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10 जनवरी 2012

लौह अयस्क में नरमी के आसार

लौह अयस्क पर आयात शुल्क 30 फीसदी किए जाने के हालिया सरकारी फैसले के चलते घरेलू बाजार में इसकी कीमतें औसतन 20 से 40 फीसदी घट सकती हैं और लौह अयस्क की विभिन्न किस्मों में कटौती अलग-अलग होंगी। हालांकि देश में लौह अयस्क के सबसे बड़ी उत्पादक कंपनी नैशनल मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एनएमडीसी) को लौह अयस्क की कीमतोंं में कटौती पर फैसला लेना बाकी है। स्टील उद्योग सरकारी फैसले से खुश है।
जेएसडब्ल्यू स्टील के संयुक्त प्रबंध निदेशक और ग्रुप सीएफओ शेषगिरि राव ने कहा - 'वैश्विक बाजार में लौह अयस्क की कीमतें करीब 50 डॉलर प्रति टन घटी हैं और ऐसे समय में भारतीय रुपया भी डॉलर के मुकाबले करीब 22 फीसदी लुढ़का है। इसके अलावा लौह अयस्क पर निर्यात शुल्क में भी इजाफा हुआ है। इन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए हमारा मानना है कि 62.5 फीसदी लौह कण वाले अयस्क की कीमतें मौजूदा 3300 रुपये प्रति टन के मुकाबले घटकर 2000 रुपये प्रति टन से नीचे आनी चाहिए, इस तरह कुल गिरावट करीब 40 फीसदी की बैठती है।'
जेएसडब्ल्यू स्टील कर्नाटक में 1 करोड़ टन सालाना क्षमता वाला संयंत्र संचालित करती है और लौह अयस्क की कीमतों में गिरावट से सबसे ज्यादा फायदा हासिल करने वाली कंपनियों में एक यह भी होगी। कंपनी को अपने संयंत्र के लिए रोजाना करीब 50,000 टन लौह अयस्क की दरकार होती है।
मौजूदा समय में कर्नाटक में ई-नीलामी की आधार कीमतें 63 फीसदी लौह कण वाले अयस्क के लिए 2700 रुपये प्रति टन है और एनएमडीसी इसके लिए 3800 रुपये प्रति टन का भाव वसूलती है। राव ने कहा कि निश्चित तौर पर जेएसडब्ल्यू स्टील मौजूदा वित्त वर्ष में 75 लाख टन स्टील उत्पादन का लक्ष्य हासिल कर लेगी कर्नाटक में अब तक 180 लाख टन लौह अयस्क की नीलामी हो चुकी है। इसमें से करीब 120 लाख टन की बिक्री हो चुकी है। अब तक चाहे जितनी भी बिक्री हुई है, लेकिन इसकी सुपुर्दगी में 55 फीसदी से ज्यादा का सुधार आया है।
राव ने कहा - 'लंबे समय तक स्टील उद्योग का अस्तित्व बने रहने के लिए सरकारी कदम काफी लाभदायक है। हम 47 अरब डॉलर का लौह अयस्क निर्यात कर रहे हैं जबकि 100 अरब डॉलर का स्टील आयात कर रहे हैं। ऐसे में भारत जैसे देश के लिए खराब गुणवत्ता वाले लौह अयस्क के निर्यात का कोई मतलब नहीं बनता। चीन समेत हर देश अपने प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित कर रहा है। स्टील उद्योग के नजरिए से लौह अयस्क पर निर्यात शुल्क में इजाफा करने का सरकारी कदम स्वागतयोग्य है।'मौजूदा समय में लौह अयस्क की कीमतें वैश्विक बाजार में 110 से 135 डॉलर प्रति टन के दायरे में है, वहीं घरेलू बाजार में कीमतें 67 डॉलर प्रति टन पर हैं।
एनएमडीसी के सीएमडी एन के नंदा ने कहा - 'हमने लौह अयस्क की कीमतों में कटौती का फैसला अभी नहीं लिया है। बाजार इस बारे में कयास लगा रहा है। वास्तव में लौह अयस्क
की किल्लत के चलते उड़ीसा में कुछ खदान मालिकों ने कीमतें बढ़ा दी हैं।' हालांकि स्टील उद्योग के अनुमान के विपरीत फिमी को नहीं लगता कि लंबी अवधि में कीमतों में बहुत ज्यादा कटौती होगी। फिमी के निदेशक डी वी पिचामुथु ने कहा - 'निर्यात शुल्क में इजाफा करने का कोई मतलब नहीं बनता। लंबी अवधि में लौह अयस्क की कीमतें सिर्फ बढ़ेंगी क्योंकि खदान में लंबे समय तक लौह अयस्क फाइंस को नहीं रखा जा सकता। अंतरराष्ट्रीय बाजार में देश की हिस्सेदारी कम हो जाएगी। साथ ही रेलवे व बंदरगाह क्षेत्र को भारी नुकसान होगा।'इससे सहमति जताते हुए ऐंजल ब्रोकिंग के विश्लेषक भुवनेश चौहान ने कहा - 'घरेलू बाजार में कीमतें बहुत ज्यादा कम नहीं होंगी क्योंकि वैश्विक कीमतों के मुकाबले यह पहले ही काफी नीचे आ चुकी हैं। अयस्क की मांग में तेजी है और इसकी किल्लत कर्नाटक में खनन पर पाबंदी के चलते हुई है। (BS Hindi)

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