कुल पेज दृश्य

18 जनवरी 2011

और गुलजार होगा औद्योगिक जिंस का बाजार

मुंबई January 17, 2011
बढ़ती मांग के बीच आपूर्ति के संकट के चलते आधार और कीमती धातुओं समेत तमाम औद्योगिक जिंसों की कीमतों में इस साल मार्च के बाद भी बढ़ोतरी जारी रहने की संभावना है। कहा जा रहा है कि मांग में हुई बढ़ोतरी आर्थिक संकट के पूर्व के वर्षों के स्तर पर पहुंच रहा है, खास तौर से उभरते हुए बाजारों से।आधार धातु और सोना-चांदी में इस साल 15-25 फीसदी तक का रिटर्न मिल सकता है क्योंकि खुदरा व औद्योगिक दोनों ग्राहकों की तरफ से मांग आर्थिक संकट के पूर्व के वर्षों के स्तर पर पहुंचने की संभावना है।स्वतंत्र वैश्विक सलाहकार फर्म बारक्लेज कैपिटल का अनुमान है कि एल्युमीनियम की कीमतें औसतन इस साल 2500 डॉलर प्रति टन पर पहुंच सकती हैं जबकि पिछले साल यह 2206 डॉलर प्रति टन पर उपलब्ध था और मौजूदा कीमत 2433 डॉलर प्रति टन है। इसी तरह, तांबे की औसत कीमत मौजूदा 7540 डॉलर से 9550 डॉलर प्रति टन पर पहुंचने की भविष्यवाणी की गई है। निकल और जस्ता क्रमश: औसतन 25625 डॉलर और 2538 डॉलर प्रति टन पर पहुंच सकता है जबकि पिछले साल भाव क्रमश: 22305 डॉलर और 2209 डॉलर प्रति टन था।विशेषज्ञों का कहना है कि यूनान व आयरलैंड जैसे देशों में जारी मौजूदा आर्थिक संकट यूरो को अस्थिर कर सकता है। यह संकट आसानी से अटलांटिक पार कर सकता है क्योंंकि अमेरिका पहले ही एक बार फिर व्यवस्था में नकदी (क्यूई-2) झोंकने जा रहा है, खास तौर से बुनियादी ढांचे मेंं लंबी अवधि के लिए निवेश बढ़ाने की खातिर। इसके परिणामस्वरूप आधार धातुओं की मांग में बढ़ोतरी की पूरी संभावना है। दूसरी ओर, यूरोप का आर्थिक संकट कोषों (फंड) को कीमती धातुओं में प्राथमिकता के आधार पर निवेश के लिए बाध्य कर सकता है। इस साल कीमती धातुओं का बाजार काफी शानदार नजर आ रहा है और यह रिकॉर्ड बना सकता है। इसके परिणामस्वरूप सोने की कीमतें साल 2011 में 1500-1600 डॉलर प्रति आउंस पर पहुंच सकती है क्योंकि यह क्यूई व मुद्राओं के खिलाफ हेजिंग का उपकरण बना हुआ है। रेलिगेयर कमोडिटीज के विश्लेषक का कहना है कि एक समय में सतत आर्थिक सुधार कीमती धातुओं को चुनौती दे सकता है।साल 2011 में चांदी में उतारचढ़ाव की संभावना है और यह अंतरराष्ट्रीय बाजार में 35-37 डॉलर प्रति आउंस (50000-60000 रुपये प्रति किलोग्राम) के भाव पर बिक सकता है। ब्रोकिंग फर्म का मानना है कि कच्चा तेल शुरुआती दौर में 100 डॉलर प्रति बैरल की तरफ बढ़ सकता है और इसके बाद यह 120-135 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में भी पहुंच सकता है। वहीं, प्राकृतिक गैस 240-285 रुपये प्रति एमएमबीटीयू की दर पर बिक सकता है। इसमें भी उतारचढ़ाव देखा जा सकता है।बारक्लेज कैपिटल के विश्लेषक कहते हैं - हमें इलाके में मांग में पर्याप्त बढ़त नजर आ रही है और उभरते हुए बाजारों की मांग के साथ जुड़कर यह आर्थिक संकट के पूर्व के वर्षों के स्तर पर पहुंच सकता है। मांग में सुधार के साथ-साथ मौजूदा आर्थिक सुधार की बदौलत औद्योगिक जिंसों की कीमतें साल 2010 में बढ़ी है। खास तौर से ओईसीडी में सुधार बड़े आश्चर्य के तौर पर सामने आया है।मांग रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच सकती है क्योंकि ओईसीडी में अभी भी कई धातुओं की मांग संकट के पूर्व के वर्षों के स्तर पर है। अगस्त के बाद चीन की तरफ से तांबे के आयात में तेजी और चिली में खदान दुर्घटना की वजह से आपूर्ति के संकट के चलते तांबे की कीमतें दिसंबर में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच चुकी है। रेलिगेयर कमोडिटीज के विश्लेषक का कहना है कि तांबे में तेजी आ रही है और वैश्विक स्तर पर आपूर्ति के संकट के चलते यह नए रिकॉर्ड पर भी पहुंच सकती है। (BS Hindi)

कोई टिप्पणी नहीं: