गम का निर्यात 68 फीसदी बढ़ा है। इस दौरान भारत से 3,710.83 करोड़ रुपये का 2.85 लाख टन ग्वार गम का निर्यात हुआ है जबकि पिछले साल 1.70 लाख टन ग्वार गम का निर्यात हुआ था। माना जा रहा है कि 2011 में ग्वार कम का 4.03 लाख टन का हुआ है। कारोबारियों की मानी जाए तो अमेरिका, रूस, चीन, जर्मनी, इटली और ऑस्ट्रेलिया में ग्वार की जोरदार मांग बनी हुई है।
राजस्थान सरकार द्वारा मंगलवार देर शाम जारी दूसरे अग्रिम अनुमान में कहा गया है कि ग्वार का कुल उत्पादन बढ़कर 12.09 लाख टन पर पहुंच जाएगा। सितंबर में जारी पहले अग्रिम अनुमान में 11.36 लाख टन उत्पादन का अनुमान था। राज्य में ग्वार का औसत रकबा बढ़कर 30.9 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है। (BS Hindi)

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