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01 दिसंबर 2010

देश-विदेश में उत्पादन बढऩे से दलहन होगी सस्ती

इस बार एक तरफ जहां म्यांमार, आस्ट्रेलिया और कनाड़ा में दलहन उत्पादन बढऩे की संभावना है। वहीं दूसरी तरफ खरीफ में दालों का घरेलू उत्पादन भी 39.5 फीसदी ज्यादा होने का अनुमान है। रबी में भी मौसम अनूकूल बना हुआ है। वैसे भी दिसंबर-जनवरी में हरी-सब्जियों की उपलब्धता बढ़ जाने से दालों की खपत कम हो जाती है। इसीलिए आगामी दिनों में दालों की मौजूदा कीमतों में और भी गिरावट की संभावना है। म्यामांर बीन, प्लसेज एंड सीसम मर्चेंटस एसोसिएशन के अनुसार म्यांमार में वर्ष 2010 के दौरान दलहन की बुवाई बढ़कर 1.05 लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल हो गई है। साथ ही पिछले साल का बकाया स्टॉक भी बचा हुआ है। उधर आस्ट्रेलिया में चने का उत्पादन वर्ष 2010 में बढ़कर करीब 6 लाख टन होने का अनुमान है जोकि पिछले साल के 4.45 लाख टन से ज्यादा है। कनाडा में भी चने का उत्पादन 57 हजार टन से बढ़कर 81 हजार टन होने का अनुमान है। दलहन आयातक संतोष उपाध्याय ने बताया कि भारत के साथ ही विदेशों में दालों की पैदावार बढऩे की संभावना है। इसीलिए आयातक नए आयात सौदे सीमित मात्रा में ही कर रहे है। आयातित दालों में उड़द एफएक्यू का भाव मुंबई में 4,100 रुपये, लेमन अरहर का 3,350 रुपये प्रति क्विंटल है। मूंग और अरहर के आयात सौदे न के बराबर हो रहे हैं। इस समय केवल सार्वजनिक कंपनियां ही आयात कर रही है। सार्वजनिक कंपनियों ने चालू वित्त वर्ष के नवंबर मध्य तक 4.84 लाख टन दालों के आयात सौदे किए हैं। इनमें से 3.19 लाख टन दालें भारतीय बंदरगाहों पर पहुंच चुकी है। दलहन के थोक कारोबारी निशांत मित्तल ने बताया कि थोक बाजार में मूंग धोया का भाव 5,500-6,300 रुपये, अरहर का 5,000-6,000 रुपये, उड़द साबूत का भाव 4,800-6,200 रुपये और चना दाल का 2,800-2,900 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है। उत्पादक मंडियों में उड़द का भाव 3,500-3,900 रुपये, अरहर का भाव 3,200-3,250 रुपये, चने का भाव 2,500-2,550 रुपये और मूंग का भाव 3,800-4,200 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है। उन्होंने बताया कि दिसंबर-जनवरी में हरी-सब्जियों की उपलब्धता बढ़ जाती है इसीलिए दालों की खपत भी कम हो जाती है। दिसंबर में नई अरहर की आवक का दबाव बन जायेगा। इसीलिए दालों की कीमतों में गिरावट की ही संभावना है। कृषि मंत्रालय के आरंभिक अनुमान के अनुसार खरीफ में दलहन उत्पादन 43 लाख टन से बढ़कर 60 लाख टन होने का अनुमान है। रबी में भी मौसम फसल के अनुकूल बना हुआ है। कृषि मंत्रालय ने खरीफ और रबी में दलहन उत्पादन का लक्ष्य 165 लाख टन से ज्यादा का रखा है। देश में दालों की सालाना खपत 175-180 लाख टन की होती है। अत: पैदावार में बढ़ोतरी से आयात भी पिछले साल के 35 लाख टन से कम होने की बात कही जा रही है।बात पते की - चालू रबी सीजन में दालों का घरेलू उत्पादन ३९.५ फीसदी ज्यादा होने का अनुमान है। चालू वर्ष के लिए सरकार ने १६५ लाख टन से ज्यादा दालों के उत्पादन का लक्ष्य रखा है। (Business Bhaskar....R S Rana)

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