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19 फ़रवरी 2011

बेमौसम बारिश से मसालों में जारी है तेजी

मुंबई 02 18, 2011
पिछले चार महीनों के दौरान मसाले की कीमतों में काफी तेजी आई है। कीमतों में बढ़ोतरी की मुख्य वजह मसाला उत्पादक क्षेत्रों में हुई बेमौसम बारिश है जिससे फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है। मिर्च और धनिया जैसे मसालों की कीमतों में जहां 80 फीसदी तक की तेजी आई है वहीं जीरे और काली मिर्च की कीमतों भी पिछले चार महीने के दौरान 20 फीसदी बढ़ी हैं। दूसरी तरफ बाजार में हल्दी की नई खेप आने से नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) में इसकी कीमतों में 27 फीसदी तक की कमी आई है। कुल मिलाकर देखें तो पिछले साल के मुकाबले लगभग सभी मसाले की कीमतें इस साल अधिक हैं।पिछले साल नवंबर में भारत से 43,850 टन मसाले का निर्यात हुआ था, जबकि दिसंबर में यह आंकड़ा 29,910 टन था। यानी दिसंबर में मसाले के निर्यात में 31 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी। मसाला बोर्ड के एक अधिकारी के अनुसार नई फसलोंं की आवक में देरी होने से यह गिरावट आई थी लेकिन फिर जनवरी में हालात सुधर गए। मुंबई के एक कारोबारी अशोक दत्तानी ने क हा कि मिर्च के निर्यातकों ने इसकी जरूरत भर ही खरीदारी की है, क्योंकि मिर्च की कीमतें अपने सर्वश्रेष्ठï स्तर पर है। दत्तानी ने कहा कि इस साल आंध्र प्रदेश में एक करोड़ मिर्च के बोरे (एक बारे का वजन 40 किलोग्राम) पहुंचने की उम्मीद है, जबकि पिछले सत्र में 2 करोड़ 10 लाख बोरों की आवक हुई थी। भारत में इस साल मिर्च का कुल उत्पादन 1.90 करोड़ टन रहने की उम्मीद है, जबकि पिछले साल 3.75 करोड़ टन मिर्च का उत्पादन हुआ था। बेमौसम बरसात से मात्रा के साथ ही गुणवत्ता पर भी असर पड़ा है। भारतीय मसाला बोर्ड के अनुमान के अनुसार पिछले सप्ताह हाजिर बाजार में मिर्च की कीमतें प्रति 100 किलोग्राम 8,000 रुपये के सर्वश्रेष्ठï स्तर पर पहुंच चुकी गई थीं जो पिछले साल की समान अवधि में प्रति 100 किलोग्राम 4,500 रुपये थीं।जीरा की कीमतें भी काफी अधिक हैं जिस वजह से निर्यातक खरीदारी से दूर रह रहे हैं। एनसीडीईएक्स में 1 अक्टूबर 2010 के बाद से 17 फरवरी तक जीरे की कीमतों में 16 फीसदी तक की तेजी आई है। इसके साथ ही इसकी आवक में देरी होने से भी कीमतें ऊपर गई हैं। मसाला एवं खाद्य निर्यातक संघ के पूर्व अध्यक्ष भास्कर शाह का कहना है कि बाजार में 15 मार्च तक जीरे की आवक शुरू होने की उम्मीद है और इसी समय निर्यातक खरीदारी में हाथ आजमा सकते है, तक तक इसकी कीमतों में गिरावट की उम्मीद है। इस साल जीरे का उत्पादन 27-28 लाख बोरा (एक बोरे का वजन 60 किलोग्राम) रहने की उम्मीद है, जबकि पिछले साल कुल आवक 30 लाख बोरा रहा था। काली मिर्च के उत्पादन में भी इस साल कमी आ सकती है और यह 48,000 टन रह सकता है, जबकि पिछले साल उत्पादन 52,000 टन था। (BS Hindi)

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