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09 मार्च 2011

खाड़ी में फंसा डॉलर चने का भविष्य

भोपाल March 08, 2011
खाड़ी देशों में राजनैतिक संकट से डॉलर चने के निर्यात का भविष्य अनिश्चित बना हुआ है। अधिकतर आयातक देशों से मिलने वाले नए ऑर्डर कम हो गए हैं। कई देश तो अपने पुराने ऑर्डर लेने में भी रुचि नहीं ले रहे हैं। 28 फरवरी से 2 मार्च तक चले दुबई आयात-निर्यात सम्मेलन में डॉलर चने के निर्यात के लिए सौदे न के बराबर हुए, जबकि पिछले साल 300 कंटेनर से ज्यादा के सौदे किए गए थे। हर कंटेनर में 240 क्विंटल डॉलर चना रहता है। मार्च महीने में केवल 2 लाख बोरी निर्यात किया जाएगा।इंदौर के डॉलर चना निर्यातक और सप्तसथी ऑर्गेनिक एग्रीकल्चर प्रोजेक्ट के निदेशक सुरेंद्र तिवारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि खाड़ी देशों में स्थितियां अच्छी न होने से वर्तमान में निर्यात लगभग बंद पड़ा हुआ है। दुबई सम्मेलन में भी भारतीय निर्यातकों को अच्छे संकेत नहीं मिले हैं। साथ ही ऑस्ट्रेलिया से खाड़ी देशों को माल भेजने में व्यापारी रुचि ले रहे हैं। ऐसे में आने वाले समय में भी भारतीय डॉलर चने का भविष्य अंधकारमय बना हुआ है। देश में डॉलर चने को बेचने की जल्दी है, जबकि आयातक देश लेने की जल्दी में नहीं हैं। इससे स्थानीय आवक बढ़ेगी। साथ ही दाम भी 500 से 1000 रुपये तक नीचे आ सकता है। खाड़ी देशों में स्थिति बहुत खराब है। इनमें अल्जीरिया, ट्यूनिशिया, जॉर्डन, लीबिया और मिस्र जैसे देश प्रमुख हैं। बैंक भी इन देशों की कंपनियों को साख पत्र मुहैया नहीं करा रहे हैं। बिना साख पत्र के आयात में समस्या बनी हुई है। साथ ही भारतीय निर्यातकों को भी खाड़ी देशों में निर्यात से घाटे की संभावना बनी हुई है।सेलर एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के निर्यात प्रबंधंक मनोज खटवानी का कहना है कि खाड़ी देशों में राजनैतिक उथल-पुथल से मांग पर प्रभाव पड़ा है। साथ ही निर्यातक भी इन देशों में पैसा फंसने के डर से निर्यात से बच रहे हैं। निर्यात में कमी के डर से दाम पर भी असर बना हुआ है। संकट खत्म होने तक स्थितियों में सुधार की संभावना कम ही है। वहीं अली एक्सपोर्ट के मालिक मोइन अली भी डॉलर चने की मांग पिछले साल की तुलना में कम होने के लिए राजनैतिक हलचल को कारण मान रहे हैं। अली का कहना है कि संकट के बने रहने से बड़े निर्यातक से लेकर छोटे निर्यातक तक सभी पर असर देखने को मिला है। पिछले साल की तुलना में मांग में आधे से ज्यादा की कमी है। वर्तमान सत्र में डॉलर चने की फसल भी मौसम के चलते खराब हो गयी थी। पिछले साल 4 से 5 लाख टन डॉलर चने का उत्पादन हुआ था। हालांकि इस वर्ष उत्पादन के 30 फीसदी से ज्यादा कम होने की बात की जा रही है। ऐसे में फसल में देरी और आयातक देशों से कम मांग का नकारात्मक असर व्यापारियों पर पड़ा है। अधिकतर व्यापारी नए माल को लेने में ज्यादा रुचि नहीं ले रहे हैं।इंदौर के डॉलर चना कारोबारी अश्विनी कुमार का कहना है कि मौसम की मार से फसल का खराब होना, निर्यात के ऑर्डर में कमी होना, पुराने ऑर्डर की डिलीवरी में देरी और खाड़ी देशों का नकारात्मक रुख सभी डॉलर चने के दाम पर दबाव बना रहे हैं। अभी इसका भाव अधिकतम 5300 रुपये प्रति क्विंटल तक है। मध्य प्रदेश में डॉलर चने का उत्पादन काफी मात्रा में होता है। भारी मात्रा में उत्पादन होने के चलते यहां से डॉलर चना कई देशों में भेजा जाता है। इन देशों में पाकिस्तान, श्रीलंका, तुर्की, अलजीरिया, दुबई और कई खाड़ी देश शामिल हैं। (BS Hindi)

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