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22 दिसंबर 2010

नए साल में बढ़ेगी हीरे की चमक

मुंबई December 21, 2010
साल 2011 में अपरिष्कृत व तराशे गए हीरे की कीमतें 20 से 25 फीसदी तक बढऩे की संभावना है। कीमती पत्थरों की खोज करने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी डी बीयर्स द्वारा ज्यादा उत्पादन का लक्ष्य रखे जाने के बावजूद ऐसा होगा। आर्थिक सुधार का संकेत मिलने के बाद अमेरिका और एशियाई बाजारों में उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग और आपूर्ति में कमी की वजह से अपरिष्कृत हीरे की कीमतें जुलाई 2009 के मुकाबले अब तक 50 फीसदी बढ़ चुकी है।गीतांजलि ग्रुप के चेयरमैन मेहुल चोकसी ने कहा - घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों ही बाजारों में मांग का रुख काफी मजबूत नजर आ रहा है। ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि यह मांग भंडारण की वजह से नहीं है बल्कि खुदरा ग्राहकों की तरफ से है, जो टिकाऊ बनी रहेगी। ऐसे में मुझे उम्मीद है कि अपरिष्कृत और तराशे गए हीरे की कीमतों में उछाल जारी रहेगी।वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता के बीच वैश्विक मांग में गिरावट के बाद अपरिष्कृत हीरे की कीमतें थम गई थी। ऐसे में वैश्विक बाजार में कुल अपरिष्कृत हीरे की करीब 45 फीसदी की आपूर्ति करने वाली कंपनी डी बीयर्स ने उत्पादन में नाटकीय रूप से कटौती कर दी थी। लेकिन साल 2009 की दूसरी छमाही में मांग में धीरे-धीरे सुधार आया और उस दौरान कंपनी का उत्पादन 180 लाख कैरट पर पहुंच गया, जो इसी साल की पहली छमाही के मुकाबले 173 फीसदी ज्यादा था। साल 2008 की दूसरी छमाही में डी बीयर्स का अपरिष्कृत हीरे का कुल उत्पादन 240 लाख कैरट था।इस तरह से साल 2009 में अपरिष्कृत हीरे का कुल उत्पादन 246 लाख कैरट पर पहुंचा, जो एक साल पहले के मुकाबले 49 फीसदी कम था। भारत में आयातकों ने उन अपरिष्कृत हीरों को आभूषणों की जरूरतों के हिसाब से काटा और उसे तराशा। एक अनुमान के मुताबिक प्रति नग के हिसाब से कुल 92 फीसदी और कीमत के हिसाब से 60 फीसदी अपरिष्कृत हीरे का प्रसंस्करण भारत में हुआ। हालांकि अतिरिक्त उत्पादन से भारतीय ग्राहकों को बढ़ती कीमत से राहत नहीं मिली क्योंकि घरेलू बाजार में मांग बढ़ गई। ग्राहक शुद्ध सोने के आभूषण की बजाय कम कीमत वाले हीरे की तरफ मुड़ गए और अमेरिकी अर्थव्यवस्था के बेहतर आंकड़ों ने अपरिष्कृत हीरों की मांग को तेजी से बहाल कर दिया।जेम्स ऐंड जूलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के चेयरमैन राजीव जैन के मुताबिक, पिछले 4-5 महीने में खुदरा ग्राहकों की तरफ से त्योहारी सीजन में की गई खरीद की वजह से हीरे की कीमतें 20-25 फीसदी बढ़ी है। भारतीय ग्राहक शादी विवाह के सीजन के प्रति उत्साहित रहते हैं, जहां पारंपरिक आभूषणों के मुकाबले हीरे के आभूषण की ज्यादा बुकिंग होती है। अमेरिका में भी क्रिसमस और नए साल के सीजन की वजह से रुख मजबूत रहता है और इस वजह से कीमतें बढ़ जाती हैं।अप्रैल-नवंबर 2010 के दौरान दुनिया के सबसे बड़े हीरा प्रसंस्करण हब भारत ने 7.37 अरब डॉलर का अपरिष्कृत हीरा आयात किया जबकि पिछले साल की समान अवधि में 5.44 अरब डॉलर का अपरिष्कृत हीरा आयात किया गया था। कैरट के हिसाब से देखें तो इस अवधि में 1025.37 लाख कैरट हीरे का आयात हुआ जबकि एक साल पहले की समान अवधि में 899.96 लाख कैरट हीरे का आयात हुआ था। (BS Hindi)

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