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09 मार्च 2011

‘जागो ग्राहक जागो’ - उपभोक्‍ता शिक्षा और जागरूकता की दिशा में एक प्रयास

नई दिल्ली 08/फरवरी/2011/(ITNN)>>>> एक प्रबुद्ध उपभोक्‍ता एक सशक्‍तीकृत उपभोक्‍ता है। एक जागरूक उपभोक्‍ता न केवल अपने आप को शोषण से बचाता है, बल्कि पूरे विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में दक्षता, पारदर्शिता और उत्‍तरदायित्‍व को समावेशित करता है। उपभोक्‍ता सशक्‍तीकरण के महत्‍व को स्‍वीकारते हुए सरकार ने उपभोक्‍ता शिक्षा, उपभोक्‍ता संरक्षण और उपभोक्‍ता जागरूकता को शीर्ष प्राथमिकता दी है। भारत एक ऐसा देश है जो उपभोक्‍ता संरक्षण के लिए प्रगतिशील कानून लागू करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। उपभोक्‍ता संरक्षण के लिए यह ऐसा देश है, जो उपभोक्‍ता संरक्षण के लिए प्रगतिशील कानून लागू करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 को लागू करना, देश में उपभोक्‍ता आंदोलन का एक सबसे महत्‍वपूर्ण मील का पत्‍थर रहा है। इस अधिनियम ने उपभोक्‍ता अधिकारों के क्षेत्र में एक आंदोलन को तेज किया है और संभवत: विश्‍व में कहीं भी इस प्रकार का कोई अधिनियम नहीं है। यह अधिनियम सभी क्षेत्रों निजी, सार्वजनिक अथवा सहकारी में केंद्र सरकार द्वारा विशेष छूट वाली जींसों और सेवाओं को छोड़कर अन्‍य सभी जींसों और सेवाओं पर लागू है।
उपभोक्‍ता संरक्षण के लिए आधारभूत ढांचा - सरकार द्वारा उपभोक्‍ता संरक्षण के लिए किए गए उपाय मुख्‍यत: तीन आधारभूत मानकों के इर्द-गिर्द घूमते हैं। सबसे पहला, एक कानूनी ढ़ांचा तैयार करना, जिसमें उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम शामिल है। दूसरा, विभिन्‍न उत्‍पादों के लिए मानक विकसित करना ताकि उपभोक्‍ताओं को विभिन्‍न उत्‍पादों के बारे में विकल्‍पों की जानकारी हो सके। वैसे मानक जो गुणवत्‍ता संरचना में अनिवार्य हैं, वे उपभोक्‍ता संरक्षण में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। ये मानक तकनीकी आवश्‍यकता, उन्‍नत विशेष मानक पद, व्‍यवहार के कोड अथवा जांच प्रणालियों अथवा प्रबंधन प्रणाली के मानकों पर आधारित हो सकते हैं। ये मानक सामान्‍य तौर पर सरकारी अथवा अंतर-सरकारी निकायों द्वारा निर्धारित किए जाते हैं, किंतु विश्‍व भर में यह माना जाता है कि मानकों की स्‍वैच्छिक स्‍थापना उपभोक्‍ता संरक्षण के लिए एक समान महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है। तीसरा, उपभोक्‍ता जागरूकता और शिक्षा उपभोक्‍ता संरक्षण के लिए मुख्‍य संरचना है।
उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 - इस अधिनियम में शामिल सभी उपभोक्‍ता अधिकारी अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर स्‍वीकार्य हैं। अधिनियम के अधीन एक भिन्‍न त्रिस्‍तरीय न्‍यायिक उपभोक्‍ता विवाद निपटारा तंत्र स्‍थापित किया गया है। इसे उपभोक्‍ता अदालत अथवा उपभोक्‍ता फॉरम के रूप में जाना जाता है। यह राष्‍ट्रीय, राज्‍य और जिला स्‍तर पर स्‍थापित किया गया है ताकि प्रतिबंधित/पक्षपातपूर्ण व्‍यापार सहित खराब जींसों, सेवाओं में कमी के विरूद्ध उपभोक्‍ताओं की शिकायतों को सहज, शीघ्र और किफायती ढंग से निपटारा जा सके।
उपभोक्‍ता फॉरम का नेटवर्क - राष्‍ट्रीय आयोग, 35 राज्‍य आयोगों और 607 जिला फॉरमों से बने उपभोक्‍ता अदालतों के बीच कम्‍प्‍यूटर नेटवर्क स्‍थापित करने के क्रम में विभाग की और से सभी उपभोक्‍ता फॉरमों के कम्‍प्‍यूटरीकरण के साथ ही उन्‍हें आपस में जोड़ने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इसके बल पर उनकी देखरेख हो सकेगी और विभिन्‍न प्रकार के आंकड़ो तक पहुंच कायम हो सकेगी।
उपभोक्‍ता जागरूकता और शिक्षा की दिशा में कदम - भारत जैसे किसी देश में जहां आर्थिक असमानता और शिक्षा तथा उपेक्षा के परिदृश्य में उपभोक्‍ताओं को शिक्षित करना एक वृहद कार्य है। इसके लिए प्रत्‍येक व्‍यक्ति की और से एकजुट प्रयास की जरूरत है। सरकार ने देश में उपभोक्‍ता जागरूकता पैदा करने के लिए कई प्रयास किए हैं। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने जनवरी 2008 में 11वीं योजना के दौरान उपभोक्‍ता जागरूकता योजना के लिए कुल 409 करोड़ रूपए मंजूर किए गए हैं। पिछले चार वर्षों में चलाए गए प्रचार अभियान के परिणामस्‍वरूप ‘’जागो ग्राहक जागो’’ का नारा घर-घर तक पहुंचा। सरकार ने 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान विशेष जोर देकर आम आदमी को एक उपभोक्‍ता के रूप में उसके अधिकारों के बारे में जानकारी देने का प्रयास किया है। उपभोक्‍ता जागरूकता योजना के हिस्‍से के रूप में ग्रामीण और सुदूर क्षेत्रों को उच्‍च प्राथमिकता दी जा रही है।
बहुविध मीडिया प्रचार अभियान - पत्र-पत्रिकाओं और इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया के माध्‍यम से आईएसआई, हॉलमार्क, लेबलिंग, एमआरपी, माप और तौल आदि जैसे विभागों की भूमिका से सीधे तौर पर जुड़े मुद्दों पर बहुविध मीडिया प्रचार अभियान चलाए जा रहे हैं। देशभर में राष्‍ट्रीय और क्षेत्रीय समाचार पत्रों के नेटवर्क के माध्‍यम से प्रत्‍येक विज्ञापन जारी किया जाता है। इसी प्रकार दूरसंचार रियल एस्‍टेट, क्रेडिट कार्डों, वित्‍तीय उत्‍पादों, औषधियों, बीमा, यात्रा सेवाओं, दवाओं आदि जैसे उभरते हुए नये क्षेत्रों से संबंधित मुद्दों पर जोर देते हुए कई महत्‍वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। ये कदम संबंधित विभागों के साथ संयुक्‍त अभियानों अथवा संयुक्‍त परामर्शों के माध्‍यम से उठाए गए हैं। उपभोक्‍ता कार्य विभाग के पास उपभोक्‍ताओं से संबंधित विभिन्‍न मुद्दों पर 30 सेकेंड के वीडियो स्‍पॉट उपलब्‍ध हैं, जिन्‍हें केबल और उपग्रह चैनलों के जरिये दिखाया जाता है। उपभोक्‍ता जागरूकता से संबंधित मुद्दों पर जोर देने के लिए लोक सभा टीवी और दूरर्शन पर विशेष कार्यक्रम भी प्रसारित किए जा रहे हैं। विभिन्‍न विज्ञापनों में ग्रामीण और सुदूर क्षेत्रों में संबंधित मुद्दों को प्रमुखता दी जा रही है।
मेघदूत पोस्‍टकार्ड - डाक विभाग के साथ संपर्क से पूर्वोत्‍तर राज्‍यों सहित सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों तक भी मेघदूत पोस्‍टकार्डों के माध्‍यम से उपभोक्‍ता जागरूकता के संदेश प्रचारित किए जाते हैं। देशभर में 1.55 लाख ग्रामीण डाकघरों और 25,000 से भी अधिक शहरी डाकघरों में उपभोक्‍ता जागरूकता के संदेश वाले पोस्‍टर लगाए गए हैं।
राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता हेल्‍पलाइन - विभाग ने एक राष्‍ट्रीय हेल्‍पलाइन शुरू किया है। टॉल फ्री नंबर 1800-11-4000 की सुविधा सभी कार्यदिवसों में 09.30 बजे सुबह से लेकर 05.30 बजे शाम तक उपलब्‍ध है।
कोर सेंटर - विभाग ने उपभोक्‍ताओं की कानूनी सहायता देने और उनकी शिकायतों के निपटारे के लिए 15 मार्च, 2005 को वेबसाइट पर एक कोर सेंटर शुरू किया है। उपभोक्‍ता जागरूकता से संबंधित विभिन्‍न विज्ञापनों के द्वारा कोर की गतिविधियों और इसकी वेबसाइट के बारे में काफी विज्ञापन दिए जा रहे हैं ताकि उपभोक्‍ता इसके द्वारा उपलब्‍ध ऑनलाइन परामर्श की सहायता प्राप्‍त कर सके।
भारत अंतर्राष्‍ट्रीय व्‍यापार मेला-2010 में भागीदारी - विभाग की ओर से उपभोक्‍ता जागरूकता संबंधी प्रयासों को दर्शाने के लिए प्रदर्शनियों और व्‍यापार मेलों का भी इस्‍तेमाल किया जाता है। विभाग ने नई दिल्‍ली में 14 से 27 नवंबर, 2010 तक आयोजित भारत-अंतर्राष्‍ट्रीय व्‍यापार मेले में भागीदारी की। व्‍यापार मेले के दौरान लाखों की संख्‍या में दर्शकों ने ‘जागो ग्राहक जागो’ स्‍टॉल को देखा। मेले के दौरान उपभोक्‍ता फॉरम, राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता हेल्‍पलाइन, शिकायत निपटारा तंत्र तथा रियल एस्‍टेट, दूरसंचार, वित्‍तीय उत्‍पादों आदि जैसे क्षेत्र-विशेष के बारे में जानकारी देते हुए प्रचार सामग्रियां दर्शकों के बीच मुफ्त वितरित की गई। स्‍टॉल पर आनेवाले दर्शकों के बीच उपभोक्‍ताओं से जुड़े मुद्दों पर जागरूकता फैलाने के उद्देश्‍य से ‘जागो ग्राहक जागो’ अभियान के हिस्‍से के रूप में दृश्‍य विज्ञापन भी लगातार दिखाए गए। व्‍यापार मेले के दौरान दर्शकों को तत्‍काल मार्गदर्शन देने के उद्देश्‍य से राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता हेल्‍पलाइन के प्रतिनिधि भी तैनात किए गए थे। विभाग अक्‍तूबर, 2010 में तमिलनाडु के वरहीस कॉलेज, वेल्‍लोर में आयोजित एक प्रदर्शनी में भी भाग लिया।
खेल आयोजनों का इस्‍तेमाल - अधिकतम संख्‍या में उपभोक्‍ताओं तक पहुंच कायम करने के क्रम में विभाग ने लोकप्रिय खेल आयोजनों के दौरान सूचना से संबंधित जानकारी वाले दृश्‍य विज्ञापन प्रसारित किए जिसमें दर्शकों की अधिकतम रूचि होती है। संयुक्‍त प्रचार अभियान संयुक्‍त प्रचार अभियान के हिस्‍से के रूप में उपभोक्‍ताओं को शिक्षित करने के उद्देश्‍य से रियल एस्‍टेट, क्रेडिट कार्डों, औषधियों, बीमा, खाद्य सुरक्षा आदि जैसे विशेष उपभोक्‍ता मुद्दों पर अनेक विज्ञापन जारी किए गए हैं।
उपभोक्‍ता जागरूकता के लिए इंटरनेट का इस्‍तेमाल - इस बात को ध्‍यान में रखते हुए कि 35 वर्ष से कम उम्र की जनसंख्‍या का 70 प्रतिशत से अधिक भाग बड़े पैमाने पर इंटरनेट का इस्‍तेमाल कर रही है, इंटरनेट के माध्‍यम से उपभोक्‍ता जागरूकता फैलाने के उद्देश्‍य से एक प्रमुख कदम उठाया जा रहा है। विभाग के सभी मुद्रित विज्ञापनों के साथ ही श्रव्‍य-दृश्‍य विज्ञापनों को मंत्रालय की वेबसाइट पर रखा गया है।
राज्‍य/केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों की सहायता हेतु विशेष योजना - उपभोक्‍ता आंदोलन को ग्रामीण, सुदूर और पिछड़े क्षेत्रों तक ले जाने के मामले में राज्‍य और केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों की सक्रिय भागीदारी काफी महत्‍वपूर्ण मानी जाती है। उपभोक्‍ता जागरूकता के संदेश को फैलाने में राज्‍य/केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासन को प्रमुखता दी जा रही है। स्‍थानीय भाषा के इस्‍तेमाल से स्‍थानीय मीडिया में उपभोक्‍ता जागरूकता संबंधी गतिविधियों के संचालन के लिए राज्‍यों/केंद्रशासित प्रदेशों को अनुदान सहायता दी गई है और उपभोक्‍ता जागरूकता अभियान में पंचायती राज संस्‍थाओं को शामिल करने पर जोर दिया गया है।
प्रकाशन विभाग की पत्रिकाओं में विज्ञापन - विभाग ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अधीन प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित योजना, कुरूक्षेत्र, बाल भारती, आजकल जैसी पत्रिकाओं और उनके क्षेत्रीय संस्‍करणों में विज्ञापनों के प्रकाशनों के लिए उससे हाथ मिलाया है। उनके पाठक समूह को देखते हुए इन पत्रिकाओं में उपभोक्‍ता जागरूकता पर आधारित मुद्दों पर जोर देने वाले लेख भी छापे जाते है।
तकनीकी सहायता के लिए जर्मन कंपनी से सहयोग - विभाग ने प्रचार सामग्रियों को तैयार करने और उन्‍हें विकसित करने के बारे में जर्मन कंपनी जीटी जेड से सहयोग प्राप्‍त किया है। जीटी जेड परियोजनाओं के अधीन घटिया व्‍यापारिक प्रचलनों के बारे में एमआरपी और उपभोक्‍ता जागरूकता के क्षेत्र में इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया के लिए विज्ञापन तैयार किए गए। भारत-जर्मन तकनीकी सहयोग के अधीन विभाग द्वारा प्रकाशित प्रचार सामग्री का विश्‍लेषण किया गया है और नई प्रचार सामग्रियों के लिए सुझाव दिए गए हैं। इस परियोजना के अधीन एक ‘उपभोक्‍ता डायरी’ भी तैयार की जा रही है।
प्रचार अभियान का एकीकृत मूल्‍यांकन - भारतीय जन-संचार संस्‍थान (आईआईएमसी) द्वारा 12 राज्‍यों और 144 जिलों को शामिल करते हुए एक व्‍यापक सर्वेक्षण किया गया था। इस सर्वेक्षण से इस बात का पता चला कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में प्रश्‍नों के उत्‍तर देने वालों में लगभग 62.56 प्रतिशत लोग विभाग द्वारा संचालित प्रचार अभियान से अवगत थे। आईआईएससी के सर्वेक्षण नतीजों पर विचार करके उन्‍हें उपभोक्‍ता जागरूकता से जुड़ी गतिविधियों को संचालित करने के लिए मीडिया आयोजना को अंतिम रूप देते समय लागू किया गया। योजना आयोग की एक पैनल एजेंसी द्वारा अभियान का एक मध्‍यकालिक मूल्‍यांकन भी किया गया है और ‘जागो ग्राहक जागो’ अभियान के बारे में इसकी अध्‍ययन रिपोर्ट उत्‍साहवर्द्धक पायी गई है।
उपभोक्‍ता संरक्षण के लिए सकारात्‍मक विधान - इस विभाग द्वारा देश में कानूनी माप विज्ञान के विकास पर जोर देने के बाद एक व्‍यापक वैधानिक माप-विज्ञान विधेयक लागू किया गया है, जो माप और तौल मानक अधिनियम, 1976 और माप और तौल मानक (प्रत्‍यर्पण) अधिनियम, 1985 का स्‍थान ले रहा है। इसका उद्देश्‍य देश में मौजूदा वैधानिक माप-विज्ञान सुविधाओं के मनमुताबिक इस्‍तेमाल करना और अंतर-राज्‍य व्‍यापार में माप और तौल की जरूरतों को अधिकाधिक सरल बनाना और राज्‍यों/केंद्रशासित प्रदेशों में वैधानिक माप विज्ञान के मुद्दे को संचालित करने के लिए बदलती जरूरतों के अनुसार बेहतर कार्मिक उपलब्‍ध कराना है।
राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता संरक्षण प्राधिकरण - विभाग द्वारा नीति संबंधी एक अन्‍य पहल के रूप में राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता संरक्षण प्राधिकरण की स्‍थापना का प्रस्‍ताव किया गया है। यह प्राधिकरण सामान्‍य तौर पर उपभोक्‍ताओं के हितों का बेहतर संरक्षण करने के लिए एक सहायक निकाय होगा, जो इस दिशा में कार्रवाई करने के लिए अधिकृत होगा। यह विभाग एक राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता नीति के निर्माण की प्रक्रिया के दौर से गुजर रहा है, जिससे देश में उपभोक्‍ता आंदोलन का भविष्‍य संवरेगा। इस नीति के अधीन देश में उपभोक्‍ता आंदोलन को तेज करने का प्रस्‍ताव किया गया है, जो उपभोक्‍ता संरक्षण पर संयुक्‍त राष्‍ट्रसंघ के मार्गनिर्देशों के अनुसार है।
मानकों का उन्‍नयन - उपभोक्‍ताओं को अपने अधिकारों के इस्‍तेमाल में गुणवत्‍ता और मानकों की निर्णायक भूमिका है। मानकों के माध्‍यम से उपभोक्‍ताओं को गुणवत्‍ता की विश्‍वसनीयता उपलब्‍ध होती है। जिस प्रकार पश्चिमी देशों में उत्‍पादों गुणवत्‍ता के प्रति जागरूकता है, वैसा अब तक भारतीय जीवन में नहीं हो पाया है। इसे ध्‍यान में रखते हुए विभाग ने गुणवत्‍ता को बढ़ावा देने के लिए एक आर्थिक ढ़ांचा तैयार करने में सफलता प्राप्‍त की है। बीआईएस ने विदेशी निर्माताओं और आयातित जींसों के लिए एक प्रमाणन प्रणाली की शुरूआत करने के नया प्रचार किया है, जिसमें आईएसओ मानकों के अनुसार खाद्य सुरक्षा प्रमाणन शामिल है। उपभोक्‍ता हितों की रक्षा करने के संदर्भ में सोने के आभूषणों और चाँदी की कलाकृतियों के हॉलमार्क के लिए प्रमाणन योजना बीआईएस का एक महत्‍वपूर्ण योगदान है।
भविष्‍य के लिए दिशानिर्देश - उपभोक्‍ताओं को शिक्षित करने और उन्‍हें उनके अधिकारों के बारे में जागरूक बनाने के लिए मल्‍टी-मीडिया प्रचार का न केवल अंतिम अपभोक्‍ताओं पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेगा, बल्कि पूरे विनिर्माण और सेवा क्षेत्र पर भी पड़ेगा। इससे सार्वजनिक और निजी क्षेत्र द्वारा प्रदत सेवाओं का उत्‍तरदायित्‍व और उसकी पारदर्शिता भी काफी बढ़ेगी, चूंकि अंतिम उपभोक्‍ता शिक्षित होगा और जागरूक होकर अपनी गाढ़ी कमाई के धन के बदले सर्वोत्‍तम सेवा की मांग करेगा। इसलिए अब वह दिन दूर नहीं जब उपभोक्‍ता सचमुच सशक्‍त होंगे।

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