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28 मई 2011

मल्टी रीटेल ब्रैंड में एफडीआई की वकालत

नई दिल्ली मंत्रालयों के एक उच्चस्तरीय समूह (आईएमजी) ने मुद्रास्फीति दर पर लगाम लगाने के लिए मल्टी-ब्रैंड रीटेल में विदेशी निवेश की इजाजत देने की वकालत की है। इससे वॉलमार्ट , टेस्को और कारफूर जैसे अंतरराष्ट्रीय रीटेलरों के लिए भारत में आउटलेट खोलने की उम्मीद बढ़ गई है। मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने कहा , ' भारत में मल्टी-प्रोडक्ट रीटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को इजाजत देने का वक्त आ गया है और आईएमजी सिफारिश करता है कि सरकार इस पर जल्द से जल्द विचार करे। ' किसी उच्चस्तरीय सरकारी पैनल की ओर से मल्टी-ब्रैंड रीटेल में एफडीआई की इजाजत देने की सिफारिश होने का यह पहला मामला है। इस मुद्दे पर बीते दस साल से विचार-विमर्श जारी है , लेकिन कभी समाधान नहीं निकल पाया। वामपंथी दल और बीजेपी काफी पहले से विदेशी रीटेल चेन के भारत में दाखिल होने का विरोध कर रहे हैं। उनकी दलील है कि इससे देश के छोटे दुकानदारों और कारोबारियों पर गहरा और बुरा असर होगा। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ऊंची मुद्रास्फीति दर से निपटने के उपाय सुझाने के लिए कई मंत्रियों के इस समूह (आईएमजी) का गठन किया था। इस समूह में वित्त , उद्योग , खाद्य , वाणिज्य और कृषि मंत्रालय के सचिव , कुछ जानकार और योजना आयोग की सदस्य सचिव सुधा पिल्लई शामिल हैं। बसु ने कहा , ' हम मल्टी-ब्रैंड रीटेल में एफडीआई के मामले में साफ रुख दिखा रहे हैं। जाहिर है , यह सिफारिश है न कि पॉलिसी। ' यह पैनल प्रधानमंत्री और दूसरे अहम मंत्रालयों को अपनी सिफारिशें सौंपेगा। उम्मीद है कि संगठित रीटेल से किसानों को मिलने वाली कीमत और ग्राहकों की जेब से निकलने वाली रकम का अंतर घटेगा। इससे महंगाई को काबू करने में मदद मिलेगी। फिलहाल , भारत में सिंगल-ब्रैंड रीटेल में 51 फीसदी एफडीआई और होलसेल कैश एंड कैरी में 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की इजाजत है। वॉलमार्ट और कारफूर ने देश में कैश एंड कैरी कारोबार शुरू किया है , लेकिन वे सीधे तौर पर अंतिम ग्राहकों को अपने उत्पाद नहीं बेच सकतीं। देश की सबसे बड़ी रीटेल कंपनी फ्यूचर समूह के चेयरमैन किशोर बियानी ने कहा , ' आधुनिक रीटेल में सारा खेल डिस्ट्रीब्यूशन और दमदार सप्लाई चेन का है। जिस तरह से भारत बढ़ रहा है और उपभोग में इजाफा हो रहा है , डिस्ट्रीब्यूशन में भी बदलाव की जरूरत है। ' औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग (डीआईपीपी) ने मल्टी-ब्रैंड रीटेल के दरवाजे खोलने को औपचारिक कैबिनेट नोट की तैयारियों के लिए जमीनी कामकाज शुरू कर दिया है। सरकारी अधिकारी ने बताया कि पैनल कोल्ड चैनल के डिवेलपमेंट जैसे बैकएंड इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश के लिए मजबूत शर्तों के साथ सेक्टर में एफडीआई के लिए 51 फीसदी सीमा तय करने का मशविरा दे सकता है। (Navbharat Times Hindi)

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