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16 नवंबर 2011

यूपी की चीनी मिलें गन्ना के एसएपी के खिलाफ कोर्ट जाएंगी

सरकारी कदम - सरकार ने 235-250 रुपये का परामर्श मूल्य तय कियाचीनी कंपनियों का तर्कचीनी के दाम उत्तर प्रदेश में (एक्स-फैक्ट्री) 2,900 रुपये प्रति क्विंटल हैं। जबकि सरकार द्वारा तय एसएपी के आधार पर इसका दाम 3,400 रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए। ऐसे में मिलों को भारी नुकसान होगा। इसलिए राज्य की मिलें घोषित एसएपी पर भुगतान नहीं कर सकती हैं।
चीनी कंपनियों ने चालू पेराई सीजन 2011-12 (अक्टूबर से सितंबर) के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा तय किए गए राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) देने में असमर्थता जताई है। चालू पेराई सीजन के लिए राज्य सरकार ने गन्ने के एसएपी में 40 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 235-250 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। राज्य की चीनी मिले इस फैसले के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने की तैयारी कर रही हैं।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के डायरेक्टर जरनल अबिनाश वर्मा ने मंगलवार को दिल्ली में संवाददाताओं को बताया कि चीनी के दाम उत्तर प्रदेश में (एक्स-फैक्ट्री) 2,900 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। जबकि चालू पेराई सीजन के लिए राज्य सरकार द्वारा तय किए गए एसएपी के आधार पर इसका दाम 3,400 रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए।
ऐसे में चीनी मिलों को मौजूदा कीमतों पर भारी नुकसान होगा। यही कारण है कि राज्य की मिलें चीनी की मौजूदा कीमतों पर एसएपी का भुगतान नहीं कर सकती हैं। उत्तर प्रदेश में चालू पेराई सीजन के लिए राज्य सरकार ने जल्दी पकने वाली किस्म के गन्ने का एसएपी 250 रुपये और सामान्य किस्म के गन्ने का एसएपी 240 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। रिजेक्ट वैरायटी के गन्ने का एसएपी 235 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है।
इस अवसर पर यूपी शुगर मिल्स एसोसिएशन (यूपीएसएमए) के सचिव श्याम लाल गुप्ता ने कहा कि चीनी की मौजूदा एक्स-फैक्टरी कीमत पर एसएपी का भुगतान संभव नहीं है तथा इसके खिलाफ राज्य की मिलें इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जाएंगी। चीनी के दाम खुले बाजार में नहीं बढ़ेंगे तो फिर मिलें किसानों को भुगतान नहीं कर पाएंगी। जिसका असर अगले वर्षों में गन्ने के उत्पादन पर पड़ेगा।
अबिनाश वर्मा ने कहा कि इस समय उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों को तीन-चार रुपये प्रति किलो का घाटा उठाना पड़ रहा है। ऐसे में चालू पेराई सीजन में राज्य की मिलों को 3,000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ सकता है। पिछले साल भी राज्य की मिलों को भारी नुकसान हुआ है। चालू पेराई सीजन में उत्तर प्रदेश में 66 लाख टन चीनी का उत्पादन होने का अनुमान है।
वर्मा ने कहा कि चालू पेराई सीजन में देश में चीनी का उत्पादन बढ़कर 260 लाख टन होने का अनुमान है। पिछले साल के बकाया स्टॉक को देखते हुए सरकार को जल्द ही 30-40 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति दे देनी चाहिए। साथ ही सरकार को मिलों को हर महीने बेचे जाने वाले कोटा सिस्टम को भी समाप्त कर देना चाहिए। सरकार को लेवी चीनी की अनिवार्यता को भी समाप्त करना चाहिए। (Business Bhaskar.....R S Rana)

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