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15 अप्रैल 2011

एक्सचेंज के सदस्यों को राहत देगा एफएमसी!

मुंबई April 14, 2011 जिंस एक्सचेंजों के सदस्यों के लिए फिजिकल कॉन्ट्रैक्ट नोट्स पर हाल में जारी एमएमसी के निर्देशों पर राहत मिल सकती है। 2 फरवरी 2011 को एमएसी ने कारोबारी सदस्यों व ब्रोकर्स के लिए सभी लेन-देन की खातिर वैयक्तिक क्लाइंट्स को फिजिकल फॉर्म में कॉन्ट्रैक्ट नोट जारी करना अनिवार्य कर दिया था। सभी जिंस एक्सचेंजों को जारी पत्र में कहा गया था कि यह निर्देश कॉन्ट्रैक्ट नोट्स की डिलिवरी पर होने वाले विवाद को कम करने के लिए था। इसके अलावा सदस्यों को कॉन्ट्रैक्ट नोट्स की फिजिकल डिलिवरी का सबूत रखने के लिए कहा गया था। इसके अलावा सदस्यों के लिए यह भी अनिवार्य बना दिया गया था कि वह उन सभी क्लाइंट्स के मासिक स्टेटमेंट भेजे, जिसने उस महीने में फिजिकल फॉर्म के तहत कम से कम तीन लेन-देन किया हो। फिजिकल कॉन्ट्रैक्ट नोट पर अनिवार्यता सिर्फ वैयक्तिक क्लाइंट के लिए है, न कि कॉरपोरेट क्लाइंट के लिए। जिंस एक्सचेंजों के सदस्यों से बातचीत के बाद नियामक इस अनिवार्यता में छूट देने पर विचार कर रहा है। इसके तहत अनिवार्यता तब लागू नहीं होगी जब क्लाइंट के द्वारा सदस्य को अंडरटेकिंग मिल जाए। सूत्रों ने बताया कि ब्रोकिंग फर्म या एक्सचेंज के सदस्य के क्लाइंट्स को यह लिखकर देना होगा कि कॉन्ट्रैक्ट नोट की फिजिकल कॉपी उनके पास भेजने की आवश्यकता नहीं है। इसके अतिरिक्त ऐसे निवेदन की कुछ वास्तविक वजह होनी चाहिए। वैसे मामलों में जहां ऐसे अनिवार्य दिशा-निर्देशों के बाबत क्लाइंट अपने ऊपर जिम्मेदारी लेने की इच्छा रखता हो, वहां ऐसी छूट देने पर विचार किया जाएगा। उन्होंने हालांकि कहा कि इस संबंध में हालांकि अब तक कोई फैसला नहीं लिया गया है और मामला विचाराधीन है। निर्देश आने के बाद ट्रेडिंग करने वाले सदस्य नियामक से इस पर छूट देने की मांग कर रहे थे और उनका कहना था कि इस वजह से उनकी लागत बढ़ती है व कागज के ज्यादा इस्तेमाल से पर्यावरण पर भी असर पड़ता है। मौजूदा समय में एक सदस्य सिर्फ ईमेल के जरिए कारोबार की पुष्टि करता है व कॉन्ट्रैक्ट नोट भेजता है। एमएमसी को इस संबंध में काफी ज्यादा शिकायतें मिली थी और इन शिकायतों में कहा गया था कि क्लाइंट को या तो ईमेल नहीं मिलता, या फिर अगर वह इसे पढऩे में नाकाम रहते हैं तो बाजार खराब होने की स्थिति में उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ता है। एफएमसी का मानना है कि फिजिकल कॉन्ट्रैक्ट नोट वैधानिक दिशा-निर्देश है, जिसे बदला नहीं जा सकता। हालांकि अगर क्लाइंट और सदस्य सहजता की स्थिति में हों तो वहां छूट दी जा सकती है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि देश में इंटरनेट का बहुत ज्यादा फैलाव नहीं हुआ है और कुछ इलाकों में बिजली की किल्लत के कारण ईमेल पढऩा भी एक समस्या है। ऐसी परिस्थिति में फिजिकल कॉन्ट्रैक्ट नोट ही एकमात्र प्रामाणिकता है। इसके अलावा एफएमसी ने वायदा बाजार की निगरानी और बढ़ा दी है, हालांकि वायदा अनुबंध विनियमन अधिनियम में संशोधन के जरिए मिलने वाले दंडात्मक अधिकार की वह प्रतीक्षा कर रहा है। इसने बाजार की निगरानी व्यवस्था स्थापित करने का फैसला किया है और इसके लिए अस्वीकार्य सौदे पर स्वत: अलर्ट जारी किया जाना शामिल है। (BS Hindi)

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