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22 जून 2011

चीनी पर लगेगा आयात शुल्क!

मुंबई June 20, 2011
वित्त मंत्रालय चीनी पर आयात शुल्क की समीक्षा कर रहा है, जो फिलहाल शून्य है। खाद्य मंत्रालय की सिफारिशों के आधार पर यह शुल्क 4 फीसदी यथामूल्य सहित 15 फीसदी हो सकता है। मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के उपायों के तहत इस साल के प्रारंभ में चीनी पर आयात शुल्क को समाप्त कर दिया गया था, जिसे 31 मार्च 2011 के बाद आगे बढ़ा दिया गया।एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि 'हालांकि देसी बाजार में चीनी की स्थिति सामान्य है और वास्तव में अब उद्योग निर्यात कर रहा है। इस तरह के परिदृश्य में यह ज्यादा मायने नहीं रखता है कि आयात शुल्क कितना है। लेकिन हम स्थिति देख रहे हैं और शून्य शुल्क का शासनादेश 30 जून 2011 को समाप्त हो रहा है। सिफारिशों के आधार पर 15 फीसदी शुल्क उचित है।सूत्र ने बताया कि किसी जिंस पर शून्य शुल्क या 60 फीसदी तक आयात शुल्क लगना असामान्य है। इसलिए 15 फीसदी आयात शुल्क वाजिब है, लेकिन इसमें 4 फीसदी यथामूल्य शुल्क हो सकता है। खाद्य मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय को 15-20 फीसदी आयात शुल्क की सिफारिश की है। सीमा शुल्क विभाग का यथामू्ल्य वस्तु के मूल्य के आधार पर लगाया जाता है, जिसे आमतौर पर कीमत के प्रतिशत के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। इस तरह के शुल्क जिंसों पर लगाए जाने वाले विशेष करों से अलग होते हैं। वर्ष 2010-11 के सीजन (अक्टूबर-सितंबर) में मिलें पहले ही अग्रिम लाइसेंस योजना (एएलएस) के तहत 10 लाख टन का निर्यात कर चुकी हैं और ओपन जनरल लाइसेंस (ओजीएल) के तहत 4,50,000 टन चीनी निर्यात की प्रक्रिया चल रही है।भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक और सबसे बड़ा उपभोक्ता है। देश में 2010-11 के सीजन में 242 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान है, जो पिछले वर्ष में 188 लाख टन रहा था। देश की वार्षिक घरेलू मांग 220-225 लाख टन है। घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के लिए 2009 के प्रारंभ में चीनी पर आयात शुल्क खत्म कर दिया गया था। इससे पहले आयात शुल्क 60 फीसदी था। वर्ष 2008-09 और 2009-10 में घरेलू उत्पादन क्रमश: 147 लाख टन और 190 लाख टन रहा था, जो घरेलू मांग से कम था। देश को इस दो सीजनों में करीब 60 लाख टन चीनी का आयात करना पड़ा। अत्यधिक आपूर्ति की वजह से उपभोक्ता मामलात मंत्रालय बाजार आपूर्ति में सुधार के लिए चीनी स्टॉक रखने की सीमा में ढील दे रहा है। मार्च में मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह ने चीनी की सीमा को बढ़ाकर 500 टन प्रति माह कर दिया है, जो पहले 200 टन प्रतिमाह थी। (BS Hindi)

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