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27 अप्रैल 2011

एपीएमसी में संशोधन के लिए राजी

चंडीगढ़ April 25, 2011
अगले कुछ सालों में भारत के कृषि क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के स्तर पर क्रांति दिख सकती है। उपज के बाद बुनियादी ढांचे से संबंधित नुकसान को कम करने के लिए रास्ते सुझाने के लिए भारत सरकार के कृषि विभाग द्वारा गठित समिति अपनी शुरुआती सिफारिशों के साथ तैयार है।इस समिति की अध्यक्षता महाराष्ट्र के मार्केटिंग ऐंड कोऑपरेशन मंत्री हर्षवर्धन पाटिल कर रहे हैं। चंडीगढ़ में इस समिति की दो दिनों की बैठक सोमवार को खत्म हुई। बैठक में समिति ने वे प्रस्ताव तैयार किए जो जल्द ही केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार के समक्ष नई दिल्ली में प्रस्तुत किए जाएंगे। इस समिति को राज्यों को एपीएमसी कानून पर राजी करने का काम भी दिया गया है। पाटिल के मुताबिक इसे 16 राज्यों ने स्वीकार कर लिया है और 7 राज्य इस पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अन्य राज्य भी इस पर विचार कर रहे हैं। बिहार और केरल में ऐसा कोई भी कानून नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि मामूली बदलाव के साथ राज्य इसे अपनाने पर राजी हो सकते हैं।पाटिल ने संकेत दिए कि कृषि क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को दुरुस्त करने में निजी क्षेत्र की अहम भूमिका हो सकती है। उन्होंने कहा कि शीत भंडार और दूसरे लॉजिस्टिक कामों में निजी क्षेत्र की भूमिका हो सकती है और भंडार तैयार करने के लिए सरकार द्वारा जमीन मुहैया कराना और फिर निजी क्षेत्र द्वारा पैसा लगाना एक विकल्प हो सकता है। उन्होंने इस बात के भी संकेत दिए कि अनाजों की खरीदारी में निजी क्षेत्र के प्रवेश की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।इस बैठक में किसानों, उद्योग संघों और कारोबारियों के नुमाइंदे शामिल हुए। पाटिल ने कहा कि किसान अपने उपज की अच्छी कीमत चाहते हैं और वे निजी खरीदारों को तब ही प्रवेश देने के पक्षधर हैं जब उन्हें बेहतर कीमत मिले। उन्होंने कहा कि कृषि मार्केटिंग सुधारों की जरूरत इसलिए है ताकि किसानों को आकर्षक कीमतों पर अपनी उपज बेचने के विकल्प मिल सकें। पाटिल ने कहा कि किसानों को एक ही जगह पर अनाज बेचने को बाध्य नहीं किया जाना चाहिए। समिति किसानों के समक्ष उपलब्ध विकल्पों और उन्हें बेहतर कीमत दिलाने के रास्तों पर विचार कर रही है। समिति की सिफारिशों के आधार पर इन मसलों पर केंद्र सरकार कोई अंतिम फैसला करेगी। इस बैठक में 15 राज्यों के कृषि मंत्रियों ने हिस्सा लिया। वहीं अन्य राज्यों ने अपने-अपने प्रतिनिधि इस बैठक में भेजे। (BS Hindi)

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