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18 जनवरी 2011

महंगे प्राकृतिक रबर ने बढ़ाया टायरों का भाव

कोच्चि/नई दिल्ली January 17, 2011
प्राकृतिक रबर के दामों में हो रही बेतहाशा वृद्घि के चलते टायर निर्माता कंपनियां अब सभी तरह के टायरों के दामों में बढ़ोतरी करने जा रही हैं। चालू वित्त वर्ष के दौरान टायरों की कीमतों में यह चौथी बार बढ़ोतरी होने जा रही हैं। घरेलू बाजार में प्राकृतिक रबर के दाम इस समय 225 रुपये प्रति किलोग्राम की ऊंचाई पर पहुंच चुका है जो अब तक का सर्वोच्च स्तर है। जबकि पिछली तिमाही में रबर के दाम 180 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर थे। हालांकि कंपनी दर कंपनी सभी तरह के टायरों के दामों में बढ़ोतरी का स्तर अलग-अलग है लेकिन सभी कंपनियों ने इसमें औसतन 2 से 5 फीसदी का इजाफा करने का मन बनाया है। इस तरह चालू वित्त वर्ष के दौरान सभी तरह के टायर के दामों में अब तक तकरीबन 10 से 20 फीसदी तक की वृद्घि हो चुकी है। इसके पहले दिसंबर 2010 में टायर कंपनियों ने 4 से 5 फीसदी तक दामों में इजाफा किया था। जे के टायर ने अगले सप्ताह से अपने उत्पादों के दामों में 2 से 4 फीसदी तक बढ़ोतरी का निर्णय लिया है। कंपनी ने इसके पहले भी तीन बार टायरों के दामों में इजाफा किया था। कंपनी के निदेशक (विपणन) ए एस मेहता ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, 'कंपनी अगले सप्ताह से अपने सभी तरह के टायर उत्पाद महंगा करने जा रही है। चूंकि एक साथ इसमें 10 फीसदी तक बढ़ोतरी संभव नहीं है इसलिए फिलहाल हमने इसके दामों में केवल 2 से 4 फीसदी की वृद्घि का निर्णय लिया है।Ó सिंथेटिक रबर और कच्चे तेल के दामों में बढ़ोतरी भी टायर उद्योग के लिए चिंता की बात है। मेहता का कहना है कि प्राकृतिक रबर के अलावा सिंथेटिक रबर और कच्चे तेल के दामों में वृद्घि के चलते हमारे पास टायरों के दामों में इजाफा करने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि रबर के आयात पर शुल्क में कटौती के बाद भी टायर उद्योगों को पर्याप्त रूप से रबर की उपलब्धता नहीं हो पा रही है। जे के टायर के अलावा दूसरी अन्य टायर निर्माता कंपनियों ने भी टायरों के दामों में वृद्घि करने का फैसला किया है। देसी टायर बाजार में 20 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी रखने वाली कंपनी मेट्रो टायर्स इसी महीने के अंत या फरवरी के आरंभ में कीमत बढ़ाने जा रही है। कंपनी के प्रबंध निदेशक रूमी छाबड़ा ने बताया, 'प्राकृतिक रबर की कीमतों में जबरदस्त उछाल तो सभी देख रहे हैं। कृत्रिम रबर बनाने में काम आने वाला पेट्रोलियम भी वैश्विक बाजार में लगातार महंगा होता जा रहा है। इसलिए टायर कंपनियों के लिए दाम बढ़ाना अब अपरिहार्य हो गया है।Óछाबड़ा ने बताया कि मेट्रो टायर्स अपने उत्पादों की कीमत 5 से 6 फीसदी बढ़ाएगी। हालांकि अभी कंपनी ने इसका ऐलान नहीं किया है, लेकिन फरवरी के शुरुआती हफ्ते तक बढ़ोतरी कर दी जाएगी।अपोलो टायर के प्रमुख (भारत स्थित कारोबार) सतीश शर्मा कहते हैं, 'चालू तिमाही में हमारी कंपनी ने भी टायरों के दामों में बढ़ोतरी करने का फैसला किया है लेकिन बढ़ोतरी के स्तर के बारे में अभी विचार किया जा रहा है। हम कई चीजों को ध्यान में रखते हुए इस पर निर्णय लेंगे। जब तक कोई फैसला नहीं हो जाता तब तक इस बारे में कुछ कह पाना मुश्किल है।Ó चालू वित्त वर्ष के दौरान अपोलो टायर अब तक तीन बार इसके दामों में इजाफा कर चुकी है। उनके अनुसार वित्त वर्ष के दौरान कंपनी ने दामों में अब तक कुल 10 फीसदी की वृद्घि की है। ऑटोमोटिव टायर मैन्युफेक्चरर्स एसोसिएशन (एटमा) के महानिदेशक राजीव बुद्घराज कहते हैं कि प्राकृतिक रबर के दामों में रोज-रोज हो रही वृद्घि से टायर निर्माता कंपनियों की मुश्किलें काफी बढ़ गई हैं। बढ़ते लागत खर्च का भार उठाने में कंपनियां पूरी तरह असमर्थ हैं, ऐसे में टायरों के दाम बढ़ाने के अलावा उनके पास और कोई दूसरा विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्टï्रीय स्तर पर भी टायरों के दाम हर दिन नई ऊंचाई छू रहे हैं। इससे आयात शुल्क में कटौती करने के बाद भी टायर उद्योगों को कोई राहत नहीं मिली। दाम बढऩे के बाद भी रबर की पर्याप्त उपलब्धता न हो पाना भी टायर कंपनियों की एक प्रमुख चिंंता है। उन्होंने कहा कि भारत समेत दुनिया भर में टायर का उत्पादन घटने से इस तरह की मुश्किलें पैदा हो रही हैं। इसका मतलब है कि प्राकृतिक रबर का उत्पादन बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश की जरूरत है। (BS Hindi)

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