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31 जनवरी 2012

सेबी की तरह 65 साल में हो एफएमसी के चेयरमैन की सेवानिवृत्ति

वायदा बाजार आयोग ने उपभोक्ता मामले, खाद्य व सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर बनी स्थायी समिति की उस सिफारिश का विरोध किया है जिसमें समिति ने नियामक के चेयरमैन व सदस्यों के अवकाश प्राप्त करने की उम्र 60 साल रखने को कहा है। समिति ने हाल में फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट रेग्युलेशन अधिनियम (एफसीआरए) में संशोधन के लिए सिफारिशें सौंपी है।
समिति ने कहा है कि दूसरे सरकारी विभाग के अधिकारियों की तरह एफएमसी चेयरमैन की अवकाश प्राप्त करने की उम्र 60 साल होनी चाहिए। सेबी के सदस्य और चेयरमैन की अवकाश प्राप्त करने की उम्र हालांकि 65 साल है। एफएमसी चाहता है कि सेबी की तरह ही एफएमसी के चेयरमैन व सदस्यों की अवकाश प्राप्त करने की उम्र 65 हो।
शुक्रवार को उपभोक्ता मामलों के विभाग को भेजे आधिकारिक नोट में वायदा बाजार आयोग ने कहा है कि इस संस्था को सेबी समेत अन्य नियामक निकाय से अलग रखा जा रहा है। बैंकिंग नियामक आरबीआई के गवर्नर के लिए सरकार ने अवकाश प्राप्त करने की कोई उम्र तय नहीं की है, जबकि डिप्टी गवर्नर 62 साल तक पद पर बने रहते हैं। एफएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, एफएमसी का गठन फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट (रेग्युलेशन) अधिनियम के तहत हुआ है। ऐसे में इसके साथ दूसरे नियामक की तरह ही व्यवहार होना चाहिए और अवकाश की उम्र 65 साल की जानी चाहिए।
नागपुर के कांग्रेस सांसद विलास मुत्तेमवार की अगुआई वाली स्थायी समिति ने हाल में अपनी सिफारिशें सौंपी हैं। मुत्तेमवार ने कहा, एफएमसी चेयरमैन और सदस्यों की अवकाश प्राप्त करने की उम्र 60 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। मोटे तौर पर एफएमसी ने अन्य सिफारिशों पर सहमति जताई है। इन सिफारिशों में विदेशी प्रतिभागियों को जिंस वायदा प्लैटफॉर्म पर कारोबार की अनुमति नहीं देना शामिल है। समिति को डर है कि विदेशी कारोबारियों के मोटे निवेश से किसी एक जिंस की कीमतें उनके मनमुताबिक बढ़ सकती हैं। समिति ने हाजिर और वायदा कारोबार एफएमसी के दायरे मेंं लाने की भी सिफारिश की है।
जिंस वायदा बाजार में और मजबूती लाने की दरकार पर बल देते हुए एफएमसी ने कहा है कि बीमा कंपनियों, म्युचुअल फंडों और बैंकों समेत संस्थागत निवेशकों को वायदा प्लैटफॉर्म पर कारोबार की फौरन अनुमति दी जानी चाहिए। समिति की एक अन्य सिफारिश में कहा गया है कि एफएमसी के पास अलग जांच एजेंसी होनी चाहिए
ताकि वह एक्सचेंज के प्लैटफॉर्म पर हुई अनियमितता की जांच कर सके। समिति ने यहां भी ऑप्शन ट्रेडिंग की अनुमति देने की सिफारिश की है।
अधिकारियों ने कहा कि एफसीआरए संशोधन विधेयक से एफएमसी और मजबूत बनेगा और यह दूसरे नियामक के समान आ जाएगा। यह विधेयक बजट सत्र में पेश किया जा सकता है। उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय एफएमसी की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए अंतिम निर्णय करने के लिए इन्हें सदस्यों के पास भेजेगा। मामला कानून मंत्रालय के पास भी विचार के लिए जाएगा। कानून मंत्रालय प्रस्तावित विधेयक में सिफारिशों को शामिल करने की बाबत अपनी राय देगा। अंत में मामला कैबिनेट कमेटी के सामने पहुंचेगा।
इन प्रक्रियाओं में कम से कम दो महीने का वक्त लगेगा। अधिकारी ने कहा कि इस विधेयक को बजट सत्र के दौरान संसद में पेश किया जा सकता है। (BS Hindi)

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