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09 जनवरी 2012

कृषि यंत्रों के लिए 4 फीसदी पर कर्ज!

कृषि मंत्रालय ने 4 फीसदी की दर पर मिलने वाले रियायती फसली ऋण का दायरा कृषि यंत्रीकरण तक बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है। फिलहाल विभाग इस पर कार्य कर रहा है। विभाग का मकसद किसानों को कृषि और संबंधित कार्यों के लिए मशीनें खरीदने को प्र्रोत्साहित करना है, जिससे श्रम लागत घटाई जा सके। इस समय 4 फीसदी की रियायती दर पर कर्ज केवल फसल से संबंधित इनपुट जैसे बीज आदि के लिए ही मुहैया कराया जाता है।
अधिकारियों ने कहा कि इस प्रस्ताव का मकसद किसानों की श्रम लागत को नीचे लाना है, जिसका कुल लागत में 20-30 फीसदी हिस्सा होता है। कृषि यंत्रीकरण का मतलब कृषि कार्यों के लिए ज्यादा से ज्यादा मशीनों के इस्तेमाल से है। फिलहाल कृषि की समष्टि प्रबंधन योजना कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देने के लिए कीमत आधारित सब्सिडी मुहैया कराती है। इस योजना के तहत कुल कीमत का एक-चौथाई हिस्सा सरकार द्वारा वहन किया जाता है, हालांकि कुल कीमत में वापस रिफंड की राशि की एक सीमा है। यह सब्सिडी ट्रैक्टर, पावर ट्रिलर, स्वचालित, हस्तचालित, ऊर्जाचालित और पशुओं से खींचे जाने वाले उपकरणों और मशीनों, डीजल पंप सैट, ड्रिप सिंचाई, फव्वारों और पौधों की सुरक्षा करने वाले उपकरणों आदि के लिए मुहैया कराई जाती है। सरकार कृषि में परिसंपत्तियों के सृजन पर ज्यादा जोर दे रही है। सूत्रों ने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है, लेकिन कृषि यंत्रीकरण बहुत कम है और यह केवल बड़े किसानों तक ही सीमित है।
दूसरी ओर, बड़े पैमाने पर खाद्यान्न व नकदी फसलों का निर्यात और आयात कर भारत वैश्विक खाद्य और कृषि बाजार में अहम योगदान देता है। साथ ही, बहुत से अनिश्चित कारक भारत में कृषि और कृषि उपकरणों की बिक्री को प्रभावित करते हैं। इनमें मॉनसून, सरकार द्वारा घोषित किए जाने वाले समर्थन मूल्य, जिंसों की कीमतें, फसल उत्पादन लागत (तेल, उर्वरक, कीटनाशक और अन्य लागतों समेत) और बैंकों द्वारा घोषित ऋण नीति शामिल है। हालांकि कृषि यंत्रीकरण में बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन राज्यों में मशीनीकरण के स्तर में भारी असमानताएं हैं। विभिन्न योजना अवधियों में उत्तरी राज्यों जैसे पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश (विशेष रूप से पश्चिमी व तराई क्षेत्र) में कृषि यंत्रीकरण की वृद्धि तेज रही है। अधिकारियों ने कहा कि हालांकि अन्य उपकरणों और मशीनों जैसे कंबाइन हार्वेस्टर, थ्रेसर और अन्य ऊर्जा चालित उपकरणों का इस्तेमाल देश में बढ़ रहा है, लेकिन उत्तर-पूर्वी राज्यों में यंत्रीकरण की रफ्तार संतोषजनक नहीं है। इसकी वजह इन राज्यों की पहाड़ी भौगोलिक स्थिति, सामाजिक-आर्थिक दशाएं, परिवहन की ज्यादा लागत, संस्थागत वित्तीय सुविधाओं की कमी और कृषि यंत्रों का विनिर्माण करने वाले उद्योगों की कमी होना है। उन्होंने कहा कि देश के पश्चिमी व दक्षिणी राज्यों जैसे गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु के कुछ क्षेत्र, आंध्र प्रदेश आदि में सिंचाई सुविधाओं की बढ़ोतरी और किसानों में जागरूकता आने से कृषि यंत्रीकरण बढ़ा है। (Bs Hindi)

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