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08 सितंबर 2011

गन्ने का एफआरपी बढ़ेगा

कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी)ने गन्ना का फेयर एंड रिम्यूनेरेटिव प्राइस (एफआरपी) बढ़ाने की सलाह दी है। सीएसीपी ने यह सलाह गन्ना उत्पादन लागत में वृद्धि के मद्देनजर वर्ष 2012-13 शुगर वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) के लिए गन्ना का एफआरपी बढ़ाकर 170 रुपये प्रति क्विंटल कर देने की सलाह दी है।
सीएसीपी एक संवैधानिक संगठन है और इसका काम प्रमुख कृषि उत्पादों पर सरकार को कीमत निर्धारण करने में सलाह देने का है। सीएसीपी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमने वर्ष 2012-13 सीजन के लिए गन्ना की एफआरपी बहुत अधिक बढ़ाकर 170 रुपये प्रति क्विंटल करने की सलाह दी है। हमने सरकार को ऐसी सलाह उत्पादन की बढ़ रही लागतों, श्रम मूल्य और दूसरे कारकों को देखते हुए दी है।
वर्ष 2011-12 में शुगर सीजन के शुरूआती महीनों में या शुरूआत के कुछ महीनों में एफआरपी 145 रुपये प्रति क्विंटल रखने की सिफारिश की जिसे सीएसीपी ने बढ़ाने की सिफारिश की है। गन्ना का एफआरपी मूल्य वर्ष 2012 के अक्टूबर से लागू किया जाएगा। गन्ना किसानों के लिए एफआरपी कानूनी गारंटी वाला न्यूनतम मूल्य होता है।हालांकि चीनी मिल मालिक अगर चाहें तो किसानों को गन्ना के लिए एफआरपी से ज्यादा मूल्य की पेशकश कर सकते हैं।
गन्ना किसानों के लिए एफआरपी किसानों के मार्जिन को ध्यान में रखकर किया जाता है। इसके अन्तर्गत गन्ना के उत्पादन की लागत और परिवहन खर्च आदि को शामिल किया जाता है। एफआरपी को 9.5 प्रतिशत की बुनियादी रिकवरी दर से जोड़कर तय किया जाता है।
एक रुपये 46 पैसे के हरेक प्रीमियम पर 0.1 फीसदी बढ़कर रिकवरी 9.5 फीसदी से ज्यादा का हो जाता है। रिकवरी रेट गन्ना की पेराई से उत्पन्न कुल गन्ना की मात्रा के आधार पर तय होता है। सामान्य तौर पर सीएसीपी की सिफारिश के आधार पर सरकार गन्ना का मूल्य तय करती है। (Dainik Bhaskar)

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