कुल पेज दृश्य

01 दिसंबर 2010

स्टार्च निर्माता पूरी उत्पादन क्षमता उपयोग में सक्षम

फूड, पेपर, कपड़ा और फार्मा उद्योग की मांग बढऩे से स्टॉर्च कारोबार में 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। भारी मांग के कारण ही स्टार्च कंपनियां अपनी पूरी क्षमता से उत्पादन कर रही हैं। इससे मक्का की मांग भी लगातार बढ़ रही है। मांग बढऩे के कारण ही पिछले पंद्रह दिनों में स्टार्च की कीमतों में करीब पांच फीसदी की तेजी आ चुकी है इसका असर आगामी दिनों में मक्का की कीमतों पर भी पडऩे की संभावना है। अनिल प्रोडक्ट्स लिमिटेड के वाइस प्रेसिडेंट (मार्केटिंग) एस. देसाई ने बिजनेस भास्कर को बताया कि स्टॉर्च में फूड, पेपर, कपड़ा और फार्मा उद्योग की भारी मांग बनी हुई है। इसीलिए कंपनियां अपनी कुल क्षमता का 100 फीसदी उपयोग कर रही है। देश में इस समय छोटी और बड़ी मिलाकर करीब 16-17 स्टार्च फैक्ट्री हैं जिनकी दैनिक पेराई क्षमता लगभग 7,000 टन की है। उन्होंने बताया कि फूड, पेपर और कपड़ा उद्योग की उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी हुई है इसीलिए पिछले साल की तुलना में स्टॉर्च कंपनियों का कारोबार करीब 10 फीसदी बढ़ चुका है। रिद्धि सिद्धि ग्लूको बॉयल्स लिमिटेड के असिस्टेंट मैनेजर (मार्केटिंग) पवन कुमार ने बताया कि उद्योग की भारी मांग के कारण पिछले पंद्रह दिनों में ही स्टॉर्च की कीमतों में करीब 1,000 रुपये प्रति टन की तेजी आ चुकी है। सोमवार को स्टॉर्च का भाव बढ़कर एक्स-फैक्ट्री 21,500 से 22,500 रुपये प्रति टन हो गया। इस समय आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश तथा राजस्थान में मक्का की आवक का दबाव बना हुआ है लेकिन दिसंबर-जनवरी में आवक कम हो जाएगी। लेकिन स्टार्च की मांग बराबर बनी रहने की संभावना है। इसीलिए स्टार्च की मौजूदा कीमतों में और भी तेजी की संभावना है। मेज प्रोडेक्टस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि साल भर में स्टार्च में मक्का की करीब 20 लाख टन की खपत होती है। भारत में उत्पादित 90 फीसदी स्टार्च की खपत देश में ही हो जाती है। ऐसे में केवल 10 फीसदी का ही निर्यात होता है। भारत से स्टार्च का मुख्यत: खाड़ी देशों को निर्यात किया जाता है। एक क्विंटल मक्का से 65-66 फीसदी स्टार्च निकलता है। मक्का के बचे पदार्थ का उपयोग पशुआहार में होता है। कृषि मंत्रालय के आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू खरीफ में देश में मक्का का उत्पादन बढ़कर 140 लाख टन होने का अनुमान है जोकि पिछले साल के 120 लाख टन से ज्यादा है। मक्का के थोक कारोबारी पूनम चंद गुप्ता ने बताया कि मक्का का उत्पादन जरूर ज्यादा हुआ है लेकिन चालू सीजन में मक्का का निर्यात पिछले साल से बढऩे की संभावना है। इस समय आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश तथा राजस्थान की मंडियों में मक्का की आवक का दबाव बना हुआ है जिससे कीमतों में स्थिरता बनी हुई है। लेकिन दिसंबर-जनवरी में आवक घटने के बाद मौजूदा कीमतों में तेजी की संभावना है। उत्पादक राज्यों की मंडियों में मक्का का भाव 945 से 965 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है। (Business Bhaskar...R S Rana)

कोई टिप्पणी नहीं: