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07 अप्रैल 2011

एमएसपी बढ़ाने की सिफारिश

मुंबई April 06, 2011 कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने धान और चावल का कारोबार खोलने की सिफारिश की है। अभी बासमती को छोड़कर चावल की किसी और किस्म का निर्यात नहीं होता है। आयोग ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1,080 रुपये प्रति क्विंटल करने की सिफारिश की है। अभी यह 1,000 रुपये प्रति क्विंटल है। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि अगर बाजार को खोल दिया जाए तो किसानों को धान की मौजूदा दर से अधिक कीमत मिल सकती है। इन सूत्रों ने यह भी बताया कि एमएसपी पर आयोग ने अंतिम रिपोर्ट कृषि मंत्रालय को सौंप दी है और मंत्रालय जल्द ही इसे अंतिम रूप देगी। इस रिपोर्ट में देश के पूर्वी हिस्से के किसानों को धान और गेहूं पैदा करने के लिए अधिक प्रोत्साहन देने की मांग की गई है। आयोग ने कपास के लिए प्रति क्विंटल 2,800 रुपये, सूरजमुखी के लिए प्रति क्विंटल 2,850 रुपये, अरहर के लिए प्रति क्विंटल 3,100 रुपये, उड़द के लिए प्रति क्विंटल 3,300 रुपये, मूंग के लिए प्रति क्विंटल 3,450 रुपये, नाइजर बीज के लिए प्रति क्विंटल 2,900 रुपये और तिल के लिए प्रति क्विंटल 3,900 रुपये का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया है। तंबाकू के लिए एमएसपी में कोई बड़ा बदलाव न करते हुए इसे 5,000 रुपये प्रति क्विंटल पर रखा गया है। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि धान का एमएसपी कम होने की वजह से किसानों को उचित हिस्सेदारी नहीं मिल पा रही है। इसके अलावा इस रिपोर्ट में मंडी कर हटाने की भी सिफारिश की गई है ताकि थोक और खुदरा बाजार में अनाज की कीमतों में कमी आ सके और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत अनाज की खरीद आसान हो सके। सूत्रों का कहना है कि अभी एमएसपी के दायरे में 50 फीसदी किसान आते हैं। आयोग का मत है कि ऊंची महंगाई दर की वजह न तो एमएसपी और न ही अनाजों की कीमतें बल्कि इसके लिए तो मांस-मछली और डेयरी उत्पादों की कीमतों में हुई बढ़ोतरी जिम्मेदार है। एमएसपी तय करते वक्त उत्पादन लागत, मांग व आपूर्ति, बाजार की स्थिति, वैश्विक कीमतें और रहने का खर्च जैसे कई पहलुओं पर विचार किया जाता है। इस दौरान इस बात पर भी ध्यान दिया जाता है कि एमएसपी में बदलाव से उद्योग जगत और किसानों पर क्या असर पड़ेगा और किसानों को कितनी रकम मिलेगी। (BS Hindi)

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