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14 अप्रैल 2011

रीयल्टी की सेहत पर नहीं पड़ेगा असर

टीजर लोन पर रिजर्व बैंक की सख्ती जहां हाउसिंग सेक्टर पर भारी पड़ने की आशंका जताई जा रही है, वहीं विशेषज्ञ इससे रीयल्टी कारोबार पर कोई खास असर नहीं पड़ने की बात कह रहे हैं। उनका कहना है कि लुभावने होम लोन बंद होने से जहां,
मकान के ग्राहकों की संख्या बढ़ेगी, वहीं आईटी सेक्टर से व्यावसायिक परिसरों के अच्छे ऑर्डर मिलना इस कमी की काफी हद तक भरपाई कर देगा। बैंकिंग और रीयल्टी कारोबार से जुड़ा एक धड़ा आशंका जता रहा है कि आरबीआई की सख्ती से बैंक लुभावनी दरों पर होम लोन देने से परहेज करेंगे। इससे मांग में आने वाली कमी रीयल्टी कारोबार पर बुरा प्रभाव डालेगी। कॉमर्शियल प्रॉपर्टी की बढ़ी मांग कर देगी भरपाईदूसरी ओर रीयल एस्टेट कारोबार से जुड़े विशेषज्ञों का एक वर्ग इस आशंका को गैरवाजिब बताने वाला भी है। इनका कहना है कि मकान या फ्लैट जैसी रिहाइशी संपत्तियों की मांग में जो कमी आएगी वह कॉमर्शियल प्रापर्टी की मांग में बढ़ोतरी से पूरी हो जाएगी। आईटी, सर्विस और फाइनेंस सेक्टर में इस साल विस्तार के चलते व्यावसायिक परिसरों की मांग में अच्छा खासा इजाफा होगा। चूंकि कॉमर्शियल प्रॉपर्टी की कीमतें रिहाइशी संपत्ति से कहीं अधिक होती हैं, इसलिए हाउसिंग की मांग में आने वाली कमी को व्यावसायिक संपत्ति के कारोबार में आने वाली तेजी के आगे रीयल्टी कारोबार पर कुल मिलाकर बहुत बुरा प्रभाव नहीं डाल पाएगी। साख निर्धारण संस्था फिच की ओर से वर्ष 2011 में आवासीय मांग पर जारी रिपोर्ट में कहा है कि होम लोन के लिए बैंकों की ओर से ऊंची ब्याज दरें वसूले जाने और मकानों की कीमत पहुंच से बाहर हो जाने के कारण इस साल इनकी मांग घट सकती है। दूसरी ओर रिपोर्ट में व्यावसायिक भवनों की मांग में 30 फीसदी का इजाफा होने की संभावना भी जताई गई है। रीयल्टी विशेषज्ञ इसे एक महत्वपूर्ण तथ्य मानते हुए इसे रीयल एस्टेट कारोबार के लिए एक सकारात्मक संकेत बता रहे हैं। उनका कहना है कि मूल्य के लिहाज से देखा जाए तो कॉमर्शियल प्रॉपर्टी की मांग में होने वाली 30 फीसदी बढ़ोतरी हाउसिंग की गिरावट पर भारी पड़ सकती है। यह रीयल्टी सेक्टर एक बड़ी राहत देने में सक्षम होगी। फिच की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2009 में जहां आवासीय मांग में भारी गिरावट दर्ज हुई थी, वहीं 2010 में इसमें काफी तेजी देखी गयी। खासतौर पर सस्ते घरों की मांग अच्छी रही। मुंबई, दिल्ली, चेन्नई और कोलकाता जैसे महानगरों में इनकी कीमत में 40 प्रतिशत से ज्यादा का इजाफा हुआ। रिपोर्ट में यह आशंका भी जताई गई है कि टीजर लोन पर सख्ती से साल के पहले छह महीनों में मकान खरीदने वालों की संख्या में कमी दिख सकती है हालांकि सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों की ओर से अच्छी मांग आने से व्यावसायिक परिसरों की बिक्री बढ़ने का अनुमान है। व्यावसायिक भवनों की मांग में 30 फीसदी का इजाफा हो सकता है।bbc online

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