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15 नवंबर 2011

महंगाई और वायदा में संबंध नहीं : समिति

मुंबई November 14, 2011
जिंस डेरिवेटिव बाजार नियामक वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) को स्वायत्तता देने की दिशा में आगे बढ़ते हुए खाद्य, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण पर गठित संसदीय स्थायी समिति ने 8 महीनों के अंतराल के बाद फिर से संबंधित पक्षों से बातचीत शुरू कर दी है।विभिन्न पक्षों के विचार जानने के लिए सोमवार को समिति एफएमसी के अधिकारियों से मिली और मुंबई के सभी प्रमुख जिंस एक्सचेंजों का दौरा किया। निष्कर्षात्मक सिफारिशों पर पहुंचने के लिए यह कोलकाता, चेन्नई, भोपाल और अन्य प्रमुख शहरों का दौरा कर रही है। समिति के चेयरमैन विलास मुत्तेमवार ने कहा, 'संसद को अंतिम सिफारिश देने से पहले हम जिंस वायदा बाजार के सभी पक्षों के विचार जानना पसंद करेंगे।' एफएमसी के पूर्व चेयरमैन बी सी खटुआ के मुताबिक समिति ने इस साल मार्च में अंतिम विचार-विमर्श किया था। उसे उम्मीद थी कि वह अप्रैल तक सिफारिशें सौंप देगी। लेकिन इसने संबंधित पक्षों से मिलना शुरू कर दिया है। इसका मतलब है कि समिति एक महीने में सभी औपचारिकताएं पूरा कर दिसंबर के अंत तक अंतिम रिपोर्ट सौंप सकती है।हालांकि इस समिति का मुख्य उद्देश्य सरकार को यह सिफारिश देना है वायदा अनुबंध (नियमन) अधिनियम (एफसीआरए) में संशोधन किया जा सकता है या नहीं, जिससे वित्तीय संस्थानों को जिंसों में कारोबार की स्वीकृति दी जा सके। साथ ही एफएमसी को प्रतिभूति बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की तर्ज पर सभी शक्तियां दी जा सकें। समिति वायदा प्लेटफॉर्म पर कृषि जिंसों के कारोबार और मुद्रास्फीति के बीच संबंध के बारे में भी राय जानना चाहती है। कृषि जिंसों में वायदा कारोबार से महंगाई बढ़ती है, इस पर मुत्तेवार ने कहा - हितधारकों के साथ हुई बैठक में ऐसा कुछ भी नजर नहीं आया है। उन्होंने कहा - महंगाई के लिहाज से गेहूं और चावल ऐसे दो प्रमुख जिंस हैं जिस पर हम अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। ऐसी राय सामने आ रही है कि बैंकों, बीमा कंपनियों और म्युचुअल फंड को वायदा कारोबार की अनुमति दी जानी चाहिए। समिति जल्द ही एक्सचेंजों व ब्रोकिंग फर्मों के पास मौजूद बुनियादी ढांचे की जांच करेगी। (BS Hindi)

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