कुल पेज दृश्य

08 अक्तूबर 2011

काली मिर्च में निवेश देगा लाभ

दाम में आएगी तेजी
एनसीडीईएक्स पर अक्टूबर महीने के वायदा अनुबंध में काली मिर्च की कीमतों में पिछले चार दिनों में 2.7 फीसदी की तेजी आई है।
भारत में कालीमिर्च का उत्पादन पिछले साल के 50,000 टन से घटकर 48,000 टन होने का अनुमान है। इंडोनेशिया और ब्राजील में भी पैदावार कम हुई है।
भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2011-12 के पहले पांच महीनों (अप्रैल से अगस्त) में काली मिर्च के निर्यात में 12 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

निर्यातकों के साथ-साथ त्यौहारी मांग निकलने से घरेलू बाजार में काली मिर्च की कीमतों में तेजी की संभावना है। वायदा बाजार में पिछले चार दिनों में कालीमिर्च की कीमतों में 2.7 फीसदी की तेजी आई है। चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में कालीमिर्च का निर्यात 12 फीसदी बढ़ा है। जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कालीमिर्च की आपूर्ति तंग है। कालीमिर्च की घरेलू फसल आने में अभी चार महीने से ज्यादा का समय शेष है जिससे तेजी को बल मिल रहा है।



वायदा में तेजी
नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडीईएक्स) पर अक्टूबर महीने के वायदा अनुबंध में कालीमिर्च की कीमतों में पिछले चार दिनों में 2.7 फीसदी की तेजी आई है। तीन अक्टूबर को वायदा में कालीमिर्च का भाव 35,130 रुपये प्रति क्विंटल था जबकि शुक्रवार को 36,100 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। अक्टूबर महीने के वायदा अनुबंध में 5,200 लॉट के सौदे खड़े हुए हैं



वायदा में कैसे करे निवेश
वायदा बाजार में कालीमिर्च में निवेश करने के लिए निवेशक को कमोडिटी ब्रोकर के यहां खाता खुलवाना होता है। खाता खुलवाने के लिए पेन कार्ड, बैंक की पास बुक, स्थाई पता और इनिशियल मार्जिन की आवश्यकता होती है। खाता खुलवाने के बाद निवेशक को ब्रोकर आईडी दे देता है। निवेशक चाहे तो घर पर ही कारोबार कर करता है। कमोडिटी ब्रोकर के यहां फोन करके भी सौदा खरीदा और बेचा जा सकता है।



निर्यात में बढ़ोतरी
भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2011-12 के पहले पांच महीनों (अप्रैल से अगस्त) में काली मिर्च के निर्यात में 12 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान निर्यात बढ़कर 8,750 टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में निर्यात 7,800 टन का हुआ था।



ब्रोकिंग फर्म आनंद राठी कमोडिटी के अस्सिटेंट वाइस प्रेसिडेंट (कमोडिटी एंड करेंसी) ओ पी सिंह ने बताया कि विश्व स्तर पर काली मिर्च की उपलब्धता कम होने से भारत से निर्यात बढ़ा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय कालीमिर्च की कीमतें बढ़कर 8.71 डॉलर प्रति किलो हो गई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी कीमतें 4.52 डॉलर प्रति किलो थी।



विश्व स्तर पर उपलब्धता कम
इंटरनेशनल पेपर कम्युनिटी (आईपीसी) के मुताबिक चालू सीजन में वैश्विक स्तर पर काली मिर्च के उत्पादन में 6,500 टन की कमी आने की संभावना है। पिछले साल काली मिर्च का वैश्विक उत्पादन 3.10 लाख टन का हुआ है। पिछले साल वियतनाम में उत्पादन 1.10 लाख टन का हुआ था जबकि चालू सीजन में भी इसके बराबर ही उत्पादन होने का अनुमान है।



भारत में काली मिर्च का उत्पादन पिछले साल के 50,000 टन से घटकर 48,000 टन होने का अनुमान है। उधर इंडोनेशिया और ब्राजील में भी पैदावार कम हुई है।



घरेलू मांग बढ़ेगी
बाफना इंटरप्राइजेज के सीईओ जोजॉन मलयाली ने बताया कि त्यौहारी सीजन के कारण काली मिर्च में घरेलू मांग बढ़ेगी जिससे मौजूदा कीमतों में 2,000 से 3,000 रुपये प्रति क्विंटल की और तेजी आने की संभावना है। शुक्रवार को कोच्चि में एमजी-वन काली मिर्च का भाव 35,000 से 35,200 रुपये प्रति क्विंटल रहा जबकि अनगार्बल्ड क्वालिटी की काली मिर्च का भाव 34,000 से 34,200 रुपये प्रति क्विंटल रहा।


नई फसल की आवक जनवरी-फरवरी महीने में बनने की संभावना है तथा तेजी को देखते हुए स्टॉकिस्टों की बिकवाली भी कम आ रही है। (Business Bhaskar....R S Rana)

कोई टिप्पणी नहीं: