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02 जुलाई 2011

डिफॉल्टर पर सख्त हुआ एफएमसी

मुंबई July 01, 2011
शेयर बाजार नियामक सेबी के पद्चिह्नों पर चलते हुए वायदा बाजार नियामक ने सभी एक्सचेंजों को निर्देश दिया है कि किसी एक एक्सचेंज पर डिफॉल्ट करने वाले कारोबारियों को सभी एक्सचेंजों में डिफॉल्टर माना जाए।नियमन को और ज्यादा प्रभावी बनाने की खातिर एफएमसी ने सभी एक्सचेंजों से कहा है कि वह दोषी कारोबारियों की सूची सभी एक्सचेंजों के साथ साझा करे, ताकि वह दूसरे एक्सचेंजों पर कारोबार करने में कामयाब न हो सके। इसका मतलब यह हुआ कि अगर किसी एक्सचेंज की सदस्यता किसी व्यक्ति के नाम से है तो इस सदस्य को सभी एक्सचेंजों पर कारोबार करने से तत्काल रोक दिया जाएगा।30 जून को जारी एफएमसी के परिपत्र (सर्कुलर) में स्पष्ट किया गया है कि अगर डिफॉल्टर की सदस्यता किसी कंपनी के नाम से हो तो भी एक्सचेंज बड़े शेयरधारकों के नाम तत्काल बताए, जिसने डिफॉल्ट किया हो।दिशानिर्देश के पहले हालांकि एक एक्सचेंज पर डिफॉल्ट करने वाले कारोबारी आसानी से दूसरे एक्सचेंज पर कारोबार शुरू कर देते थे क्योंकि ऐसी सूचना एक एक्सचेंज से दूसरे एक्सचेंज तक नहीं पहुंचती थी और एक्सचेंजों के बीच एकरूपता नहीं होती थी। चूंकि एक्सचेंज का प्रशासन उनके खुद के दिशानिर्देशों से होता है, लिहाजा एक एक्सचेंज पर डिफॉल्ट करने वाले कारोबारी को दूसरे एक्सचेंजों पर कभी भी सजा नहीं मिलती थी।एनसीडीईएक्स के चीफ बिजनेस अफसर विजय कुमार ने कहा - 'डिफॉल्टर कभी कभार ही सामने आते हैं यानी ऐसा शायद ही कभी होता है। आवश्यक नहीं है कि यह किसी उत्पाद विशेष में हो, बल्कि यह घटना विशेष हो सकती है। अगर किसी खास जिंस में देर शाम कीमतों में उतारचढ़ाव होने की वजह से मार्जिन नहीं वसूला गया हो तो क्लाइंट की तरफ से डिफॉल्ट की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में एफएमसी का यह कदम स्वागतयोग्य है।Óइस परिपत्र में कहा गया है कि अगर डिफॉल्टर का सहयोगी दूसरे एक्सचेंजों की सदस्यता रखता हो तो फिर ऐसे सहयोगी के खिलाफ कार्रवाई जरूरी होगी। लेकिन कार्रवाई का फैसला प्रासंगिक तथ्यों की जांच करने के बाद संबंधित जिंस एक्सचेंज करेंगे।शेयर बाजार नियामक सेबी ने ऐसे दिशानिर्देश 1992 में जारी किए थे और एक एक्सचेंज पर डिफॉल्ट करने वालों को दूसरे एक्सचेंज का भी डिफॉल्टर अनिवार्य कर दिया था। इसलिए एफएमसी के दिशानिर्देशों का मतलब यह है कि जिस एक्सचेंज पर सदस्य ने डिफॉल्ट किया हो वह एक्सचेंज सदस्यता शुल्क, मार्जिन की रकम अपने पास रोक लेगा। डिफॉल्ट वाली रकम सदस्यता शुल्क व एक्सचेंज के पास जमा रकम में से समायोजित कर एक्सचेंज बाकी रकम क्लाइंट के नाम से जमा करेगा।एफएमसी के संशोधित दिशानिर्देश के साथ अब सवाल उठ रहा है कि उस रकम के साथ क्या होगा जिसे उस सदस्य ने सदस्यता शुल्क व मार्जिन के तौर पर एक्सचेंजों में जमा किया हो, जहां वह डिफॉल्टर नहीं है? हालांकि एक्सचेंज इस मुद्दे पर मौन है, लेकिन एक्सचेंजों के पास इसका जवाब है।एस डेरिवेटिव ऐंड कमोडिटी एक्सचेंज के सीईओ दिलीप भाटिया ने कहा कि दूसरे एक्सचेंजों के पास जमा रकम का हिसाब-किताब उन एक्सचेंजों के दिशानिर्देशों के आधार पर होगा। लेकिन यह अच्छी खबर है कि एफएमसी ने डिफॉल्टर का नाम दूसरे एक्सचेंजों के साथ साझा करना अनिवार्य बना दिया है। उन्होंने कहा कि इससे एक्सचेंजों को ऐसे व्यक्तियों या कंपनियों को सदस्यता देने से इनकार करने में मदद मिलेगी। (BS Hindi)

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