कुल पेज दृश्य

28 जनवरी 2012

लेनदेन के तुरंत बाद मिलेगा एसएमएस

जिंस वायदा एक्सचेंजों पर सहज, सुरक्षित और पारदर्शी कारोबार और हेजिंग करने वालों की सीधी प्रतिभागिता की खातिर वायदा बाजार आयोग ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाने की योजना बनाई है। इसके लिए नियामक ने कहा है कि सदस्य द्वारा अपने क्लाइंट के लिए किए गए हर लेन-देन की बाबत एक्सचेंज एसएमएस और ईमेल अलर्ट भेजे। इसका मतलब यह हुआ कि एक्सचेंज के प्लैटफॉर्म पर कारोबार संपन्न होने के साथ ही क्लाइंट को एसएमएस और ईमेल मिल जाएगा। ये अलर्ट एक्सचेंज के सॉफ्टवेयर से स्वत: ही भेजे जाएंगे और 1 मई 2012 से यह अनिवार्य होगा। यह काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि स्टॉक एक्सचेंज भी सभी लेनदेन की बाबत ऐसे अलर्ट नहीं भेजता है।
एफएमसी के चेयरमैन रमेश अभिषेक ने कहा - हमने एक्सचेंजों से ऐसे सॉफ्टवेयर विकसित करने को कहा है, जिनके जरिए सौदा संपन्न होते ही तत्काल और स्वत: एसएमएस और ईमेल क्लाइंट के पास पहुंच जाएं। जिंस एक्सचेंजों ने भी इस कदम का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था जल्द ही तैयार हो जाएगी और इसे 1 मई से लागू कर दिया जाएगा।
मौजूदा समय में कुछ ब्रोकरों (जिंस व स्टॉक दोनों) ने ही एक्सचेंज के प्लैटफॉर्म पर सौदा होने के बाद किसी कर्मचारी के जरिए ईमेल अलर्ट भेजने की व्यवस्था की हुई है। लेकिन यह अलर्ट अनिवार्य नहीं है। दोनों ही अलर्ट अपने आप में काफी कुछ बता देंगे, जिसमें सौदे से संबंधित सभी जानकारियां होंगी, मसलन मात्रा, कीमत, कुल लागत और सौदा किए जाने की तारीख व समय आदि। देश के कई बैंकों में इस तरह की व्यवस्था पहले से ही है, जहां लेनदेन के तुरंत बाद ईमेल अलर्ट व एसएमएस भेजे जाते हैं। इसके अलावा नियामक एक्सचेंजों व जिंस वायदा एक्सचेंजों से जुड़े कमीशन व ब्रोकिंग फर्म के अंकेक्षकों के लिए आचार संहिता लागू करने की योजना बना रहा है। नई आचार संहिता के मुताबिक अगर किसी अंकेक्षक ने एक्सचेंज या किसी सदस्य के बही खातों की जांच कर ली है तो उसे इसकी श्रृंखला से जुड़ी अन्य इकाइयों के खाते बही की जांच से तीन साल तक अलग रखा जाएगा। अभिषेक ने कहा कि इस आचार संहिता का मकसद ब्रोकर व एक्सचेंज के हितों के टकराव को टालना है।
जिंस एक्सचेंजों के विवादों को सीमित करने के लिए एफएमसी शेयर बाजार की तरह तिमाही निपटान व्यवस्था पर काम कर रहा है। इसके तहत एक सदस्य को अपने क्लाइंट के खाते को हर तिमाही निपटाना होगा और अगर उसकी रकम निकलती है तो उसे भुगतान करना होगा या फिर अगर क्लाइंट देनदार है तो उससे वसूली करनी होगी। इसका मतलब यह नहीं है कि क्लाइंट को तिमाही की समाप्ति पर सभी पोजीशन काटनी होंगी। एफएमसी के चेयरमैन ने कहा - इससे काम सहज हो जाएगा और शिकायत का निपटान भी जल्द हो जाएगा क्योंकि ऐसी शिकायतें तीन महीने से ज्यादा पुरानी नहीं होंगी। इसके अलावा एफएमसी बाजार के विकास के लिए एक्सचेंज के निवेशक सुरक्षा कोष में जमा ब्याज की राशि के उपयोग की संभावना भी तलाश रहा है। (BS Hindi)

कोई टिप्पणी नहीं: