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04 जून 2011

जॉब छोड़कर खेती की ओर मुड़े युवा उद्यमी

अहमदाबाद एवं कोलकाताः पैंतीस साल के गौरव सहाय ने हाल ही में एक ट्रैक्टर खरीदा है, जिसकी शोर करने वाली आवाज उन्हें होंडा एकॉर्ड के इंजन की हल्की आवाज से भी ज्यादा सुरीली लगती है। कुछ साल पहले तक सहाय अमेरिका में ह्यूलेट पैकार्ड (एचपी) के लिए काम करते थे और वह वहां होंडा एकॉर्ड में चलते थे। हालांकि, उन्हें एचपी के अमेरिकी ऑफिस से ज्यादा सुख और आराम मोहाली जिले के लादा गांव के सात एकड़ खेत में पसीना बहाकर मिलता है। ढाई साल तक एक किसान की तरह काम करने के बाद उन्हें बस इसी बात का अफसोस है कि आज भी वह 'भूमिहीन मजदूर' हैं। वह अपने एक करीबी दोस्त की जमीन पर खेती करते हैं। सहाय के दोस्त ने उन्हें न सिर्फ खेती के लिए जमीन दी, बल्कि इस गैर-पारंपरिक पेशे के लिए प्रोत्साहित भी किया। सहाय के एक अन्य दोस्त ने उन्हें चंडीगढ़ के सेक्टर 8 मार्केट में जगह दी, जहां वह हफ्ते में एकबार तीन घंटे के लिए अपनी उगाई चीजें बेचते हैं। पिछले महीने उन्होंने 1200 किलो सब्जियां बेची थीं। इस जमीन पर खेती से उन्हें जो भी आमदनी होती है, वह उसे दोबारा उसी में निवेश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'मैंने काफी रिसर्च किए और बुनियादी बातें सीखने के लिए किसानों से बातचीत भी करता हूं।' सहाय ने कहा, 'खेती सिर्फ जमीन और मिट्टी से जुड़ी नहीं है। इसमें अध्ययन और योजना की भी जरूरत है।' वह अब जड़ी बूटी और मसाले उगाने पर विचार कर रहे हैं, जिसकी मांग काफी बढ़ रही है। पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में 35 साल के एक अन्य व्यक्ति राजा अधिकारी ने अपना पारिवारिक कारोबार छोड़कर खेती की राह पकड़ ली है। वह 100 एकड़ में चाय की पैदावार करते हैं। उन्होंने कहा, 'चाय मुझे अपनी ओर खींचती है। मैं चाय की हरी पत्तियां मैकलॉयड रसेल जैसी कंपनी को बेचता हूं।' चाय की कीमतें पिछले दो साल में 95-100 रुपए प्रति किलो से बढ़कर 125 रुपए प्रति किलो हो गई हैं। चाय उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'चाय की बढ़ती कीमत की वजह से युवा कारोबारियों को यह आकर्षित कर रही है।' हाल के दिनों में कमोडिटी की कीमतों में तेजी आई है। चाहे सब्जियां हों या चाय, कपास या कोई और फसल...ये सभी नई पीढ़ी को लुभा रही हैं। ये किसान रोजी-रोटी के लिए खेती नहीं करते हैं, बल्कि नई पीढ़ी के उद्यमी इसमें कारोबारी संभावनाएं देख रहे हैं। वे नए तरीकों का इस्तेमाल कर नए आइडिया को अपनाने की कोशिश कर रहे हैं। हल चलाने के लिए ये सभी अपने पारंपरिक करियर का मोह छोड़ रहे हैं। केपीएमजी के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर नारायणन रामास्वामी ने कहा, 'ये उद्यमियों की नई पीढ़ी है, जो वनीला, कॉफी, स्ट्रॉबेरी, चाय की खेती कर रहे हैं। इनकी नजर नए बाजारों पर है।' उन्होंने कहा, 'उत्पादन और गुणवत्ता सुधारने के लिए उन्हें कृषि के बेहतर तरीकों का इस्तेमाल करना चाहिए।' पर्यावरण अर्थशास्त्र से पोस्ट ग्रेजुएट करने वाली 33 साल की योगिता मेहरा ने खेती शुरू करने के लिए इस साल फरवरी में टेरी (एनर्जी एंड रिसोर्सेस इंस्टीट्यूट) की अपनी नौकरी को लात मार दी। मेहरा ने कहा, 'मैं धान और आम की खेती करूंगी।' मेहरा अब जमीन खरीदने की तैयारी कर रही हैं। उनके पति करण मनराल भी उनकी मदद कर रहे हैं, जो पेशे से स्वतंत्र मार्केटिंग कंसल्टेंट हैं। (ET Hindi)

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