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19 नवंबर 2011

एमएसपी की सूची में और फसलें नहीं होंगी शामि

मुंबई November 17, 2011




सब्सिडी का बोझ कम करने और कीमतों पर पडऩे वाले दबाव घटाने की खातिर सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य की सूची में किसी और फसल को फिलहाल शामिल नहीं करने का फैसला किया है।
किसानों के लिए तैयार कृषि मंत्रालय की राष्ट्रीय नीति में ये सिफारिशें की गई थीं, लेकिन कृषि विकास के लिए कार्ययोजना बनाने की खातिर हाल में संबंधित मंत्रालयों के साथ हुई कैबिनेट सचिव की बैठक में यह फैसला लिया गया। कृषि समीक्षा की तैयारी और कृषि के लिए कार्ययोजना बनाने की खातिर यह बैठक प्रधानमंत्री के आदेश पर बुलाई गई थी। कृषि सर्वेक्षण बजट के दौरान पेश की जाने वाली आर्थिक समीक्षा के समानांतर दस्तावेज होगा।
इस बीच, अधिकारियों ने कहा कि बजट के लिए कृषि मंत्रालय को अपनी सिफारिशें सौंपने को कहा गया है, जो कार्ययोजना के एजेंडे का अनुपूरक हो सकता है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा - मंत्रालय किसानों की राष्ट्रीय नीति पर आधारित ज्यादातर सिफारिशें आगे बढ़ाना चाहता है, लेकिन कैबिनेट के अधिकारियों का मानना है कि खाद्य कीमतों पर महंगाई के दबाव व सरकार पर सब्सिडी के बोझ को देखते हुए इसे रोककर रखा जाए। अधिकारियों ने कहा कि मंत्रालय ज्यादातर सिफारिशें मध्यम अवधि के लिए करेगा, न कि छोटी अवधि के लिए, ताकि महंगाई के दबाव को दूर रखा जा सके।
किसानों की राष्ट्रीय नीति पर की सिफारिशों के आधार पर कृषि मंत्रालय फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य के आकलन के तौर-तरीकों की समीक्षा की वकालत कर रहा है, साथ ही इस सूची में और फसलों को शामिल करने की मांग कर रहा है। अंतरमंत्रालय बैठक में जो अन्य मांगे उठाई गईं उनमें उर्वरक, पानी व बिजली की समय पर आपूर्ति के अलावा किसानों के लिए डीजल सब्सिडी में बढ़ोतरी शामिल है। लेकिन बैठक में डीजल पर सब्सिडी बढ़ाने की मांग खारिज कर दी गई।
महंगाई और बढ़ती खाद्य कीमतों को राष्ट्रीय एजेंडे में प्राथमिकता के तौर पर रखते हुए कैबिनेट ने कृषि लागत व मूल्य आयोग द्वारा एमएसपी तय करने के लिए अपनाए गए तरीके में फिलहाल कोई फेरबदल न करने का फैसला किया। कृषि मंत्रालय के विजन डॉक्यूमेंट (किसानों की राष्ट्रीय नीति) में मंत्रालय ने सुझाव दिया है कि एमएसपी का निर्धारण भारांकित औसत लागत के मुकाबले 50 फीसदी ज्यादा होना चाहिए।
हाल में सरकार ने साल 2011-12 के रबी सीजन के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया है, जो गेहूं को छोड़कर बाकी फसलों के मामले में पिछले साल के मुकाबले करीब 20-25 फीसदी ज्यादा है। ऐसे वक्त में खाद्य मंत्रालय ने एमएसपी में होने वाली बढ़ोतरी से खाद्यान्न की कीमतों पर पडऩे वाले असर की बाबत चिंता जताई थी। एमएसपी विभिन्न जिंसों की सरकार द्वारा तय फ्लोर प्राइस है, जिसके नीचे उसका विपणन नहीं किया जा सकता। (BS Hindi)

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