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16 मार्च 2011

सीड बिल के विरोध में उतरे किसान संगठन

सरकार द्वारा प्रस्तावित सीड बिल का किसान संगठनों ने विरोध किया है और इसे यूरोपीय संघ के दबाव में उठाए गए कदम की संज्ञा दी है। किसान संगठनों का कहना है कि इस बिल के द्वारा बीजों की गुणवत्ता को नियंत्रित करने का प्रयास किया जा रहा है। इस सप्ताह संसद में सीड बिल 2004 का संशोधित मसौदा पेश किया जाएगा। इन संगठनों के संयोजक आईजे खान ने कहा कि यह स्वतंत्रता पर हमला करने के समान है। इस बिल में बीजों के असफल रहने पर किसानों को किसी तरह की क्षतिपूर्ति करने का कोई प्रावधान नहीं है। इसके साथ ही इसके लागू हो जाने से किसान स्वतंत्र रूप से अपने उत्पादों की बिक्री नहीं कर सकेंगे। इसके साथ ही किसान संगठनों ने इंडोसल्फान के प्रयोग पर रोक लगाने के प्रयास की भी निंदा की है।अमेरिका स्थित एक स्वयं सेवी संगठन के खान आर. हरिहरण ने बताया कि इंडोसल्फान पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव यूरोपीय संघ के हितों की पूर्ति के लिए उठाया गया कदम है। यह कम कीमत वाला कीटनाशक है, जिसे भारतीय किसान बड़े पैमाने पर प्रयोग करते है। इन संगठनों की एक बैठक के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर एक संस्था बनाने का निर्णय लिया गया। इस संस्था का काम किसान विरोधी नीतियों का मुकाबला करना होगा।उधर, कुछ किसान यूनियनों और नागरिक संगठनों ने बायो-टेक बिल का भी विरोध किया है। इन संगठनों ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बायोटेक्नालॉजी रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (बीआरएआई) बिल को संसद में पेश न करने का आग्रह किया है। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में इन्होंने कहा है कि उनके पास इस बात के पर्याप्त वैज्ञानिक प्रमाण हंै, जो यह सिद्ध करते हंै कि जीएम फसलें लोगों के लिए ठीक नहीं हैं। मालूम हो कि सरकार बीआरएआई बिल २००९ को संसद में पेश करने की तैयारी में है।बात पते की :- किसान संगठनों ने सीड बिल को यूरोपीय संघ के दबाव में उठाया जा रहा कदम बताया है। इसके अलावा कीटनाशक इंडोसल्फान पर प्रतिबंध लगाने के प्रयास का भी विरोध किया गया है। (Business Bhaskar)

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